मुख्यमंत्री ने यातायात जाम को सर्वोच्च प्राथमिकता बनाने का दिया निर्देश

-जिला कलेक्टरों के साथ की बैठक

मुख्यमंत्री ने यातायात जाम को सर्वोच्च प्राथमिकता बनाने का दिया निर्देश

बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने निर्देश दिया कि राज्य की सड़कों पर जहां भी यातायात अवरोध की समस्या है, उसे सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाना चाहिए|

राज्य की प्रगति की समीक्षा के लिए शनिवार को विधान सौधा में आयोजित सभी जिला कलेक्टरों और जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की बैठक में बोलते हुए उन्होंने निर्देश दिया कि एसएलएओ को जिला कलेक्टरों के अधिकार क्षेत्र में लाने के लिए एक परिपत्र जारी किया जाए| जब अधिकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की कई परियोजनाओं की भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में तकनीकी कठिनाइयों को उठाया, तो मुख्यमंत्री भड़क गए और कहा आप कितने सालों से यह कहानी कह रहे हैं? यदि आवश्यक हो, तो हम भूमि अधिग्रहण के लिए एक विशेष अधिकारी नियुक्त करने के लिए तैयार हैं, इसलिए उन्हें नियुक्त करें|

उन्होंने कड़ी प्रतिक्रिया दी कि जब तक पुरानी परियोजनाएं पूरी नहीं हो जातीं, हमें नई परियोजनाएं नहीं मिलेंगी| इसमें शामिल हुए पीडब्ल्यूडी मंत्री सतीश जारकीहोली ने कहा हमने लंबित ४२ परियोजनाओं में से २२ को पूरा कर लिया है| केंद्र खुद बहुत सारी समस्याएं पैदा कर रहा है| उन्होंने कहा कि केंद्रीय अधिकारियों को कई क्षेत्रों में अधिक सक्रियता से काम करने की जरूरत है|

मंत्री कृष्णा गौड़ा ने सुझाव दिया कि यदि ऊपर से नीचे तक समीक्षा की जाए तो स्थिति में सुधार हो सकता है| एसएलएओ का व्यवहार बहुत अच्छा नहीं है| बाजार मूल्य, गाइडलाइन मूल्य और उनके द्वारा लाए जाने वाले मूल्य में बहुत अंतर है| इससे सरकार पर अनावश्यक बोझ पड़ता है| इसमें एसएलएओ का व्यवहार अच्छा नहीं है| इसलिए जब मंत्रियों और अधिकारियों ने अपनी राय व्यक्त की कि उन्हें जिला कलेक्टरों के नियंत्रण में लाना बेहतर होगा, तो मुख्यमंत्री ने इसकी व्यापक समीक्षा करने और उन्हें जिला कलेक्टरों के नियंत्रण में लाने का निर्देश दिया| जिन जिलों में गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की संख्या अधिक है, वहां हर साल १ प्रतिशत की कमी संभव है| ऐसे सामाजिक कारण भी हैं जिनकी वजह से इसे एक साथ नहीं रोका जा सकता| इसलिए अगर हर साल १ प्रतिशत की दर से कमी की जाए तो कुपोषित बच्चों की संख्या कम हो सकती है|

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उन्होंने यह निर्देश बीदर, विजयनगर और बल्लारी जिलों के जिला कलेक्टरों को दिया| सीएम ने कहा कि बच्चों के हीमोग्लोबिन स्तर सहित स्वास्थ्य की निरंतर जांच की जानी चाहिए| दूध, अंडे और गोलियां उपलब्ध कराने के बावजूद कुछ स्थानों पर महिलाओं और बच्चों की पोषण स्थिति में सुधार क्यों नहीं हो रहा है, इस पर वैज्ञानिक रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए और रिपोर्ट के आधार पर आवश्यक सुधारात्मक उपाय किए जा सकते हैं| अपात्र राशन कार्ड धारकों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि का क्या कारण है? वैज्ञानिक आंकड़े इसके विपरीत कहते हैं|

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किसी भी जिले में ६० प्रतिशत से अधिक पात्र लोग नहीं हो सकते| इसमें थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है| लेकिन अगर यह ८० प्रतिशत, ९० प्रतिशत है, तो इसे किसी भी मानक से स्वीकार नहीं किया जा सकता| इससे वास्तविक पात्र लोगों के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा|

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सिद्धरामैया ने सुझाव दिया कि पात्रों के साथ अन्याय को रोकने के लिए फर्जी, डुप्लिकेट और अपात्र कार्डों को रोका जाना चाहिए| शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों के पास भी बीपीएल राशन कार्ड हैं| उनमें से कई को राशन नहीं मिलता है|

हालांकि, अधिकारियों ने बैठक में बताया कि वे अस्पतालों और अन्य जरूरतों के लिए कार्ड का उपयोग कर रहे हैं| किसी भी कारण से पात्र लोगों को वंचित नहीं किया जाना चाहिए| पात्र को सुविधा से वंचित नहीं किया जाना चाहिए, कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए| लेकिन उन्होंने जिला कलेक्टर से जवाब मांगा कि अपात्रों के कार्ड निरस्त करने के लिए क्या किया जा सकता है, ताकि पात्रों को कोई परेशानी न हो| सीएम ने पूछा कि आपके व्यवहारिक अनुभव में क्या-क्या समस्याएं आई हैं, इन समस्याओं के समाधान के लिए आपने क्या कदम उठाए हैं|