वहीं भाजपा नेता ने चढ़ाई चादर
जिस दरगाह मेला पर रोक
बहराइच, 31 मई (एजेंसियां)। सीएम योगी ने जिस सालार मसूद गाजी को सीएम योगी ने आक्रांता बताया था उसी की मजार पर जाकर शुक्रवार को भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने चादर चढ़ाई। जिस सालार मसूद गाजी को सीएम योगी ने आक्रांता बताया था उसी की मजार पर जाकर शुक्रवार को भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने चादर चढ़ाई। हालांकि इस मौके पर उन्होंने खुद को श्रीराम का वंशज भी बताया।
जमाल सिद्दीकी शुक्रवार को शहर स्थित सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पहुंचे और चादर चढाई। मदरसों पर हो रही कार्रवाई पर जमाल सिद्दीकी ने कहा कि एक्शन सिर्फ उन अवैध मदरसों के खिलाफ हो रहा है जो चंदा लेकर बच्चों का भविष्य खराब कर रहे हैं। उन्होंने ये भी कहा कि पहले सनातन था, इस्लाम बाद में आया, इसलिए हम सभी श्रीराम के वंशज हुए। जम्मू-कश्मीर के नेता रणवीर सिंह पठानिया द्वारा दिए गए ऑपरेशन सिंदूर के एक विवादित बयान के खिलाफ जमाल सिद्दीकी ने कहा कि उन्होंने भांग पीकर बयान दिया होगा जिसकी मैं निंदा करता हूं।
कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के मुर्तिहा रेंज के जंगल में बिछिया-मिहीपुरवा मुख्य मार्ग से 500 मीटर दूर जंगल में लक्कड़ शाह बाबा की दरगाह पर जेठ के महीने में मेला लगने की परंपरा 16 वीं शताब्दी से चली आ रही है। इस बार सालाना उर्स पर वन विभाग द्वारा इस मेले पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। बाबा लक्कड़शाह की दरगाह पहुंचने वाले दोनों मार्गों के नाकों पर बिछिया, निशानगाड़ा और मोतीपुर वन बैरियर पर ही जायरीनों को रोक दिया जा रहा है। मेले पर रोक के कारण लखीमपुर खीरी के गजियापुर गांव निवासी संजय पासवान अपने बेटे गोलू का मुंडन करवाने दरगाह पूरे परिवार के साथ जा रहे थे। इन्हें निशानगाड़ा वन बैरियर पर ही रोक दिया गया जिससे लोगों में मायूसी देखने को मिल रही है। वहीं लक्कड़शाह मजार की मुख्य रास्ते पर ही वन विभाग, पुलिस व पीएसी की टीम तैनात है जो हिन्दू मुस्लिम समुदाय के जायरीनों को रोक रहे हैं। जियारत के लिए पहुंचे श्रावस्ती जनपद के भिन्गा निवासी बशीर अहमद, बहराइच निवासी मो. रिज़वान बहराइच, कुशीनगर निवासी नूर मोहम्मद, नेपाल निवासी मुन्नी शाबरी, राम शंकरपुर लखीमपुर खीरी निवासी रामलखन दरगाह के मुख्य मार्ग पर बैठे मिले जिन्होंने बताया कि उन्हें जियारत के व मान मनौती के लिए जाने दिया गया।
बाबा लक्कड़शाह का वास्तविक नाम सैयद शाह हुसैन है। इन्हें लक्कड़ फकीर के नाम से भी जाना जाता है। सिखीवीकी नामक ग्रंथ में कहा गया है कि यहां बाबा की कब्र है। कब्र के सिर की तरफ संत के मृत्यु की तारीख 1010 हिजरी अर्थात 1610 ईस्वी लिखी है। इससे पता चलता है कि यह संत सिख के दसवें गुरु गोविंद सिंह के समय में जीवित रहे। इस मजार के पास ही गुरुद्वारा है। इसे गुरुमल टेकरी कहा जाता है। यहां के पुजारी की एक किवदंति है कि एक मुस्लिम संत फूस की झोपड़ी में गहन ध्यान में थे। वह कभी कभी प्रार्थना करते थे। हे वली पीर नानका मैने सुना है कि आप भगवान के सच्चे प्रतिनिधि हैं और भटके हुए लोगों को मुक्ति दिलाते हैं। मैं चल नहीं सकता हूं मुझे आंखों से भी धुंधला दिखता है। इस गुरु नानक ने संत से अपनी बंद आंख खोलने को कहा तो उन्हें साफ दिखाई देने लगा। बाद में गुरु नानक ने कहा कि तुम तप करते हुए लकड़ी के जैसे हो गए हो आने वाले समय में तुम्हें लक्कड़शाह के नाम से जाना जाएगा। उन्होंने और भी सारी बातें बताई। उसके बाद सन् 1610 में इनकी मौत हो जाने के बाद से यहां मेला लगता है।