भगदड़ की त्रासदी के लिए पुलिस को दोषी ठहराने पर सरकार के खिलाफ भारी जनाक्रोश
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| चिन्नास्वामी स्टेडियम भगदड़ मामले में अपनी मर्जी से फैसला लेने वाली राज्य सरकार ने आखिरकार अपनी गलती छिपाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को दंडित किया है|
सोशल मीडिया पर हैशटैग अभियान ‘आई स्टैंड विद दयानंद’ जोर पकड़ रहा है| जैसा कि राज्य सरकार ने निलंबन आदेश प्रक्रिया में उल्लेख किया है, आरसीबी टीम के सीईओ ने सिटी पुलिस कमिश्नर बी. दयानंद से कहा कि वे ३ जून को आईपीएल सीरीज जीतने के लिए ४ जून को विजय जुलूस और जश्न मनाएंगे| लेकिन पुलिस कमिश्नर दयानंद आरसीबी फ्रेंचाइजी प्रबंधन बोर्ड को लिखित राय देने में विफल रहे|
उन्होंने अनुमति देने से इनकार किया क्योंकि कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जा सकता था और संबंधित सुरक्षा व्यवस्था कम समय में संभव नहीं थी| यह सच है कि अगर पुलिस कमिश्नर ने आरसीबी फ्रेंचाइजी प्रबंधन को जश्न की अनुमति देने से इनकार करने की लिखित सूचना दी होती, जैसा कि सरकार ने कहा था, तो इससे लोगों में और आक्रोश पैदा होता| अनुमान लगाया जा रहा था कि आरसीबी ने पुलिस के पत्र को सोशल मीडिया पर लीक कर दिया होता, जिससे करोड़ों प्रशंसक नाराज हो जाते| इससे एक अलग तरह का विवाद पैदा हो जाता| भले ही आरसीबी के प्रशंसक सरकार के खिलाफ हो रहे थे, लेकिन सरकार भी इस तथ्य से वाकिफ थी| इसलिए सरकार ने आरबीसी के दबाव के आगे झुकना शुरू कर दिया था|
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया के बेटे डॉ. यतींद्र ने गुरुवार को स्पष्ट किया था कि आरसीबी ने जीत का जश्न मनाने के लिए सरकार पर बहुत दबाव बनाया था| वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने स्थिति को बहुत संवेदनशीलता के साथ संभालने की कोशिश की थी| लेकिन सत्तारूढ़ मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री ने आपस में स्पष्टता के बिना बार-बार भ्रमित करने वाले बयान दिए और सब कुछ बिखर गया| जबकि गृह मंत्री और उपमुख्यमंत्री कह रहे थे कि कार्यक्रम की रूपरेखा अभी तय नहीं हुई है, मुख्यमंत्री ने सुबह ही घोषणा कर दी थी कि शाम ४ बजे विधान सौधा की सीढ़ियों पर अभिनंदन कार्यक्रम होगा| पिछले दिन मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में भी विधान सौधा की सीढ़ियों पर कार्यक्रम का स्पष्ट उल्लेख था|
पुलिस विभाग शुरू से ही कह रहा था कि वे विजय समारोह की अनुमति नहीं देंगे| सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि उच्च पदों पर बैठे लोगों ने वरिष्ठ अधिकारियों को चेतावनी दी थी और जोर देकर कहा था कि वे विजय समारोह की अनुमति दें| यह करोड़ों प्रशंसकों की भावनाओं से जुड़ा मामला है| सूत्रों ने कहा कि अगर कार्यक्रम या विजय समारोह नहीं हुआ तो सरकार की बदनामी होगी, इसलिए उसे मौका दिया जाना चाहिए| घटना के बाद सभी एक-दूसरे पर हमला करने लगे| पुलिसकर्मियों से भी काफी दिक्कतें हुईं| ३ जून को आरसीबी के बीपीएल मैच जीतने के बाद से सुबह ५ बजे तक सड़कों पर जश्न मनाया गया| चूंकि कमिश्नर ने किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सख्त आदेश दिए थे, इसलिए कांस्टेबल से लेकर कमिश्नर तक सभी ने बिना सोए काम किया था| पता चला है कि जब अगले दिन विजय समारोह के लिए बंदोबस्त बुलाए गए तो कुछ कर्मचारी स्वाभाविक मानवीय थकान के कारण आराम कर रहे थे|
बताया गया है कि विजय उत्सव की सुरक्षा के लिए १६०० कर्मियों को तैनात किया गया था| सरकारी सूत्रों के अनुसार, अगर बेंगलूरु में ८ लाख लोग जश्न में शामिल हुए, तो सवाल उठता है कि सुरक्षा के लिए सिर्फ १६०० कर्मी कहां से पर्याप्त होंगे| अत्यधिक भीड़, उत्साह का अतिरेक, अत्यधिक चिल्लाहट ने प्रशासन, खासकर सुरक्षाकर्मियों के हाथ कुछ घंटों के लिए बांध दिए| आईपीएल और उसके प्रशंसकों की संख्या देखकर सरकार खुद हैरान थी| ऐसी स्थिति में क्या पुलिस अधिकारी सरकार के आदेशों की अवहेलना करते हुए निर्णय ले सकते थे? अगर ऐसे निर्णय लिए गए होते, तो क्या सरकार अन्य पुलिस अधिकारियों को परिणामों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराती? पुलिस आयुक्त द्वारा पकड़े गए सभी वरिष्ठ अधिकारियों को एक झटके में निलंबित करके मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने साबित कर दिया है कि वे प्रशासनिक रूप से साहसिक निर्णय लेने में सक्षम हैं| लेकिन इस बात की जांच करने की जरूरत है कि वास्तव में स्थिति और उसके बाद की घटनाओं के लिए कौन जिम्मेदार है|