अब तक शरणार्थी थे, अब मिलेगा मालिकाना हक

पाकिस्तान छोड़ कर आए लोगों को हक देने की सुध आई

अब तक शरणार्थी थे, अब मिलेगा मालिकाना हक

यूपी में रह रहे हैं 20 हजार शरणार्थी परिवार

आंजनेय कमेटी ने की ऐतिहासिक सिफारिश

लखनऊ, 03 जून (एजेंसियां)। उत्तराखंड की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी उन पाकिस्तानी शरणार्थियों को जमीन का मालिकाना हक दिया जाएगा जो देश विभाजन के समय पाकिस्तान से भारत आ गए थे। आंजनेय कमेटी की रिपोर्ट पर योगी सरकार शीघ्र ही औपचारिक निर्णय लेगी। इस पर योगी सरकार बाकायदा कानून बनाने पर विचार कर रही है।

मुरादाबाद के मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। वर्तमान में करीब 20 हजार शरणार्थी परिवार 50 हजार एकड़ भूमि पर रह रहे हैंलेकिन उन्हें जमीन का मालिकाना हक आज तक नहीं मिला। 1947 में भारत-पाक विभाजन के समय पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को लखीमपुर खीरीरामपुरबिजनौर और पीलीभीत में बसाया गया था। इन्हें जीविकोपार्जन के लिए जमीन भी दी गई थी। इनमें से अधिकतर हिंदू और सिख शरणार्थी थे। लेकिनइनमें से तमाम परिवारों को संक्रमणीय भूमिधर अधिकार नहीं मिला। यानिइन परिवारों के वारिस अपनी जमीन पर बैंक से फसली ऋण के अलावा कोई और ऋण नहीं ले सकते। उन्हें जमीन बेचने का भी अधिकार नहीं है।

रामपुर में शरणार्थियों के 23 गांव हैं। बिजनौर में ये शरणार्थी अलग-अलग 18 गांव में बसे हैं। लखीमपुर खीरी और पीलीभीत में अलग-अलग गांवों में या जंगलों के किनारे ये लोग बसाए गए। आंजनेय कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ शरणार्थी परिवारों को तब गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट (सरकारी भूमि अनुदान अधिनियम) के तहत जमीन दी गई थी। ग्राम सभा और विभिन्न विभागों की स्वामित्व वाली जमीन पर भी बसाया गया। वर्तमान में गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट समाप्त हो चुका है। इन शरणार्थी परिवारों को दी गई जमीन पर पूर्ण स्वामित्व यानी संक्रमणीय भूमिधर अधिकार देने के लिए अलग से कानून बनाने की आवश्यकता होगीताकि इन मामलों में मौजूदा नियम शिथिल किए जा सकें। उत्तराखंड के कई जिलों में स्वामित्व देने का काम जमीन का कुछ प्रतिशत मूल्य लेकर किया जा चुका है। उत्तराखंड की तरह ही यहां भी कुछ मूल्य लेकर या निशुल्क संक्रमणीय भूमिधर अधिकार दिया जा सकता है। अलबत्ताकुछ शरणार्थी परिवार आरक्षित श्रेणी की वन भूमिचरागाह और तालाब पर भी बसे हैं।

आंजनेय कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन्हें अन्यत्र जमीन देने या फिर उसी जमीन पर स्वामित्व अधिकार देने के लिए कानून में बदलाव करने पर विचार करना होगा। वन भूमि पर अधिकार देने के लिए केंद्र सरकार के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट की अनुमति भी लेनी होगी। वहींनियमानुसार ग्राम सभा की भूमि उसी गांव के मूल निवासियों को दी जा सकती है। इसी तरह से विभागों की भूमि देने का अधिकार भी संबंधित विभागों को ही है। इस मामले में अब आगे विचार करने के लिए कैबिनेट की उप समिति बनाई जा सकती है। अंतिम निर्णय सरकार को ही लेना है।

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कमेटी से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि शरणार्थी परिवारों को दी गई जमीन पर पूर्ण स्वामित्व यानि संक्रमणीय भूमिधर अधिकार देने के लिए अलग से कानून बनाने की आवश्यकता होगीताकि इन मामलों में मौजूदा नियम शिथिल किए जा सकें। उत्तराखंड के कई जिलों में स्वामित्व देने का काम जमीन का कुछ प्रतिशत मूल्य लेकर किया जा चुका है। उत्तराखंड की तरह ही यहां भी कुछ मूल्य लेकर या निशुल्क संक्रमणीय भूमिधर अधिकार दिया जा सकता है। अलबत्ताकुछ शरणार्थी परिवार आरक्षित श्रेणी की वन भूमिचरागाह और तालाब पर भी बसे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन्हें अन्यत्र जमीन देने या फिर उसी जमीन पर स्वामित्व अधिकार देने के लिए कानून में बदलाव करने पर विचार करना होगा।

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उत्तर प्रदेश में बसे पाकिस्तानी शरणार्थियों को अब जमीन का मालिकाना हक मिलने की दिशा में इसे एक अहम कदम बताया जा रहा है। मुरादाबाद के मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने इस संबंध में पूरी जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी है। रिपोर्ट में उत्तराखंड मॉडल की तर्ज पर शरणार्थियों को संक्रमणीय भूमिधर अधिकार देने की सिफारिश की गई है।

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