लाभकारी, विकासकारी और प्रभावकारी विशिंगम
विशिंगम पोर्ट का निर्माण कर सिंघम साबित हुए अडाणी
भारत विरोधी नहीं चाहते थे कि पोर्ट का ठेका किसी भारतीय को मिले
तिरुवनंतपुरम, 03 मई (एजेंसी) भारत विरोधी शक्तियां विशिंगम ट्रांसशिपमेंट पोर्ट को अडाणी के हाथ नहीं जाने देना चाहती थी। इसीलिए अडाणी के खिलाफ पड़ोसी राष्ट्र का उस व्यावसायिक समूह को विरोध किया गया। इस प्रोजेक्ट में भारत विरोधी अमेरिकी डीप स्टेट और प्रोपेगंडा नेता राहुल गांधी शामिल रहे।
विशिंगम पोर्ट लाभकारी और वैश्विक स्तर पर भारत का प्रभाव बढ़ाने वाला सिद्ध हुआ है। विशिंगम पोर्ट से हर साल 1800 बड़े कंटेनर शिप भारत में उतर सकेंगे। इससे पहले यह जहाज श्रीलंका के कॉलंबो पोर्ट, दुबई या सिंगापुर पोर्ट जाते थे, यानी यहां के आसपास के समुद्र 18-20 मीटर गहरे हैं। वह बड़े गहराई वाले जहाजों के पोर्ट पर आने के लिए उपयुक्त होते हैं।
विशिंगम ट्रांसशिपमेंट पोर्ट के बनने से भारत को यह सुविधा प्राप्त हो गई है जहां अब ऐसे जहाज भारत आएंगे और फिर वह दूसरे छोटे जहाजों में भरा जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार 2 मई को केरल के तिरुवनंतपुरम में विशिंगम पोर्ट को देश को समर्पित किया। पीएम मोदी के साथ इस दौरे पर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और इस पोर्ट को चलाने वाली कंपनी अडाणी पोर्ट्स के मुखिया गौतम अडाणी मौजूद थे। पीएम मोदी ने इस प्रोजेक्ट को विकास की एक नई शुरुआत बताया। पीएम मोदी ने लॉन्चिंग से इस पोर्ट से देश को होने वाले लाभों को बताया। अगले 10 वर्षों में देश में लगातार समुद्री यातायात में तेजी लाने वाली योजनाएं लागू किए गए हैं।
विशिंगम पोर्ट फिलहाल तीन दर्जन से अधिक देशों के साथ चल रहा है। हालांकि, इसे पहले की सरकार के अंतर्गत रोकने की भरपूर कोशिश की गई। लेकिन अब भारत में आने वाला बड़ा समुद्री ट्रैफिक श्रीलंका और दुबई से हटकर विशिंगम की ओर आएगा जो भारत को तेज रफ्तार देगा।