भारत ने जूट का आयात भी बंद किया

हरकतें नहीं छोड़ी तो टूटेगी बांग्लादेश की आर्थिक रीढ़

 भारत ने जूट का आयात भी बंद किया

जूट बंद होने से बांग्लादेश को 1200 करोड़ का झटका

वस्त्र, प्रोसेस्ड फूड, ड्रिंक्स एवं कई सामान पहले से बंद

नई दिल्ली, 29 जून (एजेंसियां)। बांग्लादेश ने अपनी भारत विरोधी हरकतें बंद नहीं कीं तो उसकी भी हालत भिखमंगे पाकिस्तान जैसी हो जाएगी। बांग्लादेश से कपड़े और ड्रिंक्स का आयात बंद करने के बाद भारत ने बांग्लादेश से आने वाले जूट पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। जूट के आयात पर पाबंदी बांग्लादेश पर भीषण आर्थिक चोट की तरह देखी जा रही है। वर्ष 2023-24 में भारत ने बांग्लादेश से 144 मिलियन डॉलर (लगभग 1230 करोड़ रुपए) का जूट आयात किया था।

जूट आयात पर रोक लगाने के भारत सरकार के फैसले से बांग्लादेश के निर्यात व्यापार को बड़े स्तर पर धक्का पहुंचा है। भारत इससे पहले भी बांग्लादेश से आने वाले कई उत्पादों पर प्रतिबंध लगा चुका है। विदेशी व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) के 27 जून 2025 के आदेश के अनुसारबांग्लादेश से आने वाले जूट और कई तरह के यार्न के भारत में निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि बांग्लादेश और भारत की सीमा पर कहीं से भी यह उत्पाद भारत में नहीं आने दिए जाएंगे। बांग्लादेश इन उत्पादों को किसी दूसरे रास्ते से भी भारतीय बाजारों में नहीं उतार सकता हैयह भी इस आदेश में स्पष्ट कर दिया गया है। इसमें लिखा गया है कि बांग्लादेश के जूट और यार्न को भूटान और नेपाल के रास्ते भारत में आने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

अगस्त 2025 में प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट के बाद भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में खटास आ गई। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इस तल्खी को और बढ़ा दिया। बांग्लादेश सरकार के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस ने भारत विरोधी हरकतों को बढ़ावा दिया और हिंदुओं पर भीषण अत्याचार कराए। यह अत्याचार लगातार जारी है। बांग्लादेश की इन हरकतों की वजह से भारत ने भी इसका माकूल जवाब देना शुरू कर दिया है। भारत अब बांग्लादेश के लिए व्यापार के सभी रास्ते बंद कर रहा है। जूट आयात पर रोक इसका सबसे कारगर उदाहरण है। भारत ने वर्ष 2023-24 में बांग्लादेश से 144 मिलियन डॉलर (लगभग 1230 करोड़ रुपए) का जूट आयात किया था। बांग्लादेश का जूट भारत में न आने देने का एक कारण यह भी है कि बांग्लादेश जूट को भारत में डंप करने के लिए अपने यहां सब्सिडी देता है और भारत-बांग्लादेश के बीच मुक्त व्यापार समझौते का गलत लाभ उठाता रहा है। बांग्लादेश के व्यापारी भारतीय बाजार को प्रभावित करते हैं, जिससे भारत में जूट का बाजार और उसका उत्पादन असंतुलित होता आया है। इसका असर विशेष कर पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और बिहार के जूट उत्पादक इलाकों के किसानों पर पड़ता है। इन इलाकों में जूट बड़ी आबादी की आय का स्रोत है। जूट उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले भारतीय जूट मिल्स एसोसिएशन ने वर्ष 2024 में इस मामले में केंद्र सरकार से सहायता भी मांगी थी। जूट मिल्स एसोसिएशन ने कहा था कि 2024 में जूट की बम्पर फसल के बावजूद बांग्लादेश से बड़ी मात्रा में जूट का आयात किया गया क्योंकि उसके दामों में अंतर था। जूट मिल्स एसोसिएशन ने कहा था कि भारतीय मिलें इसके चलते भुगतान नहीं कर पर रहीं हैं। अब इस फैसले से भारतीय उत्पादकों और मिलों को कुछ राहत मिलने की संभावना है।

भारत ने मई 2025 में बांग्लादेश से आने वाले रेडिमेड कपड़ोंप्रोसेस्ड फ़ूड और फ्रूट ड्रिंक्स आदि पर प्रतिबंध लगा दिया। भारत ने बांग्लादेश से आने वाले प्लास्टिक और लकड़ी के सामान पर भी कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। बांग्लादेश से आने वाले कार्बोनेटेड ड्रिंक्सबेक्ड सामानस्नैक्सचिप्स और कन्फेक्शनरीकपास और कॉटन यार्न, प्लास्टिक और पीवीसी से तैयार सामान और लकड़ी के फर्नीचर के सामान प्रतिबंधित हैं। बांग्लादेश ये सामान असममेघालयत्रिपुरा, मिजोरम, पश्चिम बंगाल या बिहार में किसी भी जमीनी रास्ते या जमीनी पोर्ट के माध्यम से नहीं भेज सकता।

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भारत द्वारा लगाए इन प्रतिबंधों के चलते बांग्लादेश को वार्षिक तौर 770 मिलियन डॉलर (6500 करोड़ से अधिक) का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया था। यह बांग्लादेश के भारत को कुल निर्यातों का लगभग 42 प्रतिशत होता है। बिजनेस थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (डीटीआरआईकी 18 मई 2025 को प्रकाशित रिपोर्ट में भारत की ओर से लगाई गई पाबंदियों से बांग्लादेश को हो रहे भीषण आर्थिक नुकसान का आकलन किया गया।

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बांग्लादेश इस समय आर्थिक चुनौतियोंविशेष रूप से कपड़ा उद्योग में गिरावट और बिजली संकट का सामना कर रहा है। बिजली संकट का एक मुख्य कारण भारत की अडानी पावर को लंबे समय से बकाया भुगतान न किया जाना है। कई महीनों तक भुगतान न मिलने के कारण अडानी पावर ने बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति रोक दी थी। हालांकिफरवरी 2025 में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस द्वारा झारखंड स्थित गोड्डा संयंत्र से आपूर्ति बहाल करने का अनुरोध किए जाने के बादअडानी पावर ने बिजली आपूर्ति फिर से शुरू कर दी। इसके बादबांग्लादेश ने धीरे-धीरे बकाया भुगतान करना शुरू कियाजिससे इस महीने की शुरुआत में अडानी के दोनों संयंत्रों से बिजली आपूर्ति में इजाफा हुआ।

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वर्तमान में अडानी पावर को बांग्लादेश से हर महीने 80-90 मिलियन डॉलर की नियमित भुगतान राशि मिल रही हैजिसमें मौजूदा खपत के भुगतान भी शामिल हैं। कुल बकाया राशि लगभग 820-830 मिलियन डॉलर बताई जा रही हैजिसका भुगतान आने वाले महीनों में किए जाने की उम्मीद है।

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