“मैं मरने जा रहा हूं…” ऑस्ट्रेलिया में पहलगाम जैसा हमला, आम नागरिक बना हीरो—आतंकियों से छीन ली बंदूक

“मैं मरने जा रहा हूं…” ऑस्ट्रेलिया में पहलगाम जैसा हमला, आम नागरिक बना हीरो—आतंकियों से छीन ली बंदूक

नई दिल्ली, 15 दिसम्बर,(एजेंसियां)। ऑस्ट्रेलिया में एक सार्वजनिक आयोजन के दौरान हुई गोलीबारी ने पूरी दुनिया को दहला दिया। निहत्थे लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग के बीच एक आम नागरिक की बहादुरी ने कई जानें बचा लीं। सफेद शर्ट में दिख रहा यह शख्स अहमद अल अहमद है—दो बच्चों का पिता—जिसने अपनी जान की परवाह किए बिना हमलावर से राइफल छीन ली और उसे काबू में कर लिया। इस संघर्ष में अहमद खुद भी गोलियों का शिकार हुए, लेकिन उनकी सूझबूझ और साहस ने एक बड़े नरसंहार को टाल दिया।

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। फुटेज में दिखता है कि हथियारबंद हमलावर फायरिंग कर रहा है। तभी अहमद पास में खड़ी कारों की आड़ लेकर धीरे-धीरे हमलावर के करीब पहुंचते हैं और अचानक झपट्टा मारकर उसके हाथ से राइफल छीन लेते हैं। दोनों के बीच हाथापाई होती है और हमलावर जमीन पर गिर पड़ता है। इसी दौरान पास के एक पुल से मौजूद दूसरे हमलावर ने अहमद पर गोली चला दी। अहमद को दो गोलियां लगीं और वे मौके पर ही गिर पड़े।

अहमद को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनके कजिन मुस्तफा ने बताया कि डॉक्टरों के मुताबिक अहमद खतरे से बाहर हैं, हालांकि उनका ऑपरेशन किया जाएगा। इलाज जारी है। घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने अहमद को “100% हीरो” बताया और उनकी बहादुरी को सलाम किया। कई यूजर्स ने लिखा कि अगर अहमद आगे न बढ़ते, तो हालात कहीं ज्यादा भयावह हो सकते थे।

यह हमला ऐसे समय हुआ है जब ऑस्ट्रेलिया में सार्वजनिक सुरक्षा और हथियार कानूनों को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है। देश पहले भी कई बड़े सामूहिक हमलों का दर्द झेल चुका है। 1996 में तस्मानिया के पोर्ट आर्थर में 35 लोगों की हत्या के बाद ऑस्ट्रेलिया ने दुनिया के सबसे सख्त हथियार कानून लागू किए थे। इसके बावजूद समय-समय पर हुई घटनाओं ने सुरक्षा एजेंसियों की तैयारियों पर सवाल खड़े किए हैं। 2014 में सिडनी के लिंड्ट कैफे बंधक संकट से लेकर 2019 में न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च हमले तक, इस क्षेत्र ने हिंसा के कई काले अध्याय देखे हैं।

Read More विमान दुर्घटना में मारे गए लोगों में से 174 के अवशेषों की पहचान

हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं भी सामने आईं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जताई। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर कायम है और हर रूप में आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का समर्थन करता है। भारत ने इस दुख की घड़ी में ऑस्ट्रेलिया के साथ एकजुटता दिखाई है।

Read More कोविड-19 की उत्पत्ति पर डेटा साझा करे चीन : डब्ल्यूएचओ

दूसरी ओर, इस घटना को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गए हैं। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज पर लापरवाही का आरोप लगाया। उनका कहना है कि चेतावनियों के बावजूद पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए, जिससे यह हमला हुआ। नेतन्याहू ने ऑस्ट्रेलिया में यहूदी विरोधी भावना बढ़ने और फिलिस्तीन समर्थक रुख के कारण यहूदियों की सुरक्षा में चूक का आरोप भी लगाया। हालांकि ऑस्ट्रेलियाई सरकार की ओर से इन आरोपों पर आधिकारिक प्रतिक्रिया का इंतजार है।

Read More पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन

इस बीच, ऑस्ट्रेलिया में अहमद अल अहमद एक साहसिक प्रतीक बनकर उभरे हैं—एक ऐसा आम नागरिक, जिसने असाधारण साहस दिखाकर आतंक के सामने मानवता की जीत दर्ज कराई। उनकी बहादुरी ने यह साबित कर दिया कि संकट की घड़ी में एक व्यक्ति का साहस भी इतिहास की दिशा बदल सकता है।