केंद्र सरकार शीघ्र लाएगी 'बुला' कानून
लोन के बहाने ठगने वाले ऐप और एजेंसियों पर होगी सख्ती
जल्द ही मिलेगी केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी
नई दिल्ली, 30 जून (एजेंसियां)। केंद्र सरकार लोन देने के नाम पर लोगों से ठगी करने वाले ऐप और एजेंसी के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए नया कानून ला रही है। इस प्रस्तावित कानून का नाम बैनिंग आफ अनरेगुलेटेड लेंडिंग एक्टिविटीज (बुला) है, जिसे जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी मिलने वाली है। इसका उद्देश्य धोखाधड़ी को रोकना और नागरिकों की सुरक्षा करना है। इससे कर्ज देने वाली उन गतिविधियों पर रोक लगेगी, जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक या कोई दूसरी अधिकृत संस्था मंजूरी नहीं देती। साथ ही कम ब्याज पर लोन लेने के लिए संपर्क करें या पांच मिनट में कर्ज लें जैसे विज्ञापनों पर भी प्रतिबंध लगेगा।
दरअसल, यह कानून मुख्य रूप से चीन व अन्य देशों से संचालित डिजिटल लेंडिंग ऐप पर रोक लगाने के लिए लाया जा रहा है। देश में कई लोगों के फर्जी लोन ऐप के चक्कर में फंसकर बर्बाद होने के मामले सामने आए हैं। ये ऐप लोगों को कर्ज देकर उन्हें ब्लैकमेल करते हैं, जिसकी वजह से कई लोग आत्महत्या भी कर चुके हैं। वर्ष 2023 में भोपाल के एक व्यक्ति को लोन रिकवरी के लिए इतना प्रताड़ित किया गया कि उसने दो छोटे-छोटे बच्चों और पत्नी के साथ सामूहिक आत्महत्या कर ली। आए दिन ऐसे और भी कई मामले सामने आते हैं जब लोन देनदार समय पर किस्त न मिलने पर ग्राहक या उसके रिश्तेदार को धमकाने लगते हैं। उनके पास रिकवरी एजेंट के फोन आते हैं, उन्हें मानसिक प्रताड़ना या धमकी से गुजरना पड़ता है। गूगल ने सितंबर 2022 से अगस्त 2023 के बीच अपने प्ले स्टोर से 2200 से ज्यादा फर्जी लोन ऐप हटाए थे। सरकार द्वारा भी इस तरह के कई ऐप पर प्रतिबंध लगाया गया है। वहीं, आरबीआई ने पहले से ही इन ऐप पर शिकंजा कसने के लिए गाइडलाइंस बना रखी हैं, इसके बावजूद ये लोगों को आसानी से फंसाने में कामयाब हो जाते हैं।
इस कानून के अमल में आने के बाद कई फर्जी डिजिटल लोन ऐप पर लगाम लगेगी और खामियां भी दूर होंगी। अगर कोई व्यक्तिगत रूप से या फिर डिजिटल माध्यम से कमर्शियल लोन देने का कारोबार करता है तो उसे आरबीआई से या स्टेट बैंक ऑफ इंडिया कानून 1955 या फिर किसी राज्य के मनी लेंडिंग कानून के तहत मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। मंजूरी नहीं लेने वालों को दो से सात साल तक की जेल और दो लाख से एक करोड़ तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। प्रस्तावित कानून (बिल) में कर्ज देने वाली एजेंसी या ऐप का एक डाटाबेस होगा। किसी रिश्तेदार से लिए जाने वाले कर्ज को इसके दायरे से बाहर रखा गया है।
आजकल कई डिजिटल लोन ऐप चंद मिनटों में लोन देने का दावा करते हैं। ये खुद को अधिकृत संस्था की तरह दिखाते हैं, लेकिन असल में इनका मकसद लोगों को धोखा देना होता है। ऐसे में लोन ऐप डाउनलोड करने से पहले कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, ताकि आप साइबर ठगी और डेटा लीक जैसे खतरों से बच सकें। ये लोन देने के नाम पर लोगों से जरूरी दस्तावेज, फोटो और बैंक डिटेल्स मांगते हैं। बाद में मोटी रकम वसूलने के लिए धमकी देते हैं या फिर ग्राहक का डेटा ब्लैकमेलिंग और धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल करते हैं।
वे फोन में मौजूद फोटो, कॉन्टैक्ट और फाइल्स को एक्सेस कर लेते हैं और जब लेनदार उन्हें उनके मुताबिक रुपए नहीं लौटाता या उनका विरोध करता है तो वे उनकी फोटो मॉर्फ करके वायरल करने और रिश्तेदारों को गलत मैसेज भेजने की धमकी देते हैं। कई लोग बदनामी के डर से फर्जी ऐप को मोटी रकम ट्रांसफर भी कर देते हैं। वहीं कुछ लोग दवाब में आकर आत्महत्या कर लेते हैं। इसलिए कभी भी लोन ऐप की विश्वसनीयता की जांच किए बिना उसे डाउनलोड न करें। हमेशा लोन लेने के लिए आरबीआई से रजिस्टर्ड बैंक या गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) पर भरोसा करें। ये ऐप सुरक्षित होते हैं और लोगों की व्यक्तिगत जानकारी को गुप्त रखते हैं। आरबीआई के पोर्टल से आप इन ऐप की पुष्टि भी कर सकते हैं। तुरंत लोन जैसे ऑफर्स वाले लिंक पर क्लिक करने से बचें। एपीके लिंक से ऐप डाउनलोड न करें। फोटो, कॉन्टैक्ट या फाइल्स एक्सेस मांगने वाले ऐप को डाउनलोड न करें। किसी भी लोन ऐप के नियम व शर्तें ध्यान से जरूर पढ़ें। ऐसा करके आप फर्जी लोन ऐप के झांसे में आने से बच सकते हैं।
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