तिलोदकी गंगा के पुनरुद्धार से जागेगी आस्था

सीएम योगी की पहल का असर, फिर लगेगा अमावस्या का मेला

तिलोदकी गंगा के पुनरुद्धार से जागेगी आस्था

अयोध्या07 जुलाई (ब्यूरो)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में जनपद के विकास के विभिन्न क्रियाकलापों के अंतर्गत पौराणिक नदी तिलोदकी गंगा (त्रिलोचना) का पुनरुद्धार कार्य प्रगति पर है। लोक मान्यता के अनुसारऋषि रमणक की तपस्या से तिलोदकी गंगा का आविर्भाव हुआ था। इसका उद्गम स्थल एवं ऋषि रमणक की तपस्थलीसोहावल बाजार से लगभग 3 किमी दक्षिणपंडितपुर गांव के समीप स्थित हैजिसे तिलोदकी गंगा का मूल उद्गम स्थल माना जाता है।

download (4)

इसी क्रम में अयोध्या जिला प्रशासन द्वारा तिलोदकी गंगा के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को ध्यान में रखते हुए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के माध्यम से इस नदी के पुनरुद्धार का कार्य प्रारंभ कराया गया है। यह नदी जनपद के तीन विकास खंडों सोहावलमसौधा एवं पूराबाजार तथा अयोध्या नगर निगम क्षेत्र से होकर प्रवाहित होती है और अंततः सरयू नदी में समाहित हो जाती है। नदी सोहावल विकासखंड की 5 ग्राम पंचायतों को अभिसिंचित करते हुएमसौधा विकास खंड की 8 ग्राम पंचायतों से गुजरती हैफिर अयोध्या नगर निगम क्षेत्र में प्रवेश करती है और अंततः पूराबाजार विकासखंड की चार ग्राम पंचायतों से होते हुए सरयू में समाहित हो जाती है।

तिलोदकी गंगा का कुल विस्तार क्षेत्र 25 किलोमीटर हैजिसमें से 11 किमी क्षेत्र को सीमांकित कर कार्य पूर्ण किया जा चुका है। इस प्रक्रिया में अब तक 43703 मानव दिवसों का सृजन हुआ है और लगभग 3100 परिवारों को आजीविका का साधन प्राप्त हुआ है। पुनरुद्धार के तहत नदी के तटों पर 10,000 से अधिक पौधों का रोपण भी किया जा रहा है। धार्मिक दृष्टि से भी यह नदी अत्यंत महत्वपूर्ण है। पंडितपुर और यज्ञवेदी पर भादो मास की अमावस्या को आज भी मेला लगता हैजिसे कुशोदपाटिनी अमावस्या भी कहा जाता है। कुछ वर्षों पूर्व तक यहां के घाटों पर श्रद्धालु स्नानदान एवं पुण्य लाभ अर्जित करते थेकिंतु नदी के लुप्त हो जाने के कारण यह परंपरा बाधित हो गई थी। अब पुनरुद्धार के उपरांत ये सभी धार्मिक आयोजन व परंपराएं पुनः जीवित हो सकेंगी।

Read More सीएम सिद्धरामैया ने स्पष्ट किया कि वह राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश नहीं करेंगे

download (5)

Read More मुख्यमंत्री ने विभिन्न विभागों के साथ प्रगति की समीक्षा की

तिलोदकी गंगा के पुनरुद्धार के उपरांत नदी के प्रवाह क्षेत्र का भूजल स्तर बढ़ जाएगाजिससे सिंचाई की सुविधा में सुधार होगा और कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी। इसके साथ हीजलभराव की समस्या से ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों को भी राहत मिलेगी। नदी के तटों पर पौधरोपण के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। जनपद अयोध्या की प्राचीन धरोहरों के संरक्षण हेतु मियावाकी पद्धति से वैदिक वनों की स्थापना का कार्य भी शुरू हो चुका है।

Read More  पैरा बैडमिंटन में वैश्विक स्तर पर बढ़ा यूपी का मान

इसके साथ ही जनपद की कुल 58 ग्राम पंचायतों में वैदिक वनों की स्थापना की जा रही हैजिनके माध्यम से लगभग 5 लाख पौधों का रोपण किया जाएगा। ये वन रामायण कालीन ऋषियोजैसे वशिष्ठअगस्त्यवाल्मीकिअत्रिश्रृंगी आदि एवं प्रख्यात विदुषियों जैसे गार्गीमैत्रेयीअरुंधतीसती शतरूपा और लोपामुद्रा के नाम पर नामित किए गए हैं। इन वनों में शीशमअर्जुननीमगहुआपीपल, पाकड़बरगदसहजनपुत्रजीवा, नींबूहरसिंगार आदि देशी प्रजातियों के पौधे रोपे जा रहे हैं।

मनरेगा योजना और राज्य वित्त के समन्वय से इन वैदिक वनों की स्थापना की जा रही है। योजना के तहत 2,50,000 मानव दिवसों का सृजन किया जाएगाजिसमें से 35,000 मानव दिवसों का सृजन पहले ही किया जा चुका है। इससे अब तक 2000 परिवारों को रोजगार प्राप्त हो चुका है। तिलोदकी गंगा का पुनरुद्धार केवल एक नदी के प्रवाह को पुनः स्थापित करने का कार्य नहींबल्कि यह योगी सरकार के संस्कृतिप्रकृति और समृद्धि के समन्वय दृष्टिकोण का जीता-जागता प्रमाण है। यह परियोजना धार्मिक पुनरुत्थानरोजगार सृजनजैव विविधता संरक्षण और हरित विकास का एक आदर्श।

#तिलोदकीगंगा, #गंगा_पुनरुद्धार, #आस्था_की_वापसी, #UPसरकार, #वनडिस्ट्रिक्टवनरिवर, #CMयोगी, #अयोध्या, #नदीसमृद्धि, #पर्यावरण_संरक्षण