सरकार की नाकामियां उजागर हुईं

बेंगलुरु भगदड़ कांडः हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया

सरकार की नाकामियां उजागर हुईं

मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख देगा आरसीबी

बेंगलुरु, 05 जून (एजेंसियां)। बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में भगदड़ मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने घटना का स्वतः संज्ञान लिया है। अदालत में दोपहर 2.30 बजे मामले की सुनवाई शुरू हुई। कोर्ट में कर्नाटक सरकार ने माना कि व्यवस्था-भ्रम के कारण दुर्घटना हुई लेकिन इस मामले में दोषारोपण के बजाय खामियों को दुरुस्त किए जाने की जरूरत है।

दूसरी तरफ रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) फ्रेंचाइजी ने चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भगदड़ में मारे गए 11 प्रशंसकों के परिवारों को 10-10 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है। फ्रेंचाइजी ने अपने बयान में कहा है कि मृतकों के परिजनों को मुआवजे के अलावा इस दुखद घटना में घायल हुए प्रशंसकों की सहायता के लिए आरसीबी केयर्स नामक एक कोष भी बनाया जा रहा है। बुधवार को चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई थी और 50 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को चिन्नास्वामी क्रिकेट स्टेडियम के पास हुई भगदड़ से संबंधित मामले की सुनवाई की। हाईकोर्ट ने कहा, हमने महाधिवक्ता के समक्ष अपनी बात रखी है। उन्होंने एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल की हैजिसे रिकॉर्ड में लिया गया है। रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि इस स्वत: संज्ञान को स्वत: संज्ञान रिट याचिका के रूप में पंजीकृत किया जाए। कोर्ट ने 10 जून को याचिका को फिर से सूचीबद्ध करने को कहा है।

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कोर्ट को बताया कि हम सबसे पहले यह अनुरोध करना चाहेंगे कि कोई दोषारोपण न हो। हम केवल तथ्यों को उसी रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैंजैसा कि वे घटित हुए थे। हम कोई प्रतिकूल दृष्टिकोण नहीं अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए 1000 से अधिक कर्मियों को तैनात किया गया था। स्टेडियम की क्षमता 35,000 है। आमतौर पर केवल 30,000 टिकट ही बिकते हैं। इस बार लगभग 2.5 लाख लोग यह सोचकर आए कि प्रवेश निःशुल्क है।

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सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) शशि किरण शेट्टी ने बताया कि समारोह में नि:शुल्क प्रवेश की घोषणा के कारण भारी भीड़ उमड़ीजिससे भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार इस मामले को विरोधात्मक तरीके से देखने का इरादा नहीं रखती हैबल्कि यह समझने का प्रयास कर रही है कि चूक कहां हुई ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियां न दोहराई जाएं। महाधिवक्ता ने बताया कि पूरे शहर में सुरक्षा बल तैनात थेलेकिन चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर स्थिति अनियंत्रित हो गई। हर व्यक्ति यह सोच रहा था कि बस वह एक और अंदर जा रहा हैजबकि असल में वहां भारी जनसैलाब था।

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कोर्ट ने कहा कि ऐसे बड़े सार्वजनिक आयोजनों के लिए स्पष्ट मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) होनी चाहिए। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि ऐसी जगहों पर एम्बुलेंस और निकटवर्ती अस्पतालों की जानकारी स्पष्ट होनी चाहिए। इस पर महाधिवक्ता ने स्वीकार किया कि एम्बुलेंस मौजूद थींलेकिन इतनी बड़ी आपात स्थिति के लिए पर्याप्त नहीं थीं। महाधिवक्ता ने बताया कि इस मामले में मजिस्ट्रेट जांच शुरू कर दी गई है और यह 15 दिनों में पूरी हो जाएगी। सभी मौतें और घायल होने की घटनाएं कुल 21 में से केवल तीन गेटों पर हुईं।

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उन्होंने कोर्ट को बतायासरकार ने इसे अत्यंत गंभीरता से लिया है और सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर दिए गए हैंजिसमें कार्यक्रम प्रबंधन एजेंसी भी शामिल है। हम संभावित चूकों की जांच कर रहे हैंकिसी को बख्शा नहीं जाएगा। जांच अधिकारी ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर लोगों से साक्ष्य और जानकारी साझा करने की अपील की है। सभी गवाहियों की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी और अदालत में पेश की जाएगी। पूरी पारदर्शिता हैकुछ भी छिपाया नहीं जा रहा है।

पीआईएल याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता जी आर मोहन ने बताया कि मुफ्त प्रवेश की घोषणा आईपीएल फ्रेंचाइजी के प्रतिनिधि द्वारा की गई थी। भारी भीड़ के बावजूदकेवल तीन गेट खुले रखे गएजिससे अड़चनें और अराजकता पैदा हुई। वरिष्ठ अधिवक्ता अरुणा श्याम ने अदालत से निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी नियुक्त करने पर विचार करने का आग्रह किया। कर्नाटक सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि शहर के पुलिस आयुक्तडीसीपी और एसीपी समेत 1,000 से ज्यादा पुलिसकर्मी एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के आसपास तैनात थे। यह बात डीके शिवकुमार के उस दावे के एक दिन बाद कही गईजिसमें उन्होंने दावा किया था कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए 5,000 पुलिसकर्मी मौजूद थे। सरकार ने कहा कि पानी के टैंकरएंबुलेंस और कमांड और कंट्रोल वाहन भी मौजूद थे। यह इंतजाम पिछले मैचों के दौरान किए गए काम से कहीं ज्यादा थे।

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