ब्राह्मण क्षत्रिय लड़कियों को मुसलमान बनाओ, 16 लाख पाओ
भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म को प्रदूषित करने की चल रही कोशिशें
यूपी में पकड़ा गया विदेशी फंडिंग से चल रहा खतरनाक गिरोह
दलित लड़कियों को मुस्लिम बनाने पर मिलते हैं 12 लाख
इस्लामिक देशों की अनगिनत यात्राएं कर चुका है सरगना
फौरी जांच में ही सौ करोड़ की विदेशी फंडिंग का खुलासा
शुभ-लाभ सरोकार
लखनऊ, 06 जुलाई (ब्यूरो)। भारत को संस्कृति और धार्मिक रूप से प्रदूषित करने की साजिशें काफी गहराई से काम कर रही हैं। इसमें भारत के नस्लदूषित तत्व सक्रिय हैं और उन्हें विदेशी षडयंत्रकारियों से अंधाधुंध पैसा मिल रहा है। इसके लिए बाकायदा गिरोह बना कर पूरे देशभर में काम हो रहा है। निहायत ही निकृष्ट स्तर पर उतर कर यह गिरोह हिंदू लड़कियों को मुसलमान बनाने का काम कर रहा है। ताकि हिंदू धर्म को पूरी तरह से संक्रमित किया जा सके। भारत में रह रही लेकिन विदेशी फंडिंग पर फल रही दोगली जमात ने हिंदू या अन्य गैर मुस्लिम धर्म की लड़कियों को मुसलमान बनाने के लिए बाकायदा रेट फिक्स कर रखी है।
ब्राह्मण या क्षत्रिय समाज की लड़कियों को फंसाने और उनका धर्म बदलवाने पर 15 से 16 लाख रुपए दिए जाते हैं। हिंदू दलित लड़कियों को फंसाने और उनका धर्म बदलवाने पर 10 से 12 रुपए दिए जाते हैं। गिरोह के पास इतने पैसे कहां से आते हैं? उत्तर प्रदेश पुलिस के एंटी टेररिस्ट स्कावड ने धर्मांतरण गिरोह के सरगना जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को गिरफ्तार कर विदेशों से मिली 100 करोड़ रुपए की फंडिग का खुलासा किया है। सौ करोड़ रुपए की इस फंडिंग का खुलासा तो अभी शुरुआती है। जैसे जैसे इसकी पर्तें खुल रही हैं, भयंकर बाते सामने आती जा रही हैं। छांगुर बाबा की सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन को भी गिरफ्तार किया गया है। गिरोह सरगना समेत इसके सदस्य सैकड़ों बार विभिन्न इस्लामिक देशों की यात्रा कर चुके हैं। गैंग के सदस्यों ने 40 से भी ज्यादा बैंक खाते खुलवा रखे थे, जिनमें 100 करोड़ से अधिक राशि का लेन देन हुआ। इस गिरोह को विदेश से इतनी अकूत फंडिंग हुई कि उससे करोड़ों रुपए की सम्पत्ति, शोरूम, बंगला, लग्जरी गाड़ियां, जेवरात और जमीनें खरीदी जा रही थीं।
ऐसे खतरनाक षडयंत्र पर काम करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करने में योगी सरकार को बड़ी सफलता मिली है। यूपी एटीएस ने अवैध रूप से धर्म परिवर्तन कराने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड और 50,000 रुपए के इनामी जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को गिरफ्तार कर लिया है। एटीएस ने मास्टरमाइंड के साथ उसके साथी नीतू उर्फ नसरीन को भी गिरफ्तार किया है। वहीं एटीएस द्वारा गिरोह के दो सदस्यों को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।
यूपी के एडीजी (लॉ एंड आर्डर) अमिताभ यश ने बताया कि बलरामपुर के ग्राम मधपुर में पीर साहब, नसरीन, जमालुददीन, महबूब आदि के नाम से कई संदिग्ध व्यक्तियों के रहने, विदेशी फंडिंग से एक साल के अंदर करोड़ों रुपए की सम्पत्ति, शोरूम, बंगला, लग्जरी गाडियां खरीदने की जानकारी प्राप्त हुई। इस पर मामले की जांच एटीएस की दी गई। एटीएस की जांच में सामने आया कि यह गिरोह सुनियोजित तरीके से युवतियों को प्रेमजाल में फंसाकर धर्म परिवर्तन कराता था। जांच के अनुसार, गिरोह के सदस्यों ने लगभग 40 बार इस्लामिक देशों की यात्रा की थी। साथ ही, उन्होंने अपने नाम और फर्जी संस्थाओं के नाम से 40 से अधिक बैंक खाते खुलवाए थे, जिनमें लगभग 100 करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ। ये फंड विदेशी स्रोतों से प्राप्त किए गए थे, जिनसे शोरूम, बंगले और लग्जरी गाड़ियों जैसी सम्पत्तियां खरीदी गईं।
इस पर यूपी एटीएस ने बलरामपुर के ग्राम मधपुर गांव से जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा और उसकी साथी नीतू उर्फ नसरीन को गिरफ्तार किया। एटीएस की पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा खुद को पीर बाबा और हजरत बाबा जलालुद्दीन के नाम से प्रचारित करता था। उसने शिजर-ए-तैय्यबा नामक पुस्तक भी प्रकाशित की थी, जिसका उपयोग वह और उसके सदस्य इस्लाम धर्म के प्रचार-प्रसार और ब्रेनवाशिंग में किया जाता था। जमालुद्दीन की काफी समय से तलाश की जा रही थी। इस पर 50 हजार रुपए का इनामी भी घोषित था।
एडीजी अमिताभ यश ने बताया कि गिरोह की साजिशें बेहद खतरनाक थीं। हिंदू समाज की लड़कियों को प्रेमजाल में फंसाकर, झूठे नामों से शादी का झांसा देकर उनका ब्रेनवाश किया जाता था। उन्होंने बताया कि लखनऊ निवासी गुंजा गुप्ता को अबू अंसारी नामक युवक ने अमित बनकर फंसाया और छांगुर बाबा की दरगाह ले गया, जहां उसका नाम बदलकर अलीना अंसारी कर दिया गया। इसके बदले उन्हें अच्छी जिंदगी, पैसे और सुरक्षा का लालच दिया गया। मुंबई के एक सिंधी परिवार का ब्रेनवाश कर इस्लाम कबूल करवाया गया था। परिवार में नवीन घनश्याम रोहरा, उनकी पत्नी नीतू और बेटी का नाम बदलकर जमालुद्दीन, नसरीन और सबीहा रख दिए गया था।
गिरोह ने हिंदू लड़कियों के धर्म परिवर्तन के लिए बाकायदा दरें तय कर रखी थीं। एटीएस की जांच में सामने आया कि ब्राह्मण, क्षत्रिय और सिख लड़कियों के लिए 15-16 लाख, पिछड़ी जातियों के लिए 10-12 लाख और अन्य जातियों के लिए 8-10 लाख तक की राशि निर्धारित थी। यह धर्म परिवर्तन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि पूरी तरह से संगठित आर्थिक अपराध था। सिर्फ प्रेमजाल ही नहीं, बल्कि गरीब और असहाय लोगों को भी यह गिरोह निशाना बनाता था। यदि कोई धर्मांतरण से इन्कार करता, तो उन्हें फर्जी मुकदमों में फंसाने की धमकी दी जाती। इस कार्य में छांगुर बाबा के साथ महबूब, पिंकी हरिजन, हाजिरा शंकर, सगीर, कथित पत्रकार एमेन रिजवी और नीतू जैसे लोग शामिल थे। यूपी एटीएस मामले की छानबीन कर रही है। साथ ही अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। यूपी एटीएस का कहना है कि यह नेटवर्क पूरे भारत में फैला हुआ है। पुलिस इस मामले को राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द से जोड़कर देख रही है। जांच एजेंसियां पूरे नेटवर्क की परतें खोलने में जुटी हैं।
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