बिहार भाजपा की कमान संजय सरावगी के हाथ, छह बार के विधायक को मिली बड़ी संगठनात्मक जिम्मेदारी
नई दिल्ली, 15 दिसम्बर,(एजेंसियां)। भारतीय जनता पार्टी ने बिहार में एक बड़ा संगठनात्मक बदलाव करते हुए दरभंगा से लगातार छह बार विधायक रहे संजय सरावगी को राज्य इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। वह मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप कुमार जायसवाल का स्थान लेंगे। पार्टी नेतृत्व का यह फैसला आगामी चुनावी चुनौतियों और बिहार की राजनीतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। संजय सरावगी की नियुक्ति को भाजपा के संगठनात्मक ढांचे को और मजबूत करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
संजय सरावगी बिहार भाजपा के उन नेताओं में गिने जाते हैं, जिनकी पहचान एक जमीनी, अनुशासित और बेदाग छवि वाले नेता के रूप में रही है। दरभंगा विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने फरवरी 2005, अक्टूबर 2005, 2010, 2015, 2020 और 2025 में लगातार जीत दर्ज कर इतिहास रचा है। 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में उन्होंने विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के उम्मीदवार उमेश साहनी को 24,593 मतों के बड़े अंतर से हराकर अपनी राजनीतिक पकड़ को एक बार फिर साबित किया।
संजय सरावगी का राजनीतिक सफर फरवरी 2005 से शुरू हुआ, जब उन्होंने दरभंगा सीट से राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के उम्मीदवार मोहम्मद मुमताज को 14,188 वोटों से हराया। इसके बाद अक्टूबर 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार डॉ. मदन मोहन झा को 24,983 वोटों से पराजित कर अपनी सीट बरकरार रखी। यह जीत उनके लिए निर्णायक साबित हुई और उन्होंने दरभंगा को भाजपा का मजबूत गढ़ बना दिया।
2010 के विधानसभा चुनाव में सरावगी ने आरजेडी के सुल्तान अहमद को 27,554 मतों के अंतर से हराया। इसके बाद 2015 और 2020 के चुनावों में भी उन्होंने आरजेडी के उम्मीदवारों ओम प्रकाश खेरिया और अमर नाथ गामी को पराजित कर जीत की लय बनाए रखी। लगातार छह बार विधायक चुने जाना उनकी लोकप्रियता और संगठन पर मजबूत पकड़ का संकेत माना जाता है।
संगठनात्मक राजनीति के साथ-साथ संजय सरावगी को प्रशासनिक अनुभव भी हासिल है। वह नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में राजस्व और भूमि सुधार मंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं। मंत्री रहते हुए उन्होंने भूमि सुधार, राजस्व प्रशासन और आम जनता से जुड़े मामलों में सक्रिय भूमिका निभाई। उनके कार्यकाल को अपेक्षाकृत विवादमुक्त और परिणामोन्मुखी माना जाता है, जिसने पार्टी नेतृत्व के बीच उनकी विश्वसनीयता को और मजबूत किया।
भाजपा सूत्रों के अनुसार, संजय सरावगी की नियुक्ति के पीछे उनकी संगठनात्मक क्षमता, साफ-सुथरी छवि और बिहार की सामाजिक-राजनीतिक संरचना की गहरी समझ प्रमुख कारण हैं। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों को देखते हुए बिहार में एक ऐसे अध्यक्ष की जरूरत थी, जो संगठन और सरकार—दोनों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित कर सके। सरावगी से यह अपेक्षा की जा रही है कि वह कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरेंगे और बूथ स्तर तक पार्टी को और मजबूत करेंगे।
प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद संजय सरावगी के सामने कई चुनौतियां होंगी। बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण, क्षेत्रीय दलों की सक्रियता और विपक्षी महागठबंधन से मुकाबला—ये सभी ऐसे मुद्दे हैं, जिनसे उन्हें रणनीतिक तौर पर निपटना होगा। इसके साथ ही, संगठन में संतुलन बनाए रखना और पुराने व नए कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलना भी उनकी प्राथमिकताओं में शामिल रहेगा।
भाजपा के भीतर इस नियुक्ति को नेतृत्व में निरंतरता और स्थिरता के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी का मानना है कि संजय सरावगी के नेतृत्व में बिहार भाजपा न केवल संगठनात्मक रूप से मजबूत होगी, बल्कि चुनावी मोर्चे पर भी अधिक आक्रामक और संगठित रणनीति के साथ आगे बढ़ेगी। कुल मिलाकर, छह बार के अनुभवी विधायक को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपकर भाजपा ने बिहार में अपनी भविष्य की राजनीतिक दिशा स्पष्ट कर दी है।

