परमाणु ब्लैकमेल नहीं चला, ब्रह्मपुत्र ब्लैकमेल भी नहीं चलेगा

पाक के ब्रह्मपुत्र-प्रलाप का असम के सीएम ने दिया करारा जवाब

परमाणु ब्लैकमेल नहीं चला, ब्रह्मपुत्र ब्लैकमेल भी नहीं चलेगा

पाकिस्तान को यथार्थ का ज्ञान नहीं, केवल बकवास पर भरोसा

नई दिल्ली, 03 जून (एजेंसियां)। सिंधु नदी जल समझौता स्थगित होने से पाकिस्तान एक बार फिर चीन के कंधे पर सवार होकर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहा है। पाकिस्तानी प्रोपेगंडा को लेकर फैल रही खबरों पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने मोर्चा संभाला है। उन्होंने पाकिस्तान की झूठी कहानी की हवा निकाल दी है।

मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि भारत ने जबसे सिंधु जल संधि स्थगित कर दी, तबसे पाकिस्तान एक नई घबराहट फैलाने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान कह रहा है, अगर चीन ब्रह्मपुत्र का पानी रोक दे तो? इस पर मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि इस झूठी कल्पना को डर से नहींबल्कि तथ्यों और राष्ट्रीय स्पष्टता से देखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर चीन ब्रह्मपुत्र का पानी रोक दे तो वह भारत के लिए मददगार साबित होगाक्योंकि हर वर्ष असम में आने वाली भीषण बाढ़ से लाखों लोग विस्थापित होते हैं और भारी तबाही होती है। ब्रह्मपुत्र एक ऐसा नद है जो भारत में बढ़ता है, घटता नहीं है। चीन ब्रह्मपुत्र के कुल जल प्रवाह में केवल 3035 प्रतिशत योगदान देता है। वह भी ज्यादातर हिमनदों के पिघलने और सीमित वर्षा से। शेष 6570 प्रतिशत जल भारत के भीतर ही उत्पन्न होता हैक्योंकि अरुणाचल प्रदेशअसमनगालैंड और मेघालय में मूसलाधार मानसूनी वर्षाप्रमुख सहायक नदियां जैसे सुबनसिरीलोहितकामेंगमानस, धनसिरीजिया-भारालीकोपिली के जरिए ब्रह्मपुत्र में जाता है। वहींमेघालय की खासीगारो और जयंतिया पहाड़ियों से जल कृष्णाईदिगारूकुलसी आदि सहायक नदियों के जरिए ब्रह्मपुत्र में जाता है।

भारत-चीन सीमा (तूतिंग) पर प्रवाह 2,0003,000 घन मीटर/सेकंड है। गुवाहाटी जैसे असम के मैदानों में प्रवाह मानसून के समय 15,00020,000 घन मीटर/सेकंड है। ब्रह्मपुत्र भारत में प्रवेश के बाद सशक्त होती है। यह एक भारतीयवर्षा-पोषित नदी प्रणाली हैन कि किसी एक स्रोत पर निर्भर है। पाकिस्तान के लिए वह सच्चाई जो उसे जाननी चाहिएअगर चीन कभी ब्रह्मपुत्र के जल को कम भी कर दे (जो कि अब तक किसी भी मंच पर न कहा गया हैन संकेत दिया गया है)तो वह भारत के लिए मददगार हो सकता हैक्योंकि हर वर्ष असम में आने वाली भीषण बाढ़ लाखों को विस्थापित करती है और भारी तबाही लाती है।

पाकिस्तानजिसने 74 वर्षों तक सिंधु जल संधि से असमान लाभ उठायाअब घबरा रहा है क्योंकिभारत अपने जल अधिकारों पर संप्रभु निर्णय ले रहा है। इस संबंध में पाकिस्तान को कुछ याद दिलाना जरूरी है जैसे, ब्रह्मपुत्र एक ही स्रोत पर आधारित नहीं है। यह हमारे भूगोलहमारे मानसून और हमारी सभ्यतागत शक्ति से पोषित है। मुख्यमंत्री सरमा ने तथ्यों के आधार पर पाकिस्तान की डर वाली रणनीति की जहां हवा निकाल दीवहीं चीन को भी एक तरह से उत्तर दिया है किब्रह्मपुत्र को लेकर वह भारत को ब्लैकमेल नहीं कर सकता है।

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ब्रह्मपुत्र नदी चीन से भले ही आती होलेकिन इसका ज्यादातर पानी भारत में ही बनता है। चीन ब्रह्मपुत्र के कुल पानी में सिर्फ 30-35 प्रतिशत का योगदान देता हैऔर वह भी ज्यादातर पिघलते ग्लेशियरों से आता है। बाकी 65-70 प्रतिशत पानी तो भारत के भीतर ही बनता हैखासकर अरुणाचल प्रदेशअसमनागालैंड और मेघालय में होने वाली भारी मानसूनी बारिश से। सिंधु जल समझौता स्थगित होने के बाद पाकिस्तान भारत के खिलाफ अलग-अलग पैंतरे चल रहा है। उसने हाल ही में ब्रह्मपुत्र नदी पर प्रलाप चालू किया है। इस बार उसने यह डर फैलाने की कोशिश की है कि अगर चीन ब्रह्मपुत्र का पानी रोक दे तो क्या होगाउसके इस प्रोपेगेंडा का जवाब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने दिया है।

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मुख्यमंत्री हिमंत ने साफ किया कि ब्रह्मपुत्र नदी चीन से भले ही आती होलेकिन इसका ज्यादातर पानी भारत में ही बनता है। चीन ब्रह्मपुत्र के कुल पानी में सिर्फ 30-35 प्रतिशत का योगदान देता हैऔर वह भी ज्यादातर पिघलते ग्लेशियरों से आता है। उन्होंने बताया कि बाकी 65-70 प्रतिशत पानी तो भारत के भीतर ही बनता हैखासकर अरुणाचल प्रदेशअसमनागालैंड और मेघालय में होने वाली भारी मानसूनी बारिश से। इसके अलावासुबनसिरीलोहितकामेंगमानसधनसिरीजिया-भरलीकोपिली जैसी कई बड़ी सहायक नदियां भी हैं जो ब्रह्मपुत्र में पानी डालती हैं। सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि मेघालय की खासीगारो और जयंतिया पहाड़ियों से भी कृष्णाईदिगारूकुलसी जैसी नदियों के जरिए ब्रह्मपुत्र में खूब पानी आता है और भारत-चीन सीमा पर (तूतिंग में) ब्रह्मपुत्र का प्रवाह लगभग 2,000-3,000 घन मीटर/सेकंड होता है। उन्होंने कहा कि असम के मैदानी इलाकों में (जैसे गुवाहाटी में)मानसून के दौरान यह प्रवाह बढ़कर 15,000-20,000 घन मीटर/सेकंड हो जाता है। इसका मतलब है कि ब्रह्मपुत्र भारत में आने के बाद और भी बड़ी और शक्तिशाली हो जाती है। यह एक भारतीयबारिश से पोषित नदी प्रणाली हैजो किसी एक स्रोत पर निर्भर नहीं है।

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