अमेरिकी टैरिफ का जवाब देने के लिए मोदी ने की बैठक

अमेरिकी टैरिफ का जवाब देने के लिए मोदी ने की बैठक

नई दिल्ली, 26 अगस्त (एजेंसियां)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सरकार द्वारा भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने के फैसले के बाद भारत पर कुल अमेरिकी टैरिफ 50% हो जाएगा। यह आदेश 27 अगस्त 2025 से लागू होना है। इस कदम ने भारतीय निर्यातकों के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं और अब सरकार से राहत की उम्मीदें जताई जा रही हैं। इसी स्थिति से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महत्वपूर्ण बैठक बुलाई। बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और गृह मंत्री अमित शाह समेत वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

बैठक में अमेरिकी निर्णय से भारतीय निर्यात पर पड़ने वाले असर, उद्योग जगत की चिंताओं और संभावित विकल्पों पर विस्तार से चर्चा हुई। यह माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही निर्यातकों को राहत देने के लिए आर्थिक और नीतिगत कदम उठा सकती है। वाणिज्य मंत्रालय ने सुझाव दिया कि सरकार निर्यातकों को कर में छूट, सब्सिडी और ऋण गारंटी जैसे प्रोत्साहन दे सकती है ताकि अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा बनी रहे। बैठक में चीन, यूरोप, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिकी देशों में निर्यात बढ़ाने पर जोर दिया गया, ताकि अमेरिकी निर्भरता घटे। साथ ही यह भी संकेत दिया गया कि भारत, अमेरिका से उच्च स्तरीय वार्ता कर सकता है और इसके लिए कूटनीतिक चैनल सक्रिय किए जाएंगे। भारतीय उद्योगों को अतिरिक्त दबाव से बचाने के लिए घरेलू स्तर पर टैक्स रियायत और विशेष पैकेज पर भी विचार किया जा रहा है।

भारतीय निर्यातकों का कहना है कि अतिरिक्त टैरिफ के कारण भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे, जिससे प्रतिस्पर्धा कम होगी। उदाहरण के लिए, भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले वस्त्र, फार्मास्यूटिकल्स, स्टील और कृषि उत्पादों पर सीधा असर पड़ेगा। अनुमान है कि इन क्षेत्रों का निर्यात 30-35% तक प्रभावित हो सकता है। इससे लाखों लोगों के रोजगार पर भी खतरा मंडरा रहा है।

सरकारी सूत्रों का कहना है कि भारत अपनी रणनीति को तीन चरणों में आगे बढ़ा सकता है। पहला, अमेरिका से बातचीत कर व्यापारिक तनाव को कम करना। दूसरा, भारतीय निर्यातकों को राहत पैकेज देना। और तीसरा, वैश्विक निर्यात नेटवर्क को मजबूत करना। विशेषज्ञों का मानना है कि यह टैरिफ विवाद भारत और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध का रूप भी ले सकता है। ऐसे में भारत को अपनी आर्थिक नीतियों को संतुलित करना होगा। केंद्र सरकार का मानना है कि भारत को दीर्घकालिक रूप से आत्मनिर्भरता की दिशा में तेज कदम बढ़ाने होंगे।

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बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि निर्यातकों को राहत देने के लिए जल्द ठोस कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि भारत किसी भी स्थिति में अपने व्यापारिक हितों की रक्षा करेगा और किसानों से लेकर छोटे उद्योगों तक सभी को सहयोग दिया जाएगा। इस संदर्भ में वित्त मंत्री और वाणिज्य मंत्री को शीघ्र प्रस्ताव तैयार करने के लिए कहा गया है।

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जर्मनी के अखबार का बड़ा दावा

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ट्रंप ने टैरिफ विवाद के बीच 4 बार लगाया फोन, पीएम मोदी ने नहीं की बात

नई दिल्ली, 26 अगस्त (एजेंसियां)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब से भारत पर 50% टैरिफ का निर्णय लिया है, तब से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ गया है। अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार ट्रंप ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी से सीधी बात करने के लिए चार बार फोन लगाया, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे बात नहीं की।

सूत्रों के अनुसार, ट्रंप प्रशासन चाहता था कि भारत इस टैरिफ के खिलाफ कोई कड़ा कदम न उठाए और बातचीत के जरिए मसले का हल निकाला जाए। लेकिन भारत की ओर से सख्त संदेश गया है कि बिना ठोस प्रस्ताव के कोई चर्चा संभव नहीं है।

अमेरिकी अखबार "जमिनी टाइम्स" का दावा है कि ट्रंप इस विवाद को सुलझाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे थे, लेकिन भारत सरकार का मानना है कि एकतरफा फैसलों के बाद बातचीत का कोई औचित्य नहीं बचता। यही कारण है कि मोदी ने ट्रंप के कॉल रिसीव नहीं किए।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति दोनों देशों के रिश्तों में तनाव और बढ़ा सकती है। यदि व्यापार युद्ध गहराता है तो इसके परिणाम वैश्विक बाजार पर भी होंगे। हालांकि, भारत ने संकेत दिया है कि वह अमेरिका से बातचीत के दरवाजे बंद नहीं कर रहा, लेकिन बातचीत तभी होगी जब अमेरिका टैरिफ निर्णय पर पुनर्विचार करे।

इस विवाद का असर एशिया-प्रशांत क्षेत्र के आर्थिक सहयोग और वैश्विक सप्लाई चेन पर भी पड़ सकता है। आने वाले हफ्तों में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक गतिविधियाँ तेज हो सकती हैं।

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