पहलगाम आतंकी हमले की समूह-निदा
ब्रिक्स देशों का आतंकवाद पर सख्त रुख
रियो डी जेनेरियो/ नई दिल्ली, 7 जुलाई (एजेंसियां)। रियो डी जेनेरियो में आयोजित शिखर सम्मेलन में संयुक्त घोषणापत्र में नेताओं ने आतंकवाद को “आपराधिक और अनुचित” बताया, चाहे उसका उद्देश्य या अपराधी कुछ भी हो।
घोषणापत्र में कहा गया है, "हम आतंकवाद के किसी भी कृत्य की कड़ी निंदा करते हैं, चाहे वह किसी भी उद्देश्य से किया गया हो, जब भी, जहां भी और किसी के द्वारा भी किया गया हो। हम 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हैं, जिसमें कम से कम 26 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए। हम आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही, आतंकवाद के वित्तपोषण और सुरक्षित पनाहगाहों सहित सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।"
ब्रिक्स नेताओं ने दोहराया कि आतंकवाद को किसी भी धर्म या पहचान से नहीं जोड़ा जाना चाहिए तथा उन्होंने सख्त जवाबदेही का आह्वान किया।
"हम दोहराते हैं कि आतंकवाद को किसी भी धर्म, राष्ट्रीयता, सभ्यता या जातीय समूह से नहीं जोड़ा जाना चाहिए तथा आतंकवादी गतिविधियों और उनके समर्थन में शामिल सभी लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए तथा प्रासंगिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।"
घोषणापत्र में कहा गया है, "हम आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता का आग्रह करते हैं और इसका मुकाबला करने में दोहरे मानकों को अस्वीकार करते हैं। हम आतंकवाद का मुकाबला करने में राज्यों की प्राथमिक जिम्मेदारी पर जोर देते हैं और वैश्विक प्रयासों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर और मानवाधिकारों, शरणार्थियों और मानवीय कानून पर प्रासंगिक सम्मेलनों सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन करना चाहिए।"
पहलगाम हत्याकांड की निंदा करने वाले बयान पर सभी 11 ब्रिक्स नेताओं ने हस्ताक्षर किए। इस समूह में भारत, ब्राजील, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात और इंडोनेशिया शामिल हैं।
नेताओं ने आतंकवाद निरोधक रणनीति और कार्य योजना के तहत ब्रिक्स आतंकवाद निरोधक कार्य समूह (CTWG) और इसके पांच उपसमूहों के काम का भी स्वागत किया और आगे सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के ढांचे के भीतर अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन को जल्द से जल्द अपनाने पर जोर दिया और संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित सभी आतंकवादियों और आतंकी संस्थाओं के खिलाफ “एकजुट कार्रवाई” का आग्रह किया।
यह बयान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल द्वारा बीजिंग में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सुरक्षा परिषद सचिवों की बैठक में पहलगाम हमले का मुद्दा उठाए जाने के कुछ सप्ताह बाद आया है। डोभाल ने पाकिस्तान से सरकारी समर्थन प्राप्त लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे समूहों के साथ-साथ अलकायदा, आईएसआईएस और उनके सहयोगियों से लगातार खतरे को रेखांकित किया।
भारत ने बार-बार एससीओ सदस्यों से आतंकवाद पर दोहरे मानदंडों को अस्वीकार करने तथा सीमापार आतंकवाद के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने का आग्रह किया है।
मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन मे क्यूबा, मेलेशिश विजतनाम व अन्य नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें की
रियो डी जेनेरियो/ नई दिल्ली, 7 जुलाई (एजेंसियां)।मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान रियो डी जनेरियो में अपनी यात्रा को चार दिवसीय महत्वपूर्ण मिशन में तब्दील किया, जिसमें उन्होंने मलेशिया, क्यूबा और वियतनाम के प्रमुख नेताओं के साथ द्विपक्षीय स्तर पर बातचीत की। मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम से हुई बैठक में दोनों नेताओं ने भारत–मलेशिया संबंधों की समीक्षा की, जिनमें व्यापार, निवेश, रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, एवं जन‑सम्पर्क जैसे विषय शामिल थे। मोदी ने हालिया पहलगाम आतंकी हमले पर मलेशिया की कड़ी निंदा के लिए आभार व्यक्त किया तथा ASEAN‑India मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की समीक्षा की गति बढ़ाने का आग्रह किया । उन्होंने मलेशिया की ASEAN अध्यक्षता की सराहना करते हुए क्षेत्रीय सुरक्षा और बहुपक्षीय सहयोग पर विचार-विमर्श को भी सुदृढ़ किया।
क्यूबा के राष्ट्रपति मिगुएल डियाज़-कैनल के साथ बातचीत की मुख्य रूप से आर्थिक सहयोग, फिनटेक, क्षमता निर्माण, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, आपदा प्रबंधन एवं स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित रही। डियाज़-कैनल ने भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और UPI प्रणाली में रुचि व्यक्त की, जिसे मोदी ने सकारात्मक संकेत के रूप में लिया। उन्होंने आयुर्वेद को क्यूबा की स्वास्थ्य प्रणाली में शामिल करने और भारतीय फार्माकोपिया को मान्यता दिलाने पर संभावनाएँ तलाशने की पेशकश की । दोनों नेता वैश्विक दक्षिण के स्वास्थ्य, महामारी तैयारी और जलवायु परिवर्तन जैसे साझा मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने के लिए सहमत हुए ।
वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह के साथ मोदी की बातचीत में क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और एक मुक्त व खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के साथ-साथ भारत की ‘Act East Policy’ को मजबूती देने की रणनीति प्रमुख थी। चीन, रूस और अन्य वैश्विक शक्तियों की अनुपस्थिति के बावजूद, इस बैठक से भारत-ASEAN साझेदारी में और गहराई लाने का संकेत मिला।
इस दौरान मोदी ने शिखर सम्मेलन में वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया, वैश्विक दक्षिण के लिए प्रतिनिधित्व की स्थिति मजबूत करने की अपील की, और जिम्मेदार एआई उपयोग तथा जलवायु न्याय को लेकर गंभीर दृष्टिकोण प्रस्तुत किया । उन्होंने घोषणा की कि भारत की अध्यक्षता में BRICS को ‘Building Resilience and Innovation for Cooperation and Sustainability’ के सिद्धांत पर पुनर्परिभाषित किया जाएगा ।
शिखर सम्मेलन में ब्राजील के राष्ट्रपति लूला, दक्षिण अफ्रीका के रामाफोसा सहित अन्य नेताओं की उपस्थिति रही, जबकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एवं रुस के राष्ट्रपति पुतिन अनुपस्थित रहे—शी जिनपिंग की गैरमौजूदगी को चीन की आधिकारिक व्याख्या कार्यक्रम टकराव बताई गई और यह शायद एक राजनैतिक संकेत भी थी । इस बात ने ब्रिक्स के एकजुटता और विभाजन की जटिलताओं को उजागर किया ।
समिति ने अमीर देशों पर वैश्विक जलवायु संक्रमण वित्तपोषित करने की जरूरत पर जोर दिया और ब्राजील की Tropical Forests Forever Facility जैसे प्रयोगों को समर्थन दिया। इस मौके पर अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प ने BRICS से जुड़े देशों पर 10% अतिरिक्त टैरिफ की धमकी दी, जिससे वैश्विक व्यापार पर संभावित दबाव दिखा
। वह बैठक अफ्रीकी, मध्य पूर्व और एशियाई देशों के विस्तार के साथ नई जटिलताओं और अवसरों को भी सामने लाई ।
इन द्विपक्षीय बैठकों और बहुपक्षीय संवादों के माध्यम से मोदी ने स्पष्ट संदेश दिया कि भारत आर्थिक, डिजिटल, स्वास्थ्य और भूराजनीतिक विविध सहयोग के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की भूमिका निभाने को प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भारत global south की आवाज़ को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर और मजबूती से उठाने का प्रयास कर रहा है। यह दौरब्राजील की मेजबानी और भारत की आगामी अध्यक्षता (BRICS 2026) की तैयारियों के बीच एक महत्वपूर्ण ट्रांजिशनल फेज है, जिसमें विविध देशों के साथ गठजोड़ राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर लंबी अवधि के सहयोग को सुनिश्चित करेगा।
कुल मिलाकर मोदी का यह दलगत दृष्टिकोण—द्विपक्षीय वार्ताओं और ब्रिक्स मंच से मिली व्यापक वैश्विक बातचीत—भारत की अंतरराष्ट्रीय रणनीति में सहयोग, संवाद और बहुपक्षीय संबंधों को मजबूती से स्थापित करता नजर आया।
#BRICSसम्मेलन, #आतंकवादनिंदा, #पहलागामहमला, #क्रिमिनलऔरअनुचित, #डबलस्टैंडर्डरोकें, #CTWG, #संयुक्तघोषणापत्र, #वैश्विकसुरक्षा, #UNसंयुक्तकार्रवाई, #ग्लोबलसाउथ