तो लादेन को पाकिस्तान में घुसकर क्यों मारा था!
जयशंकर ने अमेरिका को गिरेबान में झांकने की सलाह दी
यूरोप भी रूस से कर रहा व्यापार, फिर भारत से चिढ़ क्यों?
नई दिल्ली, 24 अगस्त (एजेंसियां)। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने अमेरिका को अपनी गिरेबान में झांकने की सलाह दी है। जयशंकर ने कहा, अमेरिका और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से संबंध रहे हैं। लेकिन सच यह भी है कि दोनों ने कई बार उस पुराने इतिहास को नजरअंदाज भी किया है। डॉ. जयशंकर ने वर्ष 2011 में पाकिस्तान के अंदर इस्लामाबाद के पास अमेरिकी सेना की कार्रवाई में अल-कायदा आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन के मारे जाने की भी अमेरिका को याद दिलाई।
ओसामा बिन लादेन को 2 मई 2011 को अमेरिकी नौसेना के कमांडो दल ने पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के पास स्थित एबटाबाद में मार गिराया था। अमेरिका ने इस अति-गोपनीय ऑपरेशन को अंजाम देने से पहले पाकिस्तान को सूचित नहीं किया था। ओसामा बिन लादेन जैसे अमेरिका विरोधी आतंकी सरगना को शरण देने वाले उसी पाकिस्तान के मौजूदा सेना प्रमुख आसिम मुनीर का व्हाइट-हाउस में स्वागत करने में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने ओहदे का प्रोटोकॉलिक ध्यान भी नहीं रखते।
बहरहाल, विदेश मंत्री का यह बयान अमेरिका और पाकिस्तान के बीच बढ़ती करीबी पर आया। उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि जब देश सुविधा की राजनीति पर बहुत ज्यादा केंद्रित होते हैं, तो वे ऐसा करने की कोशिश करते रहते हैं। इसमें कुछ सामरिक हो सकता है, कुछ के कुछ अन्य लाभ या गणनाएं हो सकती हैं। जयशंकर ने भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, मैं मौजूदा हालात या चुनौती के हिसाब से प्रतिक्रिया देता हूं। लेकिन मैं ऐसा हमेशा रिश्तों की व्यापक संरचनात्मक मजबूती और उससे मिलने वाले विश्वास को ध्यान में रखते हुए करता हूं।
जयशंकर ने रूस से तेल खरीद को लेकर भारत को निशाना बनाने के लिए अमेरिका की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यही पैमाना रूसी कच्चे तेल और रूसी एलएनजी के सबसे बड़े आयातक चीन और यूरोपीय संघ पर लागू क्यों नहीं किए गए। उन्होंने कहा कि जब लोग कहते हैं कि हम जंग को वित्तपोषित कर रहे हैं या राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खजाने में पैसा डाल रहे हैं तो यह क्यों नहीं कहते कि यूरोपीय संघ भी पुतिन के खजाने में पैसा डाल रहा है? यूरोपीय संघ का रूस से जारी व्यापार भारत-रूस व्यापार से बहुत बड़ा है।
डॉ. जयशंकर ने यह स्वीकार किया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की ओर से रूसी कच्चे तेल की खरीद बढ़ी है और कहा कि यह राष्ट्रीय हितों से प्रेरित है। उन्होंने कहा, यह हमारा अधिकार है। हम तेल बाजार को स्थिर करने के लिए रूस से तेल खरीद रहे हैं। यह हमारे राष्ट्रीय हित में है। हमने कभी इसके विपरीत दावा नहीं किया, लेकिन हम यह भी कहते हैं कि यह वैश्विक हित में है। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों में किसी तीसरे पक्ष या देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता है और पिछले 50 से अधिक वर्षों से इस पर राष्ट्रीय सहमति रही है। उनका यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बार-बार इस दावे पर आया कि उन्होंने मई में भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष को रुकवाया था।
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