गर्व और गर्भ पाकिस्तान का, भोजन और लाभ हिंदुस्तान का!
पाकिस्तानियों से शादी कर भारत के लिए खतरा बन रही भारतीय लड़कियां
नई दिल्ली, 03 मई (एजेंसियां)। पहलवान हमले के बाद पाकिस्तानियों के साथ कड़ा रूख अपनाते हुए भारत सरकार के समक्ष भारतीय महिलाओं ही बाधा बन रही हैं। जो भारतीय महिलाएं पाकिस्तानियों से निकाह कर अपने बच्चों के साथ भारत में बस गई हैं, उन्हें सबसे बड़ा मानवाधिकार मानते हुए सुप्रीम कोर्ट और तमाम मानवाधिकार संगठन उनका समर्थन कर रहे हैं। इसी लाइन में महिलाएं भारत में रहकर पाकिस्तानियों के समर्थन में खुला खेल रही हैं। सुप्रीम कोर्ट भी इस मुद्दे में भारत सरकार की नीतियों को चुनौती देने में जुटा हुआ है। वहीं यह भी देखा जा रहा है कि पाकिस्तानियों से निकाह करने वाली अधिकांश भारतीय महिलाएं, अपने बच्चों की पाकिस्तानी नागरिकता की पक्षधर हैं। लिहाजा, भारतीय महिलाएं ही भारत के लिए गंभीर खतरा बन रही हैं।
भारत सरकार की नीति है कि पाकिस्तानी नागरिकों के लिए भारत छोड़ने की मोहलत समाप्त हो चुकी है। ऐसे में सभी पाकिस्तानी नागरिकों के लिए भारतीय वीजा समाप्त कर दिया गया है और 26 अप्रैल 2025 की तारीख तक मेडिकल वीजा उन पाकिस्तानी नागरिकों को देने की सहमति दी गई है, जो भारत में किसी गंभीर बीमारी का इलाज कराना चाहते हैं। वहीं, भारत सरकार ने तीन तलाक पीड़िताओं, सिखों, सिंधियों, बलूचों, कश्मीरी शरणार्थियों, समलन, पारसीवासी, अहमदिया और नन मुस्लिम पाकिस्तानियों को नागरिकता देने के प्रावधान शामिल किया गया, परंतु इन महिलाओं में कोई भी शामिल नहीं हो सकती हैं। ये प्रावधान सभी पाकिस्तानियों नागरिकों के लिए लागू किया जा सकता है। ये प्रावधान सभी पाकिस्तानियों नागरिकों के लिए लागू किया जा सकता है।
लाडली बहन, मुफ्त अनाज जैसी योजनाओं का लाभ भी उठा रहीं
दरअसल, यह महिलाएं भारत में लाडली बहन, मुफ्त राशन, बीज अनुदान, नरेगा, बीमा योजना, उज्ज्वला योजना, विधवा पेंशन योजना, 3 लाख रूपये तक के बीज ऋण का लाभ प्राप्त कर रही हैं। इन महिलाओं के पास न तो भारत की नागरिकता है और न ही वैध वीजा है। यह महिलाएं शादी के बाद भारत में किसी सीमांत क्षेत्र में ससुराल में रह रही हैं। बाद में ये फर्जी तरीके से शपथ पत्र बनाकर नगर पालिका से प्रमाण पत्र हासिल कर रही हैं।
जामनगर, जम्मू कश्मीर, मुरादाबाद, अमरोहा, बिजनौर, संभल, मुजफ्फरनगर, मऊ, फतेहपुर, गाजीपुर और समूचे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इन महिलाओं की संख्या हजारों में है। इनमें से अधिकतर महिलाओं ने शादी के बाद अपने पतियों के साथ भारत में निवास शुरू किया था। यही वजह है कि बीते कुछ समय से यह महिलाएं पाकिस्तानियों के बच्चों को भारत की नागरिकता दिलाने के लिए आंदोलन कर रही हैं।
इन सभी मामलों में महिलाएं यह दावा कर रही हैं कि उनके बच्चे भारतीय हैं और पाकिस्तान से कोई लेना-देना नहीं है। यही नहीं, इन महिलाओं ने नागरिकता के लिए आवेदन भी कर दिया है और कई मामलों में नागरिकता भी मिल गई है। अब जब उनके पाकिस्तानी पतियों को भारत छोड़ने के लिए कहा गया तो महिलाएं सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न मानवाधिकार संगठनों के माध्यम से भारत सरकार के फैसले को चुनौती दे रही हैं।
सुरक्षा प्रक्रिया में भी घुसपैठ कर रहा सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली, 03 मई (एजेंसियां)। राष्ट्रपति से लेकर संसद तक के कार्यक्षेत्र में दखलपेष करने वाला सुप्रीम कोर्ट अब देश की सुरक्षा संवेदनशीलता में भी हस्तक्षेप करने पर आमादा है। पाकिस्तान जाने वाले पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने का भारत सरकार का आदेश लागू है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को रोककर भारत सरकार के आदेश को पूरी तरह निरस्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि सभी विदेशी नागरिकों को फॉरेनर रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस (एफआरआरओ) से जरूरी आदेश जारी किए जाएं।
वहीं आदेश दिए गए कि कोई भी चार–चार बार से अधिक भारत-पाकिस्तान गया हो और उसका भारत में वीजा समाप्त हो चुका हो, तो भी उसे देश से नहीं निकाला जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पाकिस्तान जाने वालों का वीजा समाप्त हो गया था। इसलिए उन्होंने नए सिरे से वीजा की मांग की थी, जिसे भारत सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया था। पाकिस्तान–सरहद ताकीद के बीच सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गया है। अदालत ने कहा है कि वह यह मानवीय फैसला तारीक अहमद बट की याचिका पर आया।