देश में धार्मिक युद्ध भड़का रहा है सुप्रीम कोर्ट
पार कर रहा सीमा- बीजेपी सांसद का न्यायपालिका पर हमला
नई दिल्ली, 20 अप्रैल, (एजेंसी)। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा इस देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए केवल और केवल सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। वक्फ कानून का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। कोर्ट ने केंद्र को इस मामले में जवाब देने के लिए 7 दिन का समय दिया है। इसी बीच झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने बड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यदि कानून सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए। वहीं अब इसको लेकर बीजेपी सांसद ने एक और प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि हमने आईटी एक्ट बनाया। आईटी एक्ट में सबसे ज्यादा दुखी महिलाएं और बच्चे है। एक दिन सुप्रीम कोर्ट ने आईटी एक्ट खत्म कर दिया।
संसद को कानून बनाने का अधिकार
उन्होंने कहा कि अभी मैंने आर्टिकल 141 का अध्ययन किया है। आर्टिकल 141 कहता है कि हम जो कानून बनाते है वो लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लागू है। लेकिन कानून बनाने वाला आर्टिकल 368 क्या कहता है कि इस देश के संसद को सभी कानून बनाने का अधिकार है। कानून की व्याख्या करने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट को है। कोर्ट कह रहा है कि तीन महीने में राष्ट्रपति और राज्यपाल बता दें कि क्या करना है।
सुप्रीम कोर्ट- धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए जिम्मेदार
उन्होंने कहा कि जब राम मंदिर का विषय होता है तब सुप्रीम कोर्ट कहती है कागज दिखाओ, कृष्ण जन्मभूमि के मामले में कहते है कागज दिखाओ, ज्ञानव्यापी मस्जिद की बात आएगी तो कहते है कागज दिखाओ और आज केवल आप मुगलों के आने के बाद मस्जिद जो बनी है उसके लिए कहते है कि कागज कहां से दिखाओ। इस देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए केवल और केवल सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है।
‘SC सीमा से जा रहा बाहर’
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमा से बाहर जा रहा है, सुप्रीम कोर्ट की ये सीमा है कि उसे कानून की व्याख्या करनी है। अगर व्याख्या नहीं कर सकती है और सब कुछ के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है तो संसद और विधानसभा का कोई मतलब नहीं है, उसे बंद कर देना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने भी दी प्रतिक्रिया
हालांकि इससे पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी अदालतों को लेकर प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा कि भारत में ऐसी स्थिति नहीं हो सकती जहां न्यायपालिका राष्ट्रपति को निर्देश दे। संविधान का अनुच्छेद 142 न्यायपालिका के लिए लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ परमाणु मिसाइल बन गया है।
भाजपा सांसद बोले- कुरैशी चुनाव आयुक्त नहीं, मुस्लिम आयुक्त थे
नई दिल्ली, 20 अप्रैल(एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के खिलाफ विवादित बयान देने के बाद भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने रविवार को पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी पर निशाना साधा। भाजपा सांसद ने कहा, 'वे चुनाव आयुक्त नहीं बल्कि मुस्लिम आयुक्त थे।'
निशिकांत का यह बयान कुरैशी के वक्फ कानून की आलोचना करने वाली एक पोस्ट के जवाब में आया। कुरैशी ने 17 अप्रैल को X पर एक पोस्ट में लिखा था, 'वक्फ संशोधन मुसलमानों की जमीन हड़पने की सरकार की भयानक और शैतानी चाल है।'
इससे पहले, 19 अप्रैल को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमाओं से बाहर जा रहा है। अगर हर किसी को सारे मामलों के लिए सर्वोच्च अदालत जाना पड़े तो संसद और विधानसभा बंद कर देनी चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा था, 'संसद इस देश के कानून बनाती है। क्या आप उस संसद को निर्देश देंगे। देश में गृह युद्ध के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं। वहीं धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है।'
निशिकांत ने कुरैशी पर लगाए आरोप
निशिकांत ने कुरैशी पर आरोप लगाते हुए कहा, 'आपके कार्यकाल में झारखंड के संथाल परगना में सबसे ज्यादा बांग्लादेशी घुसपैठियों को मतदाता बनाया गया। उनके गांव विक्रमशिला को 1189 में बख्तियार खिलजी ने जला दिया था और विक्रमशिला विश्वविद्यालय ने दुनिया को आतिश दीपांकर के रूप में पहला कुलपति दिया।'
कुरैशी पूर्व 30 जुलाई 2010 से 10 जून 2012 तक मुख्य निर्वाचन आयुक्त रहे। निशिकांत 4 बार से झारखंड के गोड्डा से लोकसभा सांसद हैं।
दुबे के बयानों से भाजपा ने किनारा किया
सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के खिलाफ निशिकांत दुबे के बयान से भाजपा ने किनारा कर लिया। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने X पोस्ट में लिखा- भाजपा ऐसे बयानों से न तो कोई इत्तफाक रखती है और न ही कभी ऐसे बयानों का समर्थन करती है। भाजपा इन बयान को सिरे से खारिज करती है। पार्टी ने सदैव ही न्यायपालिका का सम्मान किया है, उनके आदेशों और सुझावों को सहर्ष स्वीकार किया है, क्योंकि एक पार्टी के नाते हमारा मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय समेत देश की सभी अदालतें हमारे लोकतंत्र का अभिन्न अंग हैं। संविधान के संरक्षण का मजबूत आधारस्तंभ हैं। मैंने इन दोनों को और सभी को ऐसे बयान ना देने के लिए निर्देशित किया है।
अटॉर्नी जनरल से अवमानना की कार्यवाही की मांग
वक्फ कानून के केस में पैरवी कर रहे एडवोकेट अनस तनवीर ने रविवार को अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी को चिट्ठी लिखकर निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की सहमति मांगी है। अनस ने लेटर में लिखा है कि दुबे ने सर्वोच्च अदालत की गरिमा को कम करने के मकसद से टिप्पणी की थी। दुबे की यह टिप्पणी बेहद अपमानजनक और खतरनाक रूप से भड़काऊ है।