पैरा बैडमिंटन में वैश्विक स्तर पर बढ़ा यूपी का मान
लखनऊ की दो बेटियों और कानपुर के बेटे ने देश को किया गौरवान्वित
लखनऊ, 07 जुलाई (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश की बेटियों ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय खेल जगत में देश और प्रदेश का परचम लहराया है। लखनऊ स्थित डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय की छात्राएं स्वाति और कनक सिंह ने युगांडा पैरा बैडमिंटन इंटरनेशनल टूर्नामेंट 2025 में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीतकर यह साबित कर दिया है कि अवसर मिलने पर कोई भी शारीरिक सीमा प्रतिभा को नहीं रोक सकती। पैरा-बैडमिंटन में कानपुर के चंद्रप्रकाश ने भी रजत पदक जीत कर भारत का गौरव बढ़ाया। दिव्यांग सशक्तिकरण में यूपी के प्रयास वैश्विक मंचों पर भी अपना असर दिखा रहे हैं।
स्वाति ने महिला एकल एसयू-5 वर्ग में रजत, महिला युगल एसएल3-एसयू5 में स्वर्ण और मिक्स्ड डबल्स में कांस्य पदक हासिल किया। वहीं कनक सिंह ने महिला एकल एसएल-4 और महिला युगल वर्ग में कांस्य पदक अपने नाम किया। 1 से 6 जुलाई तक युगांडा की राजधानी कंपाला में आयोजित इस प्रतियोगिता में 50 से अधिक देशों के पैरा बैडमिंटन खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। प्रदेश के दिव्यांगजन सशक्तिकरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेंद्र कश्यप ने दोनों खिलाड़ियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि स्वाति और कनक की यह सफलता सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि योगी सरकार द्वारा तैयार किए गए दिव्यांगजन सशक्तिकरण मॉडल की सफलता है। बेटियों ने यह सिद्ध कर दिया कि अवसर, संसाधन और मार्गदर्शन मिलने पर कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती।
पैरा-बैडमिंटन चैंपियनशिप में कानपुर के चंद्रप्रकाश को एकल वर्ग के फाइनल मुकाबले में पेरू के खिलाड़ी गर्सन जायर वर्गास लोसौनौल से हार का सामना करना पड़ा। इससे उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा। भारत ने डबल चैंपियनशिप में कांस्य पदक पहले ही अपने नाम कर लिया था। पैरा-बैडमिंटन के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी चंद्रप्रकाश कानपुर के कस्बा भीतरगांव के निवासी हैं। अफ्रीकी देश युगांडा के कंपाला शहर में एक से छह जुलाई तक पैरा बैडमिंटन की अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप प्रतियोगिता हुई। इसमें एकल वर्ग के फाइनल में रविवार देर शाम टीवी पर चंद्रप्रकाश को खेलते देख भीतरगांव के लोगों की खुशी देखते ही बन रही थी। पेरू के खिलाड़ी गर्सन जायर वर्गास लोसौनौल ने चंद्रप्रकाश को फाइनल मुकाबले में 21-12 व 21-14 से पराजित कर स्वर्ण पदक पर कब्जा कर लिया। वहीं चंद्रप्रकाश को रजत पदक से संतोष करना पड़ा।