वक्फ कानून का विरोध हिंदुओं के सफाये का बहाना था

मुर्शिदाबाद दंगे पर कलकत्ता हाईकोर्ट की जांच रिपोर्ट से सनसनीखेज खुलासा

 वक्फ कानून का विरोध हिंदुओं के सफाये का बहाना था

हिंसा एवं लूटपाट का नेतृत्व सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने किया

पहलगाम पर बोलने वाले बंगाल हिंसा पर साधे हैं चतुर चुप्पी

कोलकाता, 21 मई (एजेंसियां)। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान हुए सुनियोजित दंगे की जांच के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति ने सनसनीखेज खुलासा किया है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि वक्फ कानून के विरोध के नाम पर हिंदुओं के सफाये की योजना थी। पूर्व नियोजित योजना के तहत 11 अप्रैल को धुलियान में हुए मुख्य हमले के समय स्थानीय पुलिस पूरी तरह से निष्क्रिय और अनुपस्थित थी।

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में पिछले महीने हुई हिंसा की जांच के लिए हाईकोर्ट ने कमेटी बनाई थीजिसने अपनी रिपोर्ट दे दी है। कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा बनाई गई जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि इस हिंसा में ममता बनर्जी की सत्ताधारी पार्टी टीएमसी के स्थानीय नेताओं की अहम भूमिका रही। यह हिंसा वक्फ संशोधन बिल के पास होने के दौरान शुरू हुई थीजिसमें हिंदुओं को निशाना बनाया गया। जब पीड़ित लोगों ने मदद के लिए पुलिस को फोन कियातो पुलिस ने कोई जवाब नहीं दिया और पूरी तरह निष्क्रिय रही। रिपोर्ट में बताया गया कि हिंसा में बड़े पैमाने पर आगजनी और लूटपाट हुई। दुकानों और मॉल्स को बेरहमी से नष्ट किया गया। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहाहमले स्थानीय पार्षद मेहबूब आलम के इशारे पर हुए। स्थानीय पुलिस गायब रही और उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

रिपोर्ट के अनुसारमुख्य हमला शुक्रवार 11 अप्रैल 2025 को दोपहर 2:30 बजे के बाद हुआ। जिसमें बताया गया है कि यहां स्थानीय पार्षद मेहबूब आलम हमलावरों के साथ आया। उसके साथ समसेरगंजहिजलतलाशिउलीतला और डिगरी के नकाबपोश मुस्लिम थे। उन्होंने हमला कर सब कुछ जला दिया। इसके बाद विधायक अमीरुल इस्लाम आया और उसने देखा कि कौन से घर अभी तक नहीं जले। इसके बाद हमलावरों ने उन घरों में आग लगा दी।

हिंसा पीड़ित बेटबोना गांव के लोगों ने पुलिस को फोन कियालेकिन पश्चिम बंगाल पुलिस ने कोई जवाब नहीं दिया। रिपोर्ट में बताया गया है कि स्थानीय विधायक अमीरुल इस्लाम वहीं मौजूद थालेकिन उसने हिंसा रोकने की कोशिश तक नहीं कीबल्कि वो चुपचाप वहां से खिसक गया। हिंसा पीड़ित ग्रामीणों के जख्मों पर नमक डालते हुए हमलावरों ने पानी की पाइपलाइन भी काट दीताकि वो अपने घरों में लगी आग को बुझा तक न सकें। इसी बेटबोना गांव में 113 घर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। इन घरों को इतना नुकसान हुआ कि अब वे रहने लायक नहीं हैं। इन्हें पूरी तरह दोबारा बनाना होगा। गांव की महिलाएं डर के मारे अपने रिश्तेदारों के पास रहने को मजबूर हैं।

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मुर्शिदाबाद हिंसा के अगले दिन शनिवार 12 अप्रैल 2025 को हिंदू पिता-पुत्र की उनके मुस्लिम पड़ोसियों ने ही हत्या कर दी। इसके बाद हुई हिंसा में इलाके की दुकानें और बाजार पूरी तरह तबाह हो गए। किराना स्टोरहार्डवेयर की दुकानेंइलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़े की दुकानों को नष्ट कर दिया गया। मंदिरों को भी नहीं बख्शा गया। यह सब स्थानीय पुलिस स्टेशन से सिर्फ 300 मीटर की दूरी पर हुआ। जांच रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि घोषपारा (मुर्शिदाबाद का इलाका) में 29 दुकानें फूंकी गई या तोड़फोड़ की शिकार हुई। इस दौरान एक शॉपिंग मॉल जैसा बाजार लूट लिया गया और उसे बंद कर दिया गया।

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जांच समिति में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोगराज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और न्यायिक सेवा के सदस्य शामिल थे। इस समिति ने गांवों का दौरा किया और हिंसा के शिकार लोगों से बात की। इसके बाद यह रिपोर्ट तैयार की गईजिसे मंगलवार 20 मई 2025 को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के सामने पेश किया गया।

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हाईकोर्ट को सौंपी गई इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि धूलियन में हुई हिंसा का नेतृत्व सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय पार्षद मेहबूब आलम ने किया था और एक मॉल को भी लूट लिया गया था। समिति ने यह रिपोर्ट हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करने और पीड़ितों से बातचीत के बाद तैयार की है। तीन सदस्यीय जांच समिति में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के रजिस्ट्रार जोगिंदर सिंहपश्चिम बंगाल विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव सत्य अर्नब घोषाल और डब्लूबीजेएस के रजिस्ट्रार सौगत चक्रवर्ती शामिल थे। इन्होंने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया है कि शुक्रवार को पहली बार हुए हमले के बाद स्थानीय तृणमूल नेताओं ने इलाके का दौरा किया और हिंदुओं के उन घरों की निशानदेही की जो हमले में बच गए थे। उसके बाद दंगाई मुसलमानों की भीड़ ने दोबारा हमला किया और इन घरों में आग लगाई। उन्होंने पानी का भी कनेक्शन काट दिया था ताकि आग नहीं बुझाई जा सके। वारदात के बाद पूरे क्षेत्र में स्थानीय महिलाएं डरी हुई हैं। सबसे अधिक वेटबोना गांव में दर्दनाक हादसा हुआजहां 113 घर आग के हवाले कर दिए गए और हरगोविंद दास और उनके बेटे चंदन दास को घर से खींचकर मौत से घाट उतारा गया। इसका कारण केवल इतना था कि वे हिंदू थे।

हाईकोर्ट ने 17 अप्रैल को इस समिति का गठन वक्फ अधिनियम को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान विस्थापित हुए लोगों की पहचान और पुनर्वास के लिए किया था। कोलकाता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी की खंडपीठ ने जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि राज्य सरकार के नाकाम रहने की स्थिति में पीड़ितों के लिए योग्य मूल्यांकन विशेषज्ञों की नियुक्ति ही एकमात्र उपाय है। खंडपीठ ने यह भी कहा कि प्रत्येक पीड़ित को अलग-अलग और विशेष पुनर्वास पैकेज की आवश्यकता हैजिसके लिए मूल्यांकन विशेषज्ञों की सेवा अत्यावश्यक है।

इससे पहले पश्चिम बंगाल सरकार ने भी हाईकोर्ट को एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें आठ अप्रैल से 12 अप्रैल तक मुर्शिदाबाद जिले के विभिन्न क्षेत्रों में वक्फ अधिनियम को लेकर हुए प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा की जानकारी दी गई थी। सरकारी रिपोर्ट में कहा गया है कि जंगीपुर पुलिस जिला के अंतर्गत आने वाले सभी थाना क्षेत्रों में चार अप्रैल से ही वक्फ अधिनियम, 2025 को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। ये प्रदर्शन आठ अप्रैल से हिंसक रूप लेने लगे। सबसे दर्दनाक घटना 12 अप्रैल को सामने आई जब शमशेरगंज थाना क्षेत्र के जाफराबाद में हरगोविंद दास और उनके बेटे चंदन दास की भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई। स्थिति के नियंत्रण से बाहर होने पर 11 अप्रैल को शमशेरगंज में केंद्रीय बलों की तैनाती की गई और 12 अप्रैल को हाईकोर्ट के आदेश पर और अधिक केंद्रीय बल भेजे गए। सरकारी रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि बीएसएफ के हस्तक्षेप के बाद सुतिधूलियनशमशेरगंज और जंगीपुर में स्थिति को नियंत्रण में लाया गया।

मुर्शिदाबाद में फैली इस हिंसा और प्रशासन की भूमिका पर अदालत की निगरानी में हुई जांच ने राज्य सरकार के समक्ष गंभीर सवाल खड़े किए हैं। यह हिंसा वक्फ संशोधन बिल के पास होने के दौरान शुरू हुई थीजिसमें सोच-समझ कर हिंदुओं को निशाना बनाया गया। जब पीड़ित लोगों ने मदद के लिए पुलिस को फोन कियातो पुलिस ने कोई जवाब नहीं दिया और पूरी तरह निष्क्रिय रही।

 

देश को अस्थिर करने का एजेंडा चल रहा है भाजपा

नई दिल्ली, 21 मई (एजेंसियां)। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हुए दंगों को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने प्रदेश की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। हाईकोर्ट द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट पर भाजपा के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा है कि टीएमसी सरकार की हिंदू विरोधी क्रूरता अपने पूरे वीभत्स रूप में सामने आ गई है। जांच रिपोर्ट ने टीएमसीइंडी गठबंधन और तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के स्वयंभू नायकों का मुखौटा पूरी तरह उतर गया है।

भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहाइस समय देश में जिस तरह से एक खास तरह की राजनीति चल रही हैउससे ऐसा लगता है कि कुछ लोग देश की आंतरिक सुरक्षा और ढांचे को नष्ट करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। ऐसी स्थिति कई बार पश्चिम बंगाल में देखी जा चुकी है। हाईकोर्ट द्वारा गठित एसआईटी की रिपोर्ट आने के बाद पश्चिम बंगाल में टीएमसी सरकार की यही मानसिकता फिर सामने आई है, जिसमें उसकी हिंदू विरोधी क्रूरता अपने पूरे वीभत्स रूप के साथ उजागर हुई है।