दोगले मापदंडों पर चल रहा है देश?
पहलगाम में हिंदुओं की हत्या का विरोध करने पर मिली जेल!
शुभ-लाभ चिंता
इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा सार्वजनिक तौर पर की गई घिनौनी साइबर लिंचिंग के बाद 22 साल की शर्मिष्ठा ने न केवल वीडियो डिलीट किया बल्कि सार्वजनिक रूप से बिना किसी शर्त माफी भी मांग ली। इसके बावजूद ममता बनर्जी की पुलिस ने गुरुग्राम आकर शर्मिष्ठा को गिरफ्तार कर लिया। इस कार्रवाई में बंगाल पुलिस को कतई शर्म नहीं आई। उसने मुर्शिदाबाद और मालदा के दंगों में भी अपनी मुस्लिम परस्त घिनौनी भूमिका अदा की थी। तो उसे शर्म क्यों आए?
जब भी अभिव्यक्ति की आजादी और धर्मनिरपेक्षता की बात आती है, तथाकथित उदारवादी सेकुलर गिरोह और वोक लिबरल्स सबसे पहले कूद कर सामने आ जाते हैं। नैतिकता का नकाब ओढ़ कर ये लोग बाकी दुनिया को भाषण देने में माहिर हैं। लेकिन जब बात हिंदू भावनाओं और हिंदू समाज पर हमलों की आती है, तब न तो इन्हें बलात्कार की धमकियां दिखाई देती हैं, न सिर तन से जुदा जैसे नारे सुनाई देते हैं और न हिंदू देवी-देवताओं को खुलेआम दी जाने वाली गालियां सुनाई देती हैं। ऐसा क्या होता है कि जब भी बात हिंदुओं पर आती है तो यह जमात मौन व्रत धारण कर लेती है? इस दोगले मापदंड के बारे में ऐसी दोगली जमातें कभी आत्मविश्लेषण नहीं करतीं। भारत में ऐसे बहुतेरे कट्टरपंथी और हिंदू-विरोधी तत्व खुलेआम जहर उगल रहे हैं, हिंदू देवी-देवताओं का अपमान कर रहे हैं, देश और राष्ट्र की संस्कृति पर हमला कर रहे हैं, सेना को गालियां दे रहे हैं, लेकिन उन पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं होती। न उन्हें गिरफ्तार किया जाता, न उनसे कोई पूछताछ होती। बल्कि इन लोगों को बचाया जाता है, क्योंकि इनकी पीठ पर राजनीति की छत्रछाया है। तुष्टिकरण की राजनीति का इन्हें खुला संरक्षण प्राप्त है।
अब सवाल है कि अगर 22 साल की शर्मिष्ठा के साथ कोई अनहोनी होती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? क्या इसके लिए जिम्मेदार जज या शिकायतकर्ता को फांसी की सजा दी जाएगी? शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी से उठ रहे इन सवालों का जवाब पूरा देश मांग रहा है। पुणे के सिम्बायोसिस लॉ कॉलेज की 22 वर्षीय छात्रा शर्मिष्ठा को 30 मई 2025 को कोलकाता पुलिस ने गुरुग्राम से गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी की वजह क्या थी? ऑपरेशन सिंदूर पर एक इंस्टाग्राम वीडियो, जिसे उसने बाद में डिलीट भी कर दिया। पाकिस्तान की ट्रोल आर्मी की तरफ से मिलने वाली धमकियों और गाली-गलौज का जवाब देते हुए शर्मिष्ठा ने एक टिप्पणी की, जिसके बाद उसे भारत में बैठे इस्लामिक कट्टरपंथियों ने बलात्कार, हत्या और सिर तन से जुदा जैसे नारों के साथ भयानक धमकियां देनी शुरू कर दीं। सोशल मीडिया पर ऐसी खतरनाक और जानलेवा धमकियों की लाइन लग गई। लेकिन देश के कानून ने इन निर्लज्ज धमकियों का कोई संज्ञान नहीं लिया।
निर्लज्जता का चरम है कि अलीपुर कोर्ट ने मासूम शर्मिष्ठा को 13 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भी भेज दिया है। जबकि, जिन सैकड़ों इस्लामिक कट्टरपंथियों ने शर्मिष्ठा को जान से मारने, और उसका बलात्कार करने की धमकियां दी थीं, वे सभी छुट्टा घूम रहे हैं। आज भारत में जो तत्व असली जहर फैला रहे हैं, वे खुद को साहित्यकार, एक्टिविस्ट और तथाकथित पत्रकार बताते हैं। एक ओर मोहम्मद जुबैर जैसे लोग हैं, जो हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ अपमानजनक मीम्स फैलाता है और झूठे नैरेटिव गढ़ता है। फिर भी उन्हें फैक्ट चेकर कहा जाता है। उधयनिधि स्टालिन जैसा नेता सनातन धर्म को गंदा कीड़ा बताता है, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं होती। लीना मणिमेकलई जैसी फिल्ममेकर मां काली को सिगरेट और समलैंगिक झंडे के साथ दिखा कर कला की आड़ में अपमान करती है। लेकिन उस पर कभी अदालतें ध्यान नहीं देतीं। ये उस जमात के प्रतिनिधि हैं जो किसी न किसी रूप में हिंदू-विरोध का एजेंडा फैलाने में जुटे हैं और विडंबना यह है कि इनके पीछे तथाकथित सेकुलर ताकतों, अंतरराष्ट्रीय एनजीओ नेटवर्क और कुछ राजनीतिक दलों का खुला समर्थन है।
कोलकाता से पुलिस गुरुग्राम आकर शर्मिष्ठा को गिरफ्तार कर ले जाती है, लेकिन मुर्शिदाबाद दंगों में जहां हिंदू घरों को जलाया गया, मंदिरों को अपवित्र किया गया और निर्दोष लोगों की जानें ली गईं, वहां पुलिस कहां और क्यों गायब थी? हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन की निर्मम हत्या कर दी गई, वहां पुलिस कहां और क्यों गायब थी? हजारों लोगों ने कुछ ही घंटों में वहां से पलायन किया, तब सरकार और पुलिस कहां और क्यों गायब थी? मुर्शिदाबाद दंगे का मास्टरमाइंड आज तक क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया? इन गंभीर सवालों में घिरी बंगाल या कोलकाता पुलिस ने शर्मिष्ठा को गिरफ्तार कर खुद को और पूरी बंगाल सरकार को देश के सामने नंगा कर दिया है।
कोलकाता पुलिस 22 साल की छात्रा को गिरफ्तार करने में तेजी दिखाती है लेकिन धार्मिक मंचों से नफरत फैलाने वाले कट्टरपंथी मौलानाओं को पकड़ने में अपना हिजड़त्व प्रदर्शित करती है। क्या इसे ही लोकतंत्र कहते हैं? 22 वर्षीय छात्रा को सोशल मीडिया पोस्ट के लिए अपराधी बना दिया जाता है, लेकिन सैकड़ों गरीब-मासूम लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले दंगाइयों और उनके सूत्रधारों को हाथ तक नहीं लगाया जाता, क्या इसे ही लोकतंत्र कहते हैं? अधर्मी धर्मनिरपेक्षों, दुर्गतिगामी प्रगतिशीलों, दुर्बुद्धिजीवियों और हिंदुओं का कुतर्की विरोध कर खुद को महान समझने वाले स्खलित लोगों से सीधा सवाल है कि जब शर्मिष्ठा को बलात्कार और सिर तन से जुदा करने की खुलेआम धमकियां मिल रही थीं, तब तुम्हारी नैतिकता कहां घुसी हुई थी? क्या सिर्फ हिंदुओं और हिंदू देवी-देवताओं को गालियां देना ही तुम्हारा लोकतंत्र है? क्या सनातनी भावनाओं को कुचलना ही तुम्हारी आजादी है? क्या भारत को गालियां देना और कोसना ही तुम्हारी अभिव्यक्ति की आजादी है? क्या यही तुम्हारा सेलेक्टिव डेमोक्रेसी है?