तथ्य-खोजी रिपोर्ट ने निष्पक्ष जांच में विफलता के लिए सरकार की आलोचना की
-मेंगलूरु मॉब लिंचिंग मामला
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| बेंगलूरु में जारी एक तथ्य-खोजी रिपोर्ट में २७ अप्रैल, २०२५ को कुडपडी, मेंगलूरु में केरल के मुस्लिम युवक अशरफ की भीड़ द्वारा की गई हत्या की निष्पक्ष जांच करने में विफल रहने के लिए कर्नाटक सरकार की कड़ी आलोचना की गई है|
मेंगलूरु मॉब लिंचिंग केस - संविधान की हत्या पर चुप्पी तोड़ने का समय आ गया है शीर्षक वाली रिपोर्ट को पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज - कर्नाटक, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स - कर्नाटक और ऑल इंडिया एसोसिएशन फॉर जस्टिस - कर्नाटक ने संयुक्त रूप से तैयार किया है|
इसे प्रेस क्लब में जारी किया गया, जिसमें मामले के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला गया| दलित नेता और वरिष्ठ कार्यकर्ता मावली शंकर, संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ अश्विनी के पी, अधिवक्ता विनय श्रीनिवास, मैत्रेयी और मानवी, एसआईओ के राज्य सचिव हयान कुद्रोली, पीयूसीएल सदस्य शशांक और मारे गए युवक अशरफ के भाई अब्दुल जब्बार इस कार्यक्रम में मौजूद थे|
रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे केरल के एक युवा मुस्लिम कूड़ा बीनने वाले अशरफ को कुडपडी में कथित तौर पर क्रिकेट खेल रहे लोगों के एक समूह ने बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला| इस घटना ने पूरे कर्नाटक में आक्रोश और शर्म की बात फैला दी, लेकिन दो महीने बाद भी, राज्य सरकार कथित तौर पर मामले के लिए एक विशेष सरकारी वकील नियुक्त करने में विफल रही है| इसके अलावा, अशरफ के परिवार को न तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट दी गई है और न ही कोई मुआवजा दिया गया है|
तथ्य-खोज समिति ने इसे प्रशासनिक विफलता और लापरवाही का स्पष्ट संकेत बताया है|
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