राजनीतिक दलों में ओबीसी से श्रेय लेने की होड़

स्थानीय निकाय चुनाव के पहले ओबीसी आरक्षण का मामला गरम

 राजनीतिक दलों में ओबीसी से श्रेय लेने की होड़

एक दूसरे के सिर पर उछाल रहे हैं टोपियां

हैदराबाद, 06 जुलाई (एजेंसियां)। तेलंगाना में सभी राजनीतिक पार्टियां स्थानीय निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग आरक्षण के मुद्दे पर लाभ लेने के लिए एक दूसरे से होड़ मचाए हुई हैं। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को तीन महीने में स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया है। ऐसे में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी और विपक्षी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और भाजपा तीनों ही पार्टियां आरक्षण के मुद्दे का फायदा उठाना चाहती हैं। कांग्रेस और बीआरएसभाजपा पर दबाव बना रही है कि वह केंद्र सरकार से आरक्षण विधेयक को मंजूर कराए। राज्य विधानसभा से तेलंगाना में ओबीसी आरक्षण बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने का विधेयक पारित हो गया है। भाजपा का कहना है कि ओबीसी आरक्षण लागू करना राज्य सरकार के हाथ में है।

बीआरएस एमएलसी के कविता ने तो इस मुद्दे पर 17 जुलाई को रेल रोको अभियान का आह्वान किया है ताकि केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जा सके। साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भी पत्र लिखा हैजिसमें राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग है कि 42 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू करने के बाद ही राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव होने चाहिए। के कविता ने ओबीसी आरक्षण को लेकर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की चुप्पी पर भी सवाल उठाए हैं। तेलंगाना कांग्रेस अध्यक्ष महेश कुमार गौड़ ने के कविता की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि जब राज्य में 10 साल उनके पिता यानि केसीआर की सरकार थीतब उन्होंने ओबीसी आरक्षण के बारे में एक शब्द भी क्यों नहीं बोला थाकानूनी मुद्दों का हवाला देते हुए तेलंगाना भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र राव ने 42 प्रतिशत आरक्षण को लागू करने में राज्य सरकार की ईमानदारी पर संदेह जताया।

तेलंगाना विधानसभा ने 17 मार्च को शिक्षारोजगार और ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों के चुनावों में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण को बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने के लिए दो विधेयक सर्वसम्मति से पारित किए। जिनमें तेलंगाना पिछड़ा वर्गअनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (शैक्षणिक संस्थानों में सीटों का आरक्षण और राज्य के तहत सेवाओं में नियुक्तियों या पदों का आरक्षण) विधेयक 2025 और तेलंगाना पिछड़ा वर्ग (ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों में सीटों का आरक्षण) विधेयक 2025 शामिल हैं। विधेयकों ने शिक्षा और रोजगार में मौजूदा 25 प्रतिशत और स्थानीय निकायों में 23 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग आरक्षण को बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दिया गया है। 2023 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का यह प्रमुख मुद्दा था। चूंकि पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण को 42 प्रतिशत तक बढ़ाना सभी वर्गों के लिए कुल कोटा के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन होगाइसलिए राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को केंद्र की मंजूरी की जरूरत है। सीएम रेवंत रेड्डी ने 17 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण बढ़ाने के मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ उनसे मिलने का समय भी मांगा।

केंद्र की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने परकांग्रेस पार्टी पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण को 42 प्रतिशत तय करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 243डी के तहत मिली शक्ति का इस्तेमाल करने पर विचार कर रही है। कांग्रेस राज्य के भाजपा नेताओं से प्रधानमंत्री मोदी को तेलंगाना विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को भारत के संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए मनाने का भी आग्रह कर रही है।

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