आतंकी हमले और 21000 करोड़ की ड्रग्स बरामदगी का कनेक्शन

आतंकी हमले और 21000 करोड़ की ड्रग्स बरामदगी का कनेक्शन

राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) कर रही छानबीन, तलाश रही

नई दिल्ली, 24 अप्रैल (एजेंसियां)। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) पहलगाम आतंकी हमले और 21000 करोड़ की ड्रग्स बरामदगी के बीच लश्करे तैयबा का कनेक्शन तलाश रही है। एनआईए ने कहा है कि अफगानिस्तान में बैठे ड्रग्स तस्करों ने 2,999.2 किलोग्राम की बड़ी मात्रा में हेरोइन भारत भेजी थी। इसमें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और ईरान के तस्करों ने मदद की थी। इसकी कीमत 21,000 हजार करोड़ रुपए थी। इसे ईरान के रास्ते लाया गया था और तालक पाउडर बताकर मुंद्रा पोर्ट पर उतारा गया था।

एनआईए ने पहलगाम हमले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक बड़ा खुलासा किया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने बताया है कि पहलगाम में जो आतंकी हमला हुआ हैउसका संबंध गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर पकड़े गए 21,000 करोड़ रुपए के ड्रग्स के जखीरे से है। एजेंसी ने सितंबर 2021 में तकरीबन 3,000 किलोग्राम हेरोइन पकड़ी थी। एनआईए ने कहा है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ड्रग्स बेचकर जेहाद के लिए पैसा जुटा रहा था। एजेंसी का कहना है कि लश्कर-ए-तैयबा उन पैसों का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा एवं अंजाम देने के लिए करना चाह रहा था। इसके साथ ही वह देश के युवाओं को नशे का आदी बनाकर भारत को कमजोर करना चाहता था।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट में कहादेखिए पहलगाम में उन्होंने (आतंकी) पर्यटकों के साथ क्या कियाउन्होंने मासूम पर्यटकों पर गोली चलाई। उन्होंने आगे इस खेप के जरिए भी वह ऐसा ही करना चाह रहा था। पहले भी इसी तरह से ड्रग्स की खेप अफगानिस्तान से भारत लाई गई थी। यह खेप वैध कागजात के साथ लाया गया थाजिनमें टाल्क स्टोन होने की बात कही गई थी। एनआईए का कहना है कि ड्रग्स बेचकर जो भी पैसा मिलता थाउसे दिल्ली के कुछ गोदामों में रखा जाता था और फिर वहां से एलईटी तक पहुंचाया जाता था। एनआईए ने साफ कहा कि यह भारत में पकड़ी गई ड्रग्स की सबसे बड़ी खेप है। एजेंसी ने हरप्रीत सिंह तलवार उर्फ कबीर तलवार नाम के एक व्यक्ति को भी इस ड्रग्स के धंधे में शामिल बताया हैजो फिलहाल जमानत मांग रहा है।

एनआईए ने कोर्ट में कहा है कि अफगानिस्तान में बैठे ड्रग्स तस्करों ने 2,999.2 किलोग्राम की बड़ी मात्रा में हेरोइन भारत भेजी थी। इसमें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और ईरान के कुछ लोगों ने मदद की थी। इसकी कीमत 21,000 हजार करोड़ रुपए थी। इसे ईरान के रास्ते लाया गया था और टाल्क स्टोन बताकर मुंद्रा पोर्ट पर उतारा गया था। एजेंसी ने यह भी कहा कि इस मामले में गवाह ने एक व्यक्ति ने बयान दिया था कि लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी द रेसिस्टेंस फ्रंट के मारे गए गुर्गे लतीफ राथर ने उसे बताया था कि दिसंबर 2021 में मोहम्मद इकबाल अवान और अफगानिस्तान/पाकिस्तान स्थित ड्रग तस्करों ने उसके साथ कश्मीर मुद्देअनुच्छेद 370 पर चर्चा की थी। उस गवाह ने एनआईए को कहा था कि लतीफ ने अपने कोड नाम मलिक को हरियाणा के एक व्यक्ति से 10 और 15 लाख वसूलने के लिए दिल्ली/हरियाणा सीमा पर भेजा था। एजेंसी ने अदालत को बतायाइस पैसे का इस्तेमाल लश्कर-ए-तैयबा के नए रंगरूटों के लिए हथियार और गोला-बारूद खरीदने के लिए किया गया था।

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