भाजपा स्पीकर के खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू करने की बना रही योजना
विधानसभा से विधायकों का निलंबन मामला
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| भाजपा पार्टी ने निर्णय लिया है कि यदि विधानसभा अध्यक्ष ने हाल ही में संपन्न बजट सत्र के अंतिम दिन कार्यवाही के दौरान दुर्व्यवहार के आरोप में विधायकों को छह महीने के लिए विधानसभा से निलंबित करने का आदेश वापस नहीं लिया तो वह अदालत का दरवाजा खटखटाएगी| इससे पहले महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने १२ विधायकों को निलंबित किया था|
भाजपा ने इस पर सवाल उठाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था| बॉम्बे हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद २०२१ के एक फैसले का हवाला देते हुए निलंबन आदेश को रद्द कर दिया| अब, राज्य के भाजपा विधायक भी उसी न्यायिक मार्ग की मांग कर रहे हैं| हालांकि, उन्हें उम्मीद है कि अंतिम क्षण तक सदन के भीतर इस मुद्दे का समाधान हो जाएगा| विधानसभा में विपक्ष के नेता आर. अशोक के नेतृत्व में भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष से मिलकर निलंबन समाप्त करने का अनुरोध करने वाला था| हालाँकि, गुड फ्राइडे की छुट्टी के कारण बैठक सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई| भाजपा अपना अगला निर्णय सोमवार को होने वाली बैठक के नतीजे के बाद लेगी|
एक भाजपा नेता ने कहा कि यद्यपि अदालत जाना एक विकल्प है, हम संयम बनाए रखना चाहते हैं क्योंकि हमारा उद्देश्य विधायिका और न्यायपालिका के बीच टकराव से बचना है| हालाँकि, अब जिम्मेदारी अध्यक्ष के पास है| यदि वे सोमवार तक निलंबन आदेश वापस नहीं लेते हैं, तो हमारे पास राज्य उच्च न्यायालय में अपील दायर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा|
अध्यक्ष यू.टी. खादर ने स्पीकर के आसन का अनादर करने को लेकर १८ भाजपा विधायकों को ६ महीने के लिए निलंबित करने का आदेश जारी किया था| मंत्री के.एन. राजन्ना के हनीट्रैप में फंसाने के मामले में भाजपा की चर्चा की कोशिश को लेकर सदन में हंगामा हुआ| भाजपा विधायकों ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग को लेकर धरना दिया| इस मौके पर भाजपा विधायकों ने स्पीकर की सीट के पास जाकर हंगामा किया| उन्होंने कागजात भी फाड़कर बेंच पर फेंक दिए| इसके बाद सदन स्थगित कर दिया गया| इसके तुरंत बाद मुख्यमंत्री सिद्धरामैया और विधि एवं संसदीय कार्य मंत्री ने अध्यक्ष के कार्यालय में बैठक की| बैठक में निलंबन का निर्णय लिया गया| भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही पुनः शुरू होने पर अध्यक्ष ने यह मुद्दा उठाया तथा कहा पीठ के प्रति किसी भी प्रकार का अनादर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा| इस संबंध में आदेश जारी किया गया कि १८ विधायकों को छह महीने के लिए निलंबित किया जाएगा| निलंबित विधायकों को विधानसभा मार्शलों द्वारा बाहर ले जाया गया| विपक्ष के नेता आर. अशोक ने विधानसभा अध्यक्ष यूटी को एक पत्र लिखा था|
खादर को पत्र लिखकर उनसे कर्नाटक विधानसभा के १८ सदस्यों को निलंबित करने के आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया गया| राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों को लोकतंत्र का सर्वोच्च स्थान, लोकतंत्र का मंदिर कहना गलत नहीं है| इन मंदिरों में पीठासीन अधिकारियों का पद समान रूप से सम्मानित है| इस मामले पर मेरी कोई असहमति नहीं है| २१ मार्च की घटना जानबूझकर नहीं की गई थी| न ही किसी विधायक का आपके बेंच का अनादर करने का कोई इरादा था| हमने पिछले दो वर्षों में आपको सदन की कार्यवाही का बहुत करीब से संचालन करते हुए देखा है| इन दिनों जब संसदीय बहस की गुणवत्ता, भाषा का प्रयोग, कार्यवाही में नियमों का पालन आदि में दिन-प्रतिदिन गिरावट आ रही है, तो कोई भी समझ सकता है कि यह कितना कठिन है| उन्होंने कहा इसलिए हमारे मन में आपके प्रति अपार सम्मान है|
निलंबन आदेश पर पुनर्विचार का अनुरोध करते हुए उक्त आदेश को वापस लिया जाए| मैं एक बार फिर पूरी ईमानदारी से यह कहना चाहूंगा कि हमारा विरोध आपके खिलाफ नहीं था| जैसा कि इस पत्र के आरंभ में बताया गया है, सदन बड़ा है| अशोक ने अनुरोध किया था कि निलंबन आदेश पर पुनर्विचार किया जाए, लोकतंत्र की मूल आकांक्षा के अनुरूप कि अध्यक्ष सबसे वरिष्ठ हैं और इस सिद्धांत में विश्वास करते हैं कि इस संस्था की गरिमा और सम्मान को बनाए रखने के लिए हम सभी को एक साथ आने की जरूरत है| इसलिए उक्त आदेश को वापस लिया जाए|