सोनिया और राहुल ने मनी-लॉन्ड्रिंग से बनाए 142 करोड़
ईडी ने नेशनल हेराल्ड केस के तथ्यों से कोर्ट को अवगत कराया
मनी-लॉन्ड्रिंग मामले की 2 जुलाई से होगी रोजाना सुनवाई
नई दिल्ली, 21 मई (एजेंसियां)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस के सारे तथ्य अदालत में पेश कर दिए हैं। इन तथ्यों के आधार पर दो जुलाई से दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में लगातार सुनवाई चलेगी। ईडी ने कोर्ट को बताया है कि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए 142 करोड़ से अधिक रुपए बनाए। मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए की गई कमाई में सोनिया राहुल के अतिरिक्त सैम पित्रोदा और सुमन दुबे भी शामिल थे। यह राशि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के जरिए नेशनल हेराल्ड अखबार चलाने वाली कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) से प्राप्त किराए की आय से जुड़ी है। प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत को बताया है कि नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी तथा अन्य के खिलाफ पहली नजर में धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) का मामला बनता है।
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले की सुनवाई बुधवार (21 मई 2025) को हुई। इस हाई-प्रोफाइल मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ईडी ने कोर्ट को बताया कि आरोपियों ने अपराध की आय से 142 करोड़ रुपए का फायदा उठाया। यह राशि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के जरिए नेशनल हेराल्ड अखबार चलाने वाली कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) से प्राप्त किराये की आय से जुड़ी है। ईडी के विशेष वकील जोहेब हुसैन ने कोर्ट में दावा किया कि यंग इंडियन के 76 प्रतिशत मालिक सोनिया और राहुल गांधी ने केवल 50 लाख रुपए का भुगतान करके 90.25 करोड़ रुपए की सम्पत्ति हासिल की।
ईडी ने कोर्ट में यह भी कहा कि गांधी परिवार ने न सिर्फ मनी लॉन्ड्रिंग की, बल्कि अपराध की आय को अपने पास रखकर इस अपराध को और बढ़ाया। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कोर्ट को बताया कि यंग इंडियन ने एजेएल के शेयरों का दुरुपयोग किया, जिसके जरिए भारी मुनाफा कमाया गया। नवंबर 2023 में ईडी ने नेशनल हेराल्ड से जुड़ी 751.9 करोड़ रुपए की सम्पत्तियों को जब्त किया था, जिसके बाद यह मामला और सुर्खियों में आ गया। राजू ने कोर्ट में यह भी स्पष्ट किया कि आरोपियों ने तब तक इस आय का लाभ उठाया, जब तक ईडी ने कार्रवाई नहीं की।
यह मामला मूल रूप से 2012 में सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत से शुरू हुआ था। स्वामी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि गांधी परिवार ने यंग इंडियन के जरिए एजेएल को धोखाधड़ी, आपराधिक दुरुपयोग और विश्वासघात के जरिए हासिल किया। 2010 में एजेएल में 1,057 शेयरधारक थे, लेकिन स्वामी का दावा है कि यंग इंडियन ने गलत तरीके से कंपनी पर नियंत्रण हासिल कर लिया। ईडी ने इस मामले की जांच 2014 में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत शुरू की थी, जब एक ट्रायल कोर्ट ने स्वामी की निजी आपराधिक शिकायत के आधार पर आयकर जांच में अनियमितताओं का संज्ञान लिया।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वरिष्ठ वकीलों अभिषेक मनु सिंघवी और आरएस चीमा ने दस्तावेजों की जांच के लिए और समय मांगा। उन्होंने कहा कि उन्हें हाल ही में करीब 5,000 पन्नों के दस्तावेज मिले हैं और मई का महीना कोर्ट और वकीलों के लिए व्यस्त रहता है। इसलिए उन्होंने जून के अंत या जुलाई के पहले सप्ताह तक का समय मांगा। कोर्ट ने उनकी मांग को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए मामले को 2 जुलाई से 8 जुलाई तक रोजाना सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला एमपी-एमएलए कोर्ट के दायरे में आता है, इसलिए नियमित सुनवाई जरूरी है।
इसके अलावा कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी की उस याचिका को भी मंजूरी दे दी, जिसमें उन्होंने नेशनल हेराल्ड केस की चार्जशीट और अन्य दस्तावेजों की कॉपी मांगी थी। ईडी ने सुनवाई के दौरान यह दलील दी कि सरकारी मंजूरी की जरूरत नहीं है, क्योंकि चार्जशीट एक अधिकृत अधिकारी के जरिए दायर की गई है, जो ईडी में सहायक निदेशक के पद पर है। राजू ने एक सरकारी आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सरकार किसी अधिकारी को धारा 45 के तहत शिकायत दायर करने के लिए अधिकृत कर सकती है।
हाल ही में आरोपपत्र दाखिल करने वाली ईडी ने 2021 में अपनी जांच शुरू की थी, जब एक मजिस्ट्रेट अदालत ने 26 जून 2014 को स्वामी की ओर से दायर एक निजी शिकायत पर संज्ञान लिया था। नेशनल हेराल्ड धन शोधन मामले में संघीय एजेंसी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि आरोपी तब तक अपराध की आय का आनंद ले रहे थे जब तक कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नवंबर 2023 में नेशनल हेराल्ड से जुड़ी 751.9 करोड़ रुपए की सम्पत्ति जब्त नहीं कर ली।
ईडी ने दावा किया कि गांधी परिवार ने न केवल अपराध से प्राप्त धन को अर्जित करके धन शोधन किया, बल्कि उस पैसे को अपने पास भी रखा। ईडी ने बताया कि नेशनल हेराल्ड के संबंध में सोनिया गांधी, सैम पित्रोदा, सुमन दुबे और अन्य के खिलाफ प्रथम दृष्टया धन शोधन का मामला सामने आया है। इस बीच, न्यायाधीश ने संघीय एजेंसी को शिकायतकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी को एक प्रति उपलब्ध कराने का आदेश दिया। ईडी ने 2021 में अपनी जांच शुरू करने के बाद हाल ही में अपना आरोपपत्र दाखिल किया।
नेशनल हेराल्ड मामले में पहली शिकायत 2012 में दर्ज की गई थी। हालांकि, ईडी ने 2014 में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामले की जांच शुरू की। यह तब हुआ जब एक ट्रायल कोर्ट ने 2012 में स्वामी की ओर से दायर एक निजी आपराधिक शिकायत के आधार पर अनियमितताओं की आयकर जांच का संज्ञान लिया था। आरोपों के अनुसार 2010 में, नेशनल हेराल्ड प्रकाशित करने वाली एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) में 1,057 शेयरधारक थे। स्वामी की शिकायत के अनुसार, गांधी परिवार ने धोखाधड़ी, आपराधिक गबन और विश्वासघात के जरिए यंग इंडियन लिमिटेड (वाईआईएल) का इस्तेमाल कर एजेएल का अधिग्रहण किया।
2008 में भारी कर्ज के बोझ तले दबी एजेएल ने वित्तीय तंगी का हवाला देते हुए नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन बंद कर दिया। दो साल बाद वाईआईएल बना। सोनिया और राहुल गांधी के पास इसके 38-38 फीसदी शेयर थे, जो संयुक्त रूप से 78 फीसदी था। चूंकि एजेएल पर कांग्रेस का 90.25 करोड़ रुपए बकाया था, इसलिए पार्टी ने 50 लाख रुपए में इस लोन को वाईआईएल को हस्तांतरित कर दिया। इस हस्तांतरण के साथ ही एजेएल का नियंत्रण वाईआईएल को हस्तांतरित हो गया, अब इस पर अब एजेएल का 99 प्रतिशत स्वामित्व है। ये सारे बदलाव राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) या किसी अन्य नियामक संस्था की निगरानी के बगैर किया गया। जिससे इस लेनदेन पर सवाल उठने लगे।