कश्मीर में खोए 15 प्राचीन मंदिर तलाश रही हैं विद्यापीठ की प्रोफेसर
वाराणसी, 25 जून (एजेंसियां)। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में इतिहास विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अंजना वर्मा कश्मीर की वादियों में खोए और खंडहर हो चुके मंदिरों का अस्तित्व तलाश रही हैं। डॉ. वर्मा का दावा है कि उन्होंने कश्मीर में अमरनाथ और वैष्णो देवी जैसे ही चारों संप्रदायों के 15 से ज्यादा प्राचीन और भव्य देवालयों का विवरण जुटाया है। इसमें शैव, वैष्णव, सौर और शाक्त संप्रदाय से जुड़े मंदिर हैं। इस अध्ययन के लिए भारत सरकार ने वित्तीय मदद भी की है। डॉ. अंजना ने बताया कि जिन मंदिरों के विवरण उन्होंने जुटाए हैं, उनमें एकमात्र शंकराचार्य मंदिर में पूजा होती है। अन्य मंदिरों में न इक्का-दुक्का भक्त जाते तो हैं, मगर पूजा-पाठ नहीं होती। हैरानी की बात है कि इन मंदिरों के बारे में कश्मीर के लोकल लोगों और गाइड को भी नहीं पता थे। प्राचीनकाल में कश्मीर में कुल 973 हिंदू मंदिर थे।
स्तूप और हिंदू संस्थाओं को मिला दें तो 1399। मगर आज इतने ही खंडहर दिखाई पड़ते हैं। डॉ. अंजना वर्मा ने कहा कि वह बीते पांच साल में दुर्गम पहाड़ियों और घाटियों में मंदिरों के मैनेजमेंट, आने वाले भक्तों और पूजा-पाठ पर एक विवरण तैयार किया है। उन्होंने शैव मंदिर, वैष्णव मंदिर, सूर्य मंदिर और देवी मंदिरों पर कई पुरातात्विक साक्ष्य भी जुटाए हैं। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) की ओर से तीन लाख रुपए का एक प्रोजेक्ट भी दिया गया है। इसकी थीम है कश्मीर के प्राचीन हिंदू मंदिर : स्थापत्य, प्रबंधन और सांस्कृतिक अवदान। वहीं, कांची पीठ की ओर से भी कश्मीरी मंदिरों पर किए जा रहे अध्ययन से भी डॉ. अंजना जुड़ी हैं।
डॉ. वर्मा ने कहा कि अध्ययन के दौरान ये बात भी सामने आई कि स्थानीय लोग शंकराचार्य मंदिर और शिवलिंग की भव्यता व सुंदरता की तुलना केदारनाथ और अमरनाथ से करते हैं। ये जमीन से 1000 फीट की ऊंचाई पर है। कश्मीरी मंदिरों के सबसे बड़े ग्रंथ कल्हण की रजत तरंगिणी में उल्लेखित मंदिरों के खंडहर मिले हैं। अनंतनाग का शिव विष्णु मंदिर और मार्तंड्य का सूर्य मंदिर आज भी पर्यटकों और बाहरी श्रद्धालुओं की नजरों से दूर है।
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