शर्मिष्ठा पनोली को कलकत्ता हाईकोर्ट से जमानत

शर्मिष्ठा सुरक्षा देने का आदेश

 शर्मिष्ठा पनोली को कलकत्ता हाईकोर्ट से जमानत

कोलकाता, 05 जून (एजेंसियां)। कोलकाता पुलिस द्वारा पिछले दिनों गिरफ्तार की गई 22 साल की छात्रा शर्मिष्ठा पनोली को आज कलकत्ता हाईकोर्ट ने जमानत दे दी। कोलकाता पुलिस ने शर्मिष्ठा को हरियाणा के गुरुग्राम जाकर गिरफ्तार किया था। पहलगाम हादसे के बाद सोशल मीडिया पर पाकिस्तानियों और भारतीय वर्णसंकरों द्वारा फैलाई जा रही गंदगी का जवाब देने पर बंगाल की मुस्लिम तुष्टिकरण की संकेतनारी ममता बनर्जी की पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन हिंदू देवी देवताओं के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करने और शर्मिष्ठा पनोली को गंदी और अश्लील धमकियां देने वाले पाकिस्तानी दलाल वजाहत खान को बंगाल पुलिस संरक्षण दे रही है। विडंबना यह है कि शर्मिष्ठा ने सोशल मीडिया से अपना पोस्ट हटा कर माफी भी मांग ली, लेकिन फिर भी उसे गिरफ्तार किया गया।

कानून की छात्रा शर्मिष्ठा पनोली को कलकत्ता हाईकोर्ट ने आज अंतरिम जमानत दे दी। यह जमानत उन्हें 10 हजार के निजी मुचलके (बॉन्ड) पर मिली है। हाईकोर्ट ने शर्मिष्ठा के विदेश यात्रा करने पर भी रोक लगा दी है। कोलकाता पुलिस ने शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी के लिए आपाधापी दिखाते हुए गुरुग्राम की स्थानीयट अदालत से कहा था शर्मिष्ठा का परिवार फरार था। जबकि शर्मिष्ठा के पिता पृथ्वीराज पनोली ने कहा है कि कोलकाता पुलिस ने उनके परिवार को लेकर गलत दावे पेश किए हैं। पृथ्वीराज ने कहा कि जिस दिन पुलिस कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट लेने गईमैं खुद कोलकाता पुलिस के साथ बैठा था। इसके बावजूद कोलकाता पुलिस ने कहा कि हमारा परिवार फरार है। यह बिल्कुल गलत है।

शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी और जेल तक मिल रही धमकियों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसीने सीधा हस्तक्षेप किया था। आयोग ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि शर्मिष्ठा पनोली की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाए। आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने बताया कि शर्मिष्ठा को गिरफ्तार होने के बाद से बलात्कार और जान से मारने की कई धमकियां मिल रही थीं, जिसके बाद आयोग ने यह कदम उठाया।

शर्मिष्ठा की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दरम्यान पिछले दिनों कलकत्ता हाईकोर्ट ने फूहड़ टिप्पणी करते हुए कहा था कि जमानत नहीं मिली तो कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा। ऐसा कमेंट करने वाले हाईकोर्ट को खदीजा शेख वाले मामले में ऐसा क्यों नहीं लगा था। तब तो खदीजा शेख को यह कहते हुए फौरन जमानत दे दी गई थी कि लड़की की जिंदगी खराब नहीं की जा सकती। जबकि खदीजा युवती है और शर्मिष्ठा पनोली एक लड़की। प्रगतिशील दिखने के फैशन पर चलने वाली अदालतों को नूपुर शर्मा की त्रासदी भी याद नहीं रहती, जिन्होंने बदतमीज मौलाना को माकूल जवाब दिया तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें खुलेआम गंदी गालियां दी गईं और सिर तन से जुदा करने की धमकियां दी गईं, इस पर अदालतों ने कोई संज्ञान क्यों नहीं लिया?

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