असम से घुसपैठियों को निकालने के लिए अब सात दशक पुराना एक कानून का उपयोग किया जाएगा: बिस्व सरमा
गुवाहाटी, 09 जून (एजेंसी)। असम सरकार अब 1950 के Immigrants (Expulsion from Assam) Act, 1950 को पुनर्जीवित करने की योजना पर काम कर रही है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने स्पष्ट किया है कि इस कानून के तहत अवैध प्रवासियों को बिना किसी अदालत के आदेश सीधे राज्य से बाहर निकाला जा सकेगा।
सरमा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी के आधार पर यह कानून फिर से अमल में लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कॉलेज्ट्रेटर, यानी जिलाधिकारी को भी यह अधिकार होगा कि वह अवैध प्रवासियों को तुरंत पहचानकर राष्ट्र की सीमाओं के पार भेजने का आदेश दें hindi.opindia.com।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस कदम से अवैध प्रवास की समस्या को नियंत्रित करने में तेजी आएगी। एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) प्रक्रिया पहले धीमी थी, लेकिन अब यह नया कानून अप्रवासी पहचान के बाद ट्रिब्यूनल प्रक्रिया के बिना ही कार्रवाई की अनुमति देगा।
सरमा ने ट्वीट करके साफ़ किया कि वह “पहले असमिया, बाद में मुख्यमंत्री” हैं और वह इस दिशा में मजबूत निर्णय लेने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य भर में अब तक करीब 330 से अधिक अवैध प्रवासियों को सीमा पार भेजा जा चुका है, और आगे भी इस अभियान को तेज़ी से जारी रखा जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2024 में नागरिकता अधिनियम की धारा 6A को वैध बताया और आयोग कर दिया कि 1950 के इस जिला‑आयुक्त निर्देश का उपयोग अवैध प्रवासियों की पहचान व निष्कासन के लिए किया जा सकता है।
गौरतलब है कि असम सरकार का नया निर्णय 75 वर्ष पुराने कानून की मदद से अवैध घुसपैठियों को तेज़ी से पहचानकर बिना कोर्ट प्रक्रिया के सीधे सीमा पार भेजने की व्यवस्था को वास्तविक रूप दे रहा है।
इस कदम की कानूनी, मानवाधिकार और सामाजिक प्रभावों के बारे में व्यापक बहस जारी है।