मंत्री ने भूस्खलन के मद्देनजर पश्चिमी घाट की जल धारण क्षमता पर अध्ययन का दिया आदेश
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| मानसून पूर्व बारिश के दौरान दक्षिण कन्नड़, कोडागु और अन्य भागों में हो रहे भूस्खलन के मद्देनजर वन, जीव एवं पर्यावरण मंत्री ईश्वर बी. खंड्रे ने पश्चिमी घाट की वहन क्षमता पर अध्ययन कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं|
उन्होंने विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिवों को लिखित निर्देश जारी करते हुए कहा कि पश्चिमी घाट में कई सड़क एवं अन्य परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं, जिससे घाट खतरे में हैं| विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि संपत्ति की क्षति, फसल की क्षति और जनहानि के अलावा वन्यजीवों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है|
उन्होंने विशेषज्ञों की राय का हवाला देते हुए कहा कि यदि पश्चिमी घाट की स्थिति खराब होती है, तो आने वाले दिनों में भीषण जलसंकट की आशंका है| उन्होंने जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव, मूल्यांकन, योजना, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण तथा वन संरक्षण विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक को इस संबंध में अध्ययन कर तीन महीने के भीतर पश्चिमी घाट की वहन क्षमता पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए हैं|
जैव विविधता के लिए स्वर्ग माने जाने वाले पश्चिमी घाट में कर्नाटक के ६० प्रतिशत जंगल हैं, जो विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों, जीवों और कीड़ों का घर हैं| ईश्वर खंड्रे ने कहा कि पश्चिमी घाट मानसूनी हवाओं को रोकने और बारिश लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं| उन्होंने लोगों को पश्चिमी घाट के महत्व और संरक्षण के बारे में समझाया|