आतंकवाद की जीरो टॉलरेंस नीति सनद रहे
ब्रिटेन के विदेश मंत्री से भारत के विदेश मंत्री की दो-टूक
आतंकवाद से लड़ाई में भारत के साथ अमेरिका
नई दिल्ली/वाशिंगटन, 07 जून (एजेंसियां)। भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने शनिवार को नई दिल्ली में ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी से मुलाकात की। डेविड लैमी अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत दौरे पर आए हैं। बैठक के दौरान डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है और हम उम्मीद करते हैं कि हमारे सहयोगी इस बात को समझें। भारतीय विदेश मंत्री ने पहलगाम आतंकी हमले निंदा करने और आतंकवाद के खिलाफ समर्थन के लिए भी ब्रिटिश सरकार को धन्यवाद दिया।
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी दो दिवसीय भारत दौरे पर शनिवार सुबह नई दिल्ली पहुंचे। लैमी के दौरे में दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा की जाएगी। एस. जयशंकर ने कहा कि, हम आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हैं और उम्मीद करते हैं कि हमारे सहयोगी देश इसे समझेंगे। हम कभी भी बुराई करने वालों को उनके पीड़ितों के बराबर नहीं रखेंगे। जयशंकर ने हाल ही में अंतिम रूप दिए गए भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते को असल मायनों में एक मील का पत्थर बताया। भारत ने बैठक के दौरान भी पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा उठाया।
ब्रिटेन उन देशों में शामिल था, जो पिछले महीने अपने सैन्य संघर्ष के दौरान अपने तनाव को कम करने के प्रयास में भारत और पाकिस्तान दोनों के संपर्क में थे। लैमी ने 16 मई से इस्लामाबाद की दो दिवसीय यात्रा की, जिसके दौरान उन्होंने सैन्य कार्रवाइयों को रोकने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को हुए समझौते का स्वागत किया। भारत दौरे से पहले डेविड लैमी ने पाकिस्तान का भी दो दिवसीय दौरा किया और उन्होंने भारत पाकिस्तान के बीच 10 मई को हुए संघर्ष विराम को जारी रखने की अपील की।
उधर अमेरिका ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल से स्पष्ट कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका भारत के साथ मजबूती से खड़ा है। अमेरिकी उप-विदेश मंत्री क्रिस्टोफर लैंडौ ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से यह बात कही। उन्होंने यह बात प्रतिनिधिमंडल की ओर से उन्हें पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारत का रुख बताए जाने के बाद कही। कई देशों के दौरों के बाद अंतिम चरण के तौर पर अमेरिका पहुंचे भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को यहां अमेरिकी उप-विदेश मंत्री से मुलाकात की। इस दौरान प्रमुख वार्ताकारों को 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाकर ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी दी गई। पहलगाम हमले में 26 लोगों की निर्मम हत्या की दी गई थी।
भारतीय दूतावास ने कहा कि डॉ. शशि थरूर के नेतृत्व में सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी उप-विदेश मंत्री के साथ गर्मजोशी के साथ बातचीत की। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी दी। इसके बाद अमेरिकी उप-विदेश मंत्री ने कहा कि भारतीय संसदीय प्रतिनिधियों के साथ यह एक शानदार बैठक थी। उन्होंने कहा, मैंने फिर से साफ किया है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका भारत के साथ मजबूती से खड़ा है। हमने दोनों देशों के लिए विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए व्यापार और वाणिज्यिक संबंधों का विस्तार करने सहित अमेरिका-भारत रणनीतिक संबंधों पर भी चर्चा की। विदेश विभाग के प्रवक्ता टैमी ब्रूस द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि उप-विदेश मंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी में भारत के लिए अमेरिका के मजबूत समर्थन की पुष्टि की। बयान के मुताबिक, प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री के साथ द्विपक्षीय संबंधों के प्रमुख क्षेत्रों को आगे बढ़ाने के महत्व पर चर्चा की, जिसमें दोनों देशों में आर्थिक विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए व्यापार और वाणिज्यिक संबंधों का विस्तार करना शामिल है।
प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी सीनेट की विदेश संबंध समिति के सदस्य सीनेटर क्रिस वैन होलेन के साथ भी बैठक की। दूतावास ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें पहलगाम में हुए जघन्य आतंकवादी हमले के बारे में जानकारी दी। इस दौरान भारत की जवाबी कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर पर भी चर्चा की गई और सभी रूपों में सीमा पार आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारत के दृढ़ संकल्प को सामने रखा गया। सीनेटर ने भारत में बार-बार होने वाले आतंकवादी हमलों के पीड़ितों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की और कहा कि अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ खड़ा है और नई दिल्ली के आत्मरक्षा के अधिकार के लिए समर्थन व्यक्त करता है।
थरूर ने अमेरिकी सीनेट की विदेश संबंध समिति के सदस्य सीनेटर कोरी बुकर से भी फोन पर बात की और बातचीत को उत्पादक बताया। उन्होंने बुकर को पहलगाम में हुए भयावह आतंकवादी हमले के बारे में जानकारी दी और सीमा पार से आतंकवाद के बार-बार उकसावे की घटनाओं का जिक्र किया। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर पर भी बात की और भविष्य में किसी भी आतंकवादी कार्रवाई का मुकाबला करने के लिए भारत के दृढ़ संकल्प पर जोर दिया।
थरूर ने कहा, सीनेटर बुकर ने आतंकवाद की स्पष्ट रूप से निंदा की और पीड़ितों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की। बातचीत में भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी के व्यापक विषयों पर भी चर्चा हुई, जिसे मजबूत समर्थन प्राप्त है। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वे अगली बार बुकर से व्यक्तिगत रूप से मिलेंगे। इससे पहले गुरुवार रात भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित एक विशेष स्वागत समारोह में कई प्रमुख अमेरिकी सांसदों और कांग्रेसियों के साथ-साथ नीति विशेषज्ञों ने भी भाग लिया। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत भी की।
पाकिस्तान जैश-ए-मोहम्मद को खत्म करे : अमेरिकी सांसद
वाशिंगटन, 07 जून (एजेंसियां)। अमेरिका में पाकिस्तान और उसके पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की जमकर किरकिरी हुई। एक वरिष्ठ अमेरिकी सांसद ब्रैड शेरमैन ने बिलावल को खूब खरी-खरी सुनाई। उन्होंने बिलावल से जैश-ए-मोहम्मद को खत्म करने के लिए काम करने को कहा। अमेरिकी सांसद ने पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व में आए पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल से कहा कि वह आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें और देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
बिलावल भुट्टो से मुलाकात के बाद शेरमन ने कहा, मैंने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को आतंकवाद से लड़ने की अहमियत समझाई। खासकर उनसे जैश-ए-मोहम्मद को खत्म करने को कहा, जिसने 2002 में अमेरिकी नागरिक डेनियल पर्ल की हत्या की थी। वह वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार पर्ल का जिक्र कर रहे थे, जिनकी पाकिस्तान में आतंकवादियों ने अगवा कर हत्या कर दी थी। उस मामले में उमर सईद शेख को अपराध की योजना बनाने के लिए दोषी ठहराया गया था। अमेरिकी सांसद ने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल पर डॉ. शकील अफरीदी की रिहाई के लिए दबाव डाला। डॉ. शकील ने अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को ओसामा बिन लादेन का पता लगाने में मदद की थी। शेरमन ने कहा, डॉ. अफरीदी को रिहा करना 9/11 के पीड़ितों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। अफरीदी को 2011 में बिन लादेन के छापे के बाद गिरफ्तार किया गया था और बाद में एक पाकिस्तानी अदालत ने उन्हें 33 साल की जेल की सजा सुनाई थी। अमेरिकी सांसद ने पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में चिंता जताते हुए कहा, पाकिस्तान में रहने वाले ईसाई, हिंदू और अहमदिया मुसलमानों को हिंसा, उत्पीड़न, भेदभाव या असमान न्याय प्रणाली के डर के बिना अपने धर्म का पालन करने और लोकतांत्रिक प्रणाली में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए।
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