कैश वाले जज वर्मा पर एफआईआर नहीं होगी
बार-बार उजागर हो रहा सुप्रीम कोर्ट का पक्षपात
नई दिल्ली, 21 मई (एजेंसियां)। सुप्रीम कोर्ट का पक्षपात बार-बार बड़े ही विद्रूप तरीके से उजागर हो रहा है। दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर से मिले नोटों के जखीरे की लीपापोती में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका पूरे देश के सामने उजागर हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट उस कैश वाले जज के खिलाफ एफआईआर नहीं होने दे रही। जबकि देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ तक इस पर आपत्ति उठा चुके हैं। बुधवार को फिर सुप्रीम कोर्ट ने कैश भंडार वाले दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। यह याचिका देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में उनके आवास से अवैध नकदी बरामद होने के आरोपों की इन हाउस इंक्वायरी के आधार पर दाखिल की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने की। बेंच ने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश ने पहले ही इन हाउस इंक्वायरी कमेटी की रिपोर्ट और जस्टिस वर्मा का जवाब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दिया है। बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने कार्रवाई की मांग करते हुए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के सामने कोई भी प्रतिवेदन दायर नहीं किया है, इसलिए परमादेश की मांग करने वाली रिट याचिका पर विचार करने का कोई मतलब नहीं है। जैसे ही इस मामले की सुनवाई शुरू हुई जस्टिस ओका ने वरिष्ठ वकील नेदुंपरा से कहा, एक इंटरनल इंक्वायरी रिपोर्ट थी। इसे भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दिया गया है। इसलिए मूल नियम का पालन करें। अगर आप परमादेश रिट की मांग कर रहे हैं, तो आपको पहले उन अधिकारियों के सामने अभिवेदन करना होगा जिनके सामने यह मुद्दा पेंडिंग है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री द्वारा कार्रवाई की जानी है।
जस्टिस ओका ने कहा, हम यह नहीं कह रहे हैं कि आप रिपोर्ट दाखिल नहीं कर सकते। आपको रिपोर्ट की विषय-वस्तु नहीं पता है। हमें भी उस रिपोर्ट की विषय-वस्तु नहीं पता है। आप उन्हें कार्रवाई करने के लिए कहते हुए एक प्रतिवेदन दें। यदि वे कार्रवाई नहीं करते हैं, तो आप यहां आ सकते हैं। इसके बाद नेदुंपरा ने वीरास्वामी फैसले पर सवाल उठाया जिसके आधार पर इन-हाउस इंक्वायरी की गई थी और कहा कि फैसले पर फिर से विचार किया जाना चाहिए। जस्टिस ओका ने कहा कि आखिरकार आपकी मुख्य प्रार्थना यह है कि संबंधित जज के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि जज यशवंत वर्मा 14 मार्च को अपने आधिकारिक आवास के स्टोर रूम में आग लगने की रिपोर्ट के बाद जांच के दायरे में आए। उनके आवास से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की गई थी। 21 मार्च को भारत के चीफ जस्टिस ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की रिपोर्ट के बाद मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया। इसमें आगे की जांच की सिफारिश की गई थी। जज के घर पर कैश मिलने का मामला उपराष्ट्रपति धनखड़ भी कई बार उठा चुके हैं। पीठ ने याचिकाकर्ता मैथ्यूज नेदुम्परा और अन्य को पहले उचित कार्यकारी प्राधिकरण से सम्पर्क करने की सलाह दी। यह दूसरी बार था जब याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनका पिछला प्रयास भी खारिज कर दिया गया था।