चीन के लोग खूब खा रहे पाकिस्तानी गधे
पाकिस्तानियों की नहीं, पाकिस्तानी गधों की बढ़ी पूछ
गधे कटवाकर पाकिस्तान के लोगों को हो रही रोटी मयस्सर
इस्लामाबाद, 05 जून (एजेंसियां)। पाकिस्तानियों की तो कहीं कोई पूछ नहीं, लेकिन पाकिस्तानी गधों की मांग खूब है। चीन के लोग बहुत स्वाद लेकर पाकिस्तानी गधों का मांस खा रहे हैं और पाकिस्तानी गधों का दूध भी पी रहे हैं। चीन में पाकिस्तानी गधों से कई दवाएं बनाई जा रही हैं और गधों की खाल का इस्तेमाल हो रहा है। आर्थिक दुनिया के जानकारों का कहना है कि पाकिस्तानी गधे अपनी जान देकर पाकिस्तानियों के लिए रोटी का इंतजाम करा रहे हैंय़
पाकिस्तान चीन को पाकिस्तानी गधा और गधे का मांस दोनों ही निर्यात करता है. चीन को गधे का मांस भेजने के लिए पाकिस्तान ने ग्वादर में गधा फार्म बनाया गया है। पाकिस्तानी गधे का मांस चीन का लोकप्रिय व्यंजन है। गधों के बूते पाकिस्तान के लोग जी रहे हैं। चीन पाकिस्तानी गधे खरीद रहा है और पाकिस्तान गधों को पाल रहा है। पाकिस्तान के निष्पक्ष लोग कहते हैं कि आतंकवादियों को पालने-पोसने से तो अच्छा है गधे पालना। पाकिस्तान में गधों की संख्या 60 लाख 47 हजार की संख्या को पार कर गई है। पिछले एक साल में ही पाकिस्तानी गधों की संख्या एक लाख पार कर गई।
पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स (पीबीएस) की रिपोर्ट कहती है कि पाकिस्तान में पिछले साल कुल गधों की जनसंख्या 59.38 लाख थी। लेकिन सालभर में यह जनसंख्या 1 लाख 9 हजार और बढ़ गई है। चीन पाकिस्तान से गधों का भारी मात्रा में आय़ात करता है। वहां इसकी खाल और मांस दोनों की ही अच्छी खासी मांग है। चीन में पाकिस्तानी गधे की खाल का इस्तेमाल करके ई-जियाओ नाम की औषधीय जिलेटिन तैयार किया जाता है। इसका इस्तेमाल पारंपरिक चीनी चिकित्सा में किया जाता है। ई-जियाओ का चीन के शेडांग प्रांत में उत्पादन किया जाता है। इसके लिए चीन को प्रतिवर्ष लाखों गधे की खाल की जरूरत होती है। लिहाजा, पाकिस्तानी गधों से चीनियों को मांस और दूध भी मिल जाता है और गधों की खाल से उनकी दवा भी तैयार हो जाती है।
आधिकारिक आंकड़ा बताता है कि चीन में हर साल करीब 60 लाख पाकिस्तानी गधे कटते हैं। ब्रिटेन की पशु कल्याण संस्था द डंकी सैंक्चुअरी ने अपनी रिपोर्ट में यह आंकड़ा प्रस्तुत किया है। चीन की गधा-मांग पूरी करने के लिए पाकिस्तान के ग्वादर शहर में स्लॉटर हाउस खोल दिया गया है। इस बूचड़खाने का संचालन भी चीनी कंपनी हांगेंग ट्रेड करती है। गधों के लिए पाकिस्तान ने चीन के साथ बाकायदा एक समझौता किया है। गधों के निर्यात से पाकिस्तान पैसे कमा रहा है। गधों की कमी से उत्साहित पाकिस्तान ने न केवल ग्वादर बल्कि कराची में गधा-फार्म खोल लिया है।
ग्वादर के बूचड़खाने में पाकिस्तानी गधों की कटाई होती है और वहां से गधों का मांस, हड्डियां और खाल चीन भेजे जाते हैं। पाकिस्तान के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं अनुसंधान मंत्रालय का कहना है कि पाकिस्तान ने चीन के साथ 2,16,000 गधों की खाल और मांस की सालाना आपूर्ति का करार किया है। पाकिस्तान के खाद्य सुरक्षा और अनुसंधान मंत्री राणा तनवीर हुसैन ने चीनी प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक में कहा था कि यह करार न केवल निर्यात को बढ़ावा देगा बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया था कि पाकिस्तानी गधों की नस्लों को संरक्षित करने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएंगे।
पाकिस्तान की गधा-इकोनॉमी ने सामाजिक और सांस्कृतिक बहस को भी जन्म दिया है, पाकिस्तान के कई पशुप्रेमी और गैर सरकारी संगठन इस व्यवसाय को अनुचित मानते हैं और वे इसके खिलाफ अभियान चला रहे हैं। ग्वादर में बूचड़खाना बनने का बलूचिस्तान के लोगों ने कड़ा विरोध किया था। ग्वादर बलूचिस्तान में ही है। यहां के लोग चीनी प्रोजेक्ट्स से हमेशा से नाखुश रहते हैं। इनका आरोप है कि पाकिस्तान सरकार चीन के साथ मिलकर इनके संसाधनों का दोहन कर रही है।
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