जाति के साथ होगी नागरिकों की गिनती

भारत सरकार की घोषणा : 2026 में होगी जनगणना

जाति के साथ होगी नागरिकों की गिनती

पहाड़ी राज्यों में अक्टूबर 2026 से शुरू होगी गणना

नई दिल्ली, 04 जून (एजेंसियां)। देश में 16 साल बाद जनगणना होगी। 10 वर्ष के अंतराल पर जनगणना कराए जाने के नियमानुसार वर्ष 2021 में जनगणना कराई जानी थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे टाल दिया गया था। इससे पहले साल 2011 में जनगणना हुई थी। केंद्र सरकार देश में जाति जनगणना का ऐलान पहले ही कर चुकी है। अब सरकार ने तारीखों का भी ऐलान कर दिया है।

भारत में 1 अक्टूबर 2026 से जाति गणना के साथ जनगणना शुरू होगी। यह जनगणना देशभर में दो चरणों में कराई जाएगी। जनगणना के आंकड़े सरकार के लिए नीति बनाने और उन पर अमल करने के साथ-साथ देश के संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित करने के लिए बेहद अहम होते हैं। वहीं राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को भी अपडेट करने का काम बाकी है। पहाड़ी राज्यों जैसे लद्दाखजम्मू कश्मीरउत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में 1 अक्टूबर 2026 से जनगणना शुरू होगी। वहीं मैदानी इलाकों में जातीय जनगणना की शुरुआत 1 मार्च 2027 में होगी। साल 2026 में जनगणना के बाद से भविष्य में जनगणना का चक्र बदल जाएगा। जो पहले 1951 से शुरू हुआ था वो बदलकर 2027-2037 और फिर 2037 से 2047 हो जाएगी।

गृह मंत्रालय बताया कि जातियों की गणना के साथ-साथ दो चरणों में जनसंख्या जनगणना-2027 आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। जनसंख्या जनगणना-2027 के लिए संदर्भ तिथि मार्च2027 के पहले दिन 00:00 बजे होगी। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर और हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के गैर-समकालिक बर्फीले क्षेत्रों के लिएसंदर्भ तिथि अक्टूबर 2026 के पहले दिन 00.00 बजे होगी। उपरोक्त संदर्भ तिथियों के साथ जनसंख्या जनगणना आयोजित करने के इरादे की अधिसूचना जनगणना अधिनियम 1948 की धारा 3 के प्रावधान के अनुसार 16.06.2025 को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी।

केंद्र सरकार की इस घोषणा के साथ ही यह स्पष्ट हो गया कि यह सामान्य जनगणना नहीं बल्कि जातीय जनगणना हो रही है। नागरिकों की गिनती की औपचारिकता जाति जनगणना से पूरी हो जाएगी। इस जनगणना में सरकारी कर्मचारी (एन्यूमेरेटर) जाति से जुड़ा सवाल पूछेंगे। 30 अप्रैल को कैबिनेट बैठक में मोदी सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय लिया थाअब इसकी तारीख भी सामने आ गई है। जाति जनगणना का सीधा सा मतलब हैदेश में रहने वाले अलग-अलग जाति के लोगों की गिनती होगी। इससे यह तस्वीर साफ हो जाएगी कि देश में किस जाति के कितने लोग मौजूद हैं। जाति जनगणना से इसके स्पष्ट आंकड़े सामने आ पाएंगे।

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देश में जातिगत जनगणना की शुरुआत अंग्रेजों के दौर में ही शुरू हो गई थी। आखिरी बार पूर्ण जाति जनगणना 1931 में कराई थी। तभी तय हो गया था कि इसे हर 10 साल में कराया जाएगा। हालांकि जाति के आंकड़े सामने नहीं रखे गए और तर्क दिया गया कि जाति आधारित टेबल नहीं तैयार हो पाई थी। आजाद भारत की पहली जनगणना साल 1951 में हुई। इसमें पिछड़ा वर्ग को शामिल नहीं किया गया था। इसके बाद साल 1961 से 2001 तक हुई जनगणना में जातियों को नहीं शामिल किया गया। साल 2011 में जातियों का सामाजिक-आर्थिक आंकड़े को इकट्ठा किया गयालेकिन आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया गया। जातिगत जनगणना का विरोध करने वालों का कहना है कि अगर इस जनगणना में ओबीसी की आबादी अधिक निकली तो सुप्रीम कोर्ट की तरफ से तय की गई आरक्षण की सीमा पार हो जाएगी। इससे ओबीसी को और भी ज्यादा आरक्षण मिलेगा। इसका नुकसान दलितों को होगा। जातीय जनगणना से देश में जातियों का बंटवारा और भेदभाव पैदा होगा। ऐसी जनगणना जातिगत व्यवस्था को और मजबूती देगी। जातिगत जनगणना की जगह सरकार को व्यक्तिगत अधिकार और समान अवसर देने पर फोकस करना चाहिए।

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पिछली जनगणना के रिकॉर्ड को देखेंगे तो पाएंगे कि हर बार सवालों की संख्या में इजाफा हुआ है। 2001 के मुकाबले 2011 में हुई जनगणना में कई अतिरिक्त सवाल पूछे गए थे। जैसे, आपका घर आपके ऑफिस से कितनी दूरी पर है। 2001 की जनगणना में नामजिला और राज्यों से जुड़े बेसिक सवाल पूछे गए थे। वहीं2011 में व्यक्ति के गांव का नाम भी शामिल किया गया था। अब सवालों में व्यक्ति का नामजेंडरमाता-पिता का नामजन्म की तारीखवैवाहिक स्थितिवर्तमान और अस्थायी पतापरिवार के मुखिया का नामउससे सम्बन्ध भी पूछा जाएगा। ऐसे 30 सवाल पूछे जाएंगे।

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भारत में हर 10 साल में जनगणना होती है। पहली जनगणना 1872 में हुई थी। 1947 में आजादी मिलने के बाद पहली जनगणना 1951 में हुई थी और आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी। आंकड़ों के मुताबिक2011 में भारत की कुल जनसंख्या 121 करोड़ थीजबकि लिंगानुपात 940 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष और साक्षरता दर 74.04 फीसदी था। देश में जनगणना की शुरुआत 1881 में हुई थी। पहली बार हुई जनगणना में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी हुए थे। इसके बाद हर दस साल पर जनगणना होती रही। 1931 तक की जनगणना में हर बार जातिवार आंकड़े भी जारी किए गए। 1941 की जनगणना में जातिवार आंकड़े जुटाए गए थेलेकिन इन्हें जारी नहीं किया गया। आजादी के बाद से हर बार की जनगणना में सरकार ने सिर्फ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के ही जाति आधारित आंकड़े जारी किए। अन्य जातियों के जातिवार आंकड़े 1931 के बाद कभी प्रकाशित नहीं किए गए।