भारत बनाएगा 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान
देश में एएमसीए लड़ाकू विमान बनाने को मिली मंजूरी
चुनिंदा ताकतवर देशों में शामिल हो जाएगा भारत
नई दिल्ली, 28 मई (एजेंसियां)। भारत की पहले पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) को विकसित करने के कार्यक्रम को मंजूरी मिल गई है। इससे पहले पिछले साल सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने पांचवीं पीढ़ी के मल्टीरोल फाइटर जेट विकसित करने के लिए 15 हजार करोड़ रुपए के कार्यक्रम को मंजूरी दी थी। पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान बनते ही भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जिनके पास वायुसेना में दुनिया की सबसे आधुनिक तकनीक के फाइटर जेट मौजूद हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बनाए गए सबसे पहले फाइटर जेट्स को पहली पीढ़ी का लड़ाकू विमान कहा गया। इनमें सोवियत संघ का मिग-15 और अमेरिका का एफ-86 सैबर जेट शामिल थे। इन लड़ाकू विमानों में पहली बार तेज उड़ान भरने में सक्षम जेट इंजन का इस्तेमाल हुआ। दूसरी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में पहली बार आवाज की गति से तेज उड़ने वाले लड़ाकू विमान दुनिया के सामने आए। तीसरी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में बेहतर रडार और हवा से हवा में मार करने की क्षमता के साथ हवा से जमीन पर सधे निशाने लगाने की क्षमता विकसित की गई। इन्हें ही लड़ाकू विमानों की दुनिया में मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट कहा गया। इसके बाद चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में ज्यादा आधुनिक हथियार लगाए गए। इनमें बियॉन्ड विजुअल रेंज यानी जिस निशाने को लक्षित किया जा रहा है, वहां तक बिना पहुंचे ही उसे मार गिराने की क्षमता हासिल की गई। चौथी पीढ़ी और पांचवीं पीढ़ी के बीच में एक और पीढ़ी भी सामने आई जिसमें लड़ाकू विमानों में रडार को चकमा देने की स्टेल्थ तकनीक विकसित की गई। इस वर्ग के फाइटर जेट्स गति और गुप्त तरीके से दुश्मन के रडार से बच निकलते हैं।
अब दुनिया पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स की तरफ बढ़ चुकी है। इस मामले में अमेरिका सबसे आगे है। उसके एफ-22 रैप्टर और एफ-35 सबसे मजबूत पांचवीं पीढ़ी के एयरक्राफ्ट्स हैं। इसके अलावा चीन के जे-20 और जे-35 और रूस का एसयू-56 इसी तर्ज पर बने लड़ाकू विमान हैं। पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान 21वीं सदी में सबसे आधुनिक फाइटर जेट्स हैं। कई देश छठी पीढ़ी पर भी काम कर रहे हैं, लेकिन अभी वह प्रोटोटाइप स्टेज तक ही सीमित हैं। दूसरी तरफ पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान अपनी तेज गति और रडार की पकड़ में न आने की क्षमता (स्टेल्थ), कलाबाजी खाने में सक्षम ढांचे (एयरफ्रेम), बिना इंजन की पूरी ताकत इस्तेमाल किए लंबे समय तक आवाज की गति से तेज रफ्तार में उड़ने की क्षमता (सुपर क्रूज) और बेहतरीन इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम (एवियॉनिक्स) के लिए जाने जाते हैं। सीधे शब्दों में समझें तो पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान अपने कमांड, नियंत्रण और संचार क्षमताओं की वजह से उन्नत हैं, जिनमें सभी कंट्रोल्स पायलट के इशारों पर मौजूद होते हैं।
भारत जिस एएमसीए को बनाने की तैयारी कर रहा है, वह दो इंजन वाला 25 टन का एयरक्राफ्ट होगा। इसे भारतीय वायुसेना में मौजूद बाकी लड़ाकू विमानों से थोड़ा बड़ा बनाया जाएगा। इसमें तेज गति और ध्वनिरहित चाल का विशेष ध्यान रखा जाना है, ताकि यह दुश्मन देशों की रडार की पकड़ में न आ पाए। डीआरडीओ की एयरोनॉटिक्स डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) भारत के पहले पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट को दुनिया के अन्य इसी वर्ग के एयरक्राफ्ट्स से बेहतर बनाने की कोशिश में है।
इस लड़ाकू विमान में एक बड़ा फ्यूल टैंक लगाया जाएगा, जो कि ढांचे के अंदर मौजूद होगा। इसकी क्षमता 6.5 टन ईंधन रखने की होगी। इसके अलावा लड़ाकू विमान में अंदरूनी हथियार भंडार होगा, जिसमें अधिकतर स्वदेशी स्तर पर बने हथियार और मिसाइलें रखी जाएंगी। इसके अलावा आधुनिक बम और बड़ी कैलिबर वाली बंदूकों को भी इस एयरक्राफ्ट में लगाया जा सकता है।
एएमसीए के जो पहले कुछ लड़ाकू विमान एमके-1 बनाए जाने हैं, उनमें अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिकल्स के जीई-414 इंजन लगाना तय किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति रहे जो बाइडन के बीच जो समझौता हुआ था, उसके तहत इंजन का निर्माण साझा तौर पर भारत में होना है। यह इंजन अपनी श्रेणी में सबसे ताकतवर माने जाते हैं और एक बार में 90 किलोन्यूटन (केएन) तक की ऊर्जा पैदा कर सकते हैं। एडीए ने लक्ष्य रखा है कि जब एएमसीए अपने एमके-2 मॉडल तैयार करेगा तो इसमें स्वदेशी इंजन लगाए जाएंगे, जो एक बार में 110 किलो न्यूटन की ताकत पैदा कर सकेंगे। इनका निर्माण डीआरडीओ और किसी अन्य भारतीय या विदेशी फर्म के सहयोग से होना है। बताया गया है कि भारत इसके लिए फिलहाल फ्रांस की साफरान एसए से बातचीत कर रहा है। यह कंपनी दुनिया में एयरक्राफ्ट इंजन बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी है। अपने इस कदम के जरिए भारत आने वाले समय में खुद से ही लड़ाकू विमानों के इंजन बना सकेगा। भारत की पांचवीं पीढ़ी के एयरक्राफ्ट में एयरफ्लो को भी नियंत्रित किए जाने की तैयारी है। दरअसल, कई रडार इंजन में जाने वाली हवा के बहाव में बदलाव के जरिए फाइटर जेट की लोकेशन को पकड़ सकते हैं। ऐसे में भारत इस फीचर को परिष्कृत करने की तैयारी की जा रही है।
भारत के पास इस वक्त जो लड़ाकू विमान मौजूद हैं, उनमें अधिकतर रूस और फ्रांसीसी मूल के लड़ाकू विमान हैं। जहां भारतीय वायुसेना रूस के दूसरी-तीसरी और चौथी पीढ़ी के विमान इस्तेमाल कर रही है, वहीं फ्रांस की तरफ से हमें तीसरी, चौथी और उसके बीच की पीढ़ी के लड़ाकू विमान मिले हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो भारत की तरफ से बनाया जा रहा पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान वायुसेना के सभी मौजूदा विमानों से ज्यादा आधुनिक होगा।
कावेरी इंजन की रूस में हो रही है टेस्टिंग
नई दिल्ली, 28 मई (एजेंसियां)। रक्षा शोध एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ड्रोन की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए रूस में कावेरी इंजन की टेस्टिंग कर रहा है। अभी कावेरी इंजन का परीक्षण 25 घंटे और चलेगा। इसके बाद यह भारत के स्टेल्थ अटैक ड्रोन यूसीएवी में संलग्न किया जाएगा। यूसीएवी को भारत में बनाया जा रहा है और इसके जल्द ही अंतिम रूप लेने की संभावना है। डीआरडीओ भारत के स्वदेशी एयरक्राफ्ट एलसीए तेजस को भी अपग्रेड करने की योजना पर काम कर रहा है।
कावेरी या ऐसा कोई भी इंजन बड़े कार्गो विमानों पर टेस्ट किया जाता है। इन्हें टेस्टबेड कहा जाता है। भारत के पास कोई ऐसा टेस्टबेड नहीं है। इसके चलते कावेरी इंजन की टेस्टिंग भारत में न हो कर रूस में की जा रही है। कावेरी उस इंजन प्रोग्राम का नाम है, जिसे डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) विकसित कर रहा है। कावेरी इंजन को आने वाले समय में स्वदेशी लड़ाकू विमानों में लगाया जाएगा। इस पर लम्बे समय से काम चल रहा है।