बांग्लादेश का ऐतिहासिक सीताकुंड मंदिर नष्ट करने की तैयारी

 गृह मंत्रालय को भेजी गई रॉ और आईबी की चौंकाने वाली रिपोर्ट

बांग्लादेश का ऐतिहासिक सीताकुंड मंदिर नष्ट करने की तैयारी

आईएसआई समर्थित तत्वों के निशाने पर कई पौराणिक मंदिर

व्यापक हिंसा भड़कने की आशंका, सीमाई राज्य होंगे प्रभावित

नई दिल्ली/ढाका, 18 अगस्त (एजेंसियां)। भारत की खुफिया एजेंसियों रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ने प्रधानमंत्री कार्यालय और गृह मंत्रालय को चौंकाने वाली रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि बांग्लादेश की चंद्रहार पहाड़ी पर स्थित पौराणिक सीताकुंड मंदिर को ध्वस्त कर वहां मस्जिद खड़ी करने की योजना पर काम चल रहा है। कट्टर इस्लामिक तत्वों और आतंकी संगठनों की इस तैयारी को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का सीधा संरक्षण और सहयोग मिल रहा है। सीताकुंड मंदिर के साथ-साथ कई अन्य ऐतिहासिक हिंदू मंदिर भी निशाने पर हैं। दरअसल, बांग्लादेश से हिंदुओं का नामो निशान मिटा डालने पर वहां तेजी से काम हो रहा है। खुफिया एजेंसियों ने व्यापक हिंसा भड़कने की आशंका जताई है और कहा कि इसका असर भारत के सीमावर्ती राज्यों पर पड़ेगा।

बांग्लादेश अपनी संप्रभुता और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए सबसे गंभीर खतरों का सामना कर रहा है। 2024 के जेहादी तख्तापलट के बाद सेदेश की अल्पसंख्यक आबादी विशेष रूप से हिंदुओं का सुनियोजित रूप से सफाया किया जा रहा है। हिंदुओं के पवित्र धर्म स्थलों को नष्ट किया जा रहा है और हिंदुओं को लक्षित उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। इस भयावह अभियान के केंद्र में पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआईहै। आईएसआई आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के माध्यम से हिंदू धार्मिक विरासत को मिटाने और देश को भारत के खिलाफ जेहाद के लिए एक प्रमुख अड्डे में बदलने के लक्ष्य पर काम कर रहा है। अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस से साठगांठ कर आईएसआई बांग्लादेश में अपना नेटवर्क फैला रही है।

पिछले साल के तख्तापलट के बाद सेबांग्लादेश में हिंदू और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक लगातार उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआईदेशभर में प्राचीन हिंदू मंदिरों और पवित्र स्थलों के खिलाफ साजिश रचने के लिए लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का इस्तेमाल कर रही है। चिंताजनक बात यह है कि लश्कर और उसके सहयोगी जेहादी समूहों के सदस्य सार्वजनिक रूप से इन इरादों का बेशर्मी से ऐलान कर रहे हैंजिससे बांग्लादेश के हिंदू समुदाय में व्यापक भय और गुस्सा फैल रहा है। 16 अगस्त 2025 को एमएम सैफुल इस्लाम नाम के एक इस्लामवादी ने सीताकुंड पर्वत की चोटी पर मस्जिद निर्माण का ऐलान किया। इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए उसने चटगांव स्थित हत्जारी मदरसे हिफाजत-ए-इस्लाम (एचईएलके मुख्यालय में लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जेहाद अल-इस्लामी से जुड़े आतंकी सरगना मुफ्ती हारुन इजहार से मुलाकात की। हारुन इजहार को अवामी लीग के शासनकाल में 2013 से 2019 तक जेहादी हमलों की लहर के दौरान उग्रवाद में शामिल होने के आरोप में कई बार गिरफ्तार किया गया था। हारुन पर हिंदू समुदाय के लोगों, विदेशियों और पुलिस अधिकारियों की लक्षित हत्याओं के गंभीर मामले दर्ज हैं।

इन आतंकियों की निगाह बांग्लादेश में एक हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित चंद्रनाथ मंदिर पर है। यह हिंदुओं का पूजनीय शाक्त पीठ है। हिंदू मान्यताओं के अनुसारयहीं पर देवी सती की दाहिनी भुजा गिरी थी। इस पवित्र भूमि पर मस्जिद बनाने की योजना पर काम चल रहा है। इनका इरादा इस स्थान से मंदिर की शिनाख्त मिटाना है। इस कट्टरपंथी मुहिम को जमात-ए-इस्लामी, इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश और हिफाजत-ए-इस्लाम सहित कई कट्टर इस्लामी संगठनों का सक्रिय समर्थन मिल रहा है। इसमें अल-कायदा से जुड़े अंसार अल-इस्लाम के सरगना जशीमुद्दीन रहमानी की भी मदद मिल रही है। इस इस्लामी साजिश का तात्कालिक लक्ष्य 11वीं शताब्दी के सीताकुंड चंद्रनाथ धाम को मिटाना है। यह दक्षिण एशिया में हिंदुओं और बौद्धों के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। हर फरवरी में शिव चतुर्दशी के लिए हजारों की संख्या में लोग यहां इकट्ठा होते हैं। इस स्थल को पहले ही कई खतरों का सामना करना पड़ चुका है। 2023 में इस्लामी कट्टरपंथियों ने खुलेआम घोषणा की थी कि वे चंद्रनाथ पहाड़ी पर कब्जा कर उसकी चोटी पर मस्जिद बनाएंगे। इस्लामी कट्टरपंथी मुहम्मद शब्बीर बिन नजीर ने तो पहाड़ी की चोटी पर अजान और नमाज अदा करने का दावा भी किया था। धार्मिक अतिक्रमण के अलावाइस्लामी कट्टरपंथियों ने भयावह उकसावे के काम भी किए हैं। मसलन, मंदिर परिसर में बीफ-बारबीक्यू पार्टियों की योजना बनानाहिंदू तीर्थयात्रियों पर बीफ-बिरयानी के पैकेट फेंकना और हिंदू महिलाओं को परेशान करना। ये हरकतें जानबूझकर हिंदुओं को अपमानित करने और उनकी पवित्र परंपराओं का अपमान करने के लिए की जाती हैं।

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पाकिस्तानी आईएसआई के मंसूबे सीताकुंड से भी आगे तक फैले हैं। अन्य ठिकानों में चटगांव स्थित मेधास मुनि आश्रमबंदरबन जिले का स्वर्ण मंदिर और कॉक्स बाजार के महेशखली स्थित आदिनाथ मंदिर शामिल हैं। ये सभी प्राचीन और पवित्र हिंदू स्थल दक्षिण एशिया की आध्यात्मिक विरासत में गहराई से समाए हुए हैं। आईएसआई 2022 से रोहिंग्याओं और बिहारियों (फंसे हुए पाकिस्तानियों) को आतंकवादी ब्रिगेड बनाने के लिए आक्रामक रूप से भर्ती कर रही है। इसे अराकान आर्मी (रोहिंग्याओं से बनी) और मुहाजिर रेजिमेंट (बिहारियों से बनी) नाम दिया गया है। इन रंगरूटों को अल-कायदा की निगरानी में गुरिल्ला युद्ध के लिए नेपाल और पाकिस्तान के प्रशिक्षण शिविरों में भेजा जाता है।

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तख्तापलट के बाद बांग्लादेश की स्थिति काफी बिगड़ गई है। यूनुस शासन ने कराची से आने वाली खेपों पर लैंडिंग के बाद अनिवार्य सीमा शुल्क निरीक्षण हटा दियाजिससे आईएसआई को बांग्लादेश में हथियारोंविस्फोटकों और नशीले पदार्थों की बाढ़ लाने की अनुमति मिल गई। इन अवैध व्यापारों से होने वाली आय का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों में किया जाता है। पाकिस्तानी राजनीतिक इरशाद अहमद खान (पीएमएल-एन) ने खुले तौर पर स्वीकार किया कि पाकिस्तान बांग्लादेश को भारतीय प्रभाव से मुक्त करने के लिए हथियार भेज रहा है। इस चौंकाने वाले कबूलनामे ने यूनुस शासन की इस्लाम-समर्थक नीतियों से प्रेरित पाकिस्तान द्वारा बांग्लादेश में गुप्त रूप से की जा रही साजिशों की पुष्टि कर दी।

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पाकिस्तान को दुनिया भर में एक आतंकवाद-संरक्षक देश के रूप में जाना जाता हैजहां संयुक्त अरब अमीरातकुवैत और सऊदी अरब जैसे देश सुरक्षा जोखिमों के कारण उसके नागरिकों पर कड़े वीज़ा प्रतिबंध लगाते हैं। इसके ठीक विपरीतमुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश ने उन सुरक्षा उपायों को हटा दिया है जो कभी पाकिस्तानी घुसपैठ पर अंकुश लगाते थे। 2 दिसंबर 2024 को यूनुस शासन ने बांग्लादेशी वीजा चाहने वाले पाकिस्तानी नागरिकों के लिए अनिवार्य सुरक्षा मंजूरी का नियम समाप्त कर दिया। बाद में एक गोपनीय विज्ञप्ति में खुलासा हुआ कि दुनिया भर में बांग्लादेशी दूतावासों को भी ऐसा ही करने का निर्देश दिया गया हैजिससे आतंकवाद के जोखिमों को कम करने के लिए 2019 में जारी आदेश रद्द हो गया। इससे भी बुरी बात यह है कि 29 सितंबर 2024 को बांग्लादेश शासन ने एक राजपत्र जारी कर पाकिस्तानी शिपमेंट को अनिवार्य सीमा शुल्क निरीक्षण से छूट दे दी। इस खामी ने आईएसआई के लिए हथियारोंविस्फोटकों और नशीले पदार्थों की तस्करी के द्वार खोल दिए।

बांग्लादेश के हिंदू मंदिरों पर जारी हमला सिर्फ एक धार्मिक समुदाय पर हमला नहीं है, यह बांग्लादेश को जेहादियों के गढ़ में बदलकर भारत की पूर्वी सीमा को अस्थिर करने की पाकिस्तान की बड़ी साजिश का हिस्सा है। यूनुस शासन द्वारा लंबे समय से चली आ रही सुरक्षा बाधाओं को हटाकर आईएसआई की घुसपैठ को बढ़ावा देने के साथबांग्लादेश कट्टरपंथी इस्लामी और आतंकवादी ताकतों के लिए एक लॉन्चपैड बनता जा रहा है। अगर पाकिस्तान की आईएसआईलश्कर-ए-तैयबा और ढाका के सत्तारूढ़ इस्लामवादियों के बीच इस खतरनाक गठबंधन का सीधा मुकाबला नहीं किया गयातो बांग्लादेश न केवल अपनी बहुलवादी पहचान खोने का जोखिम उठाएगाबल्कि हिंदू धर्म और भारतीय सभ्यता के खिलाफ पाकिस्तान के अंतहीन जेहाद का नया युद्धक्षेत्र भी बन जाएगा।

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