एक करोड़ का इनामी नक्सल नेता मारा गया
मुठभेड़ में 27 नक्सली ढेर, एक जवान भी शहीद
नारायणपुर, 21 मई (एजेंसियां)। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच जोरदार मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में अब तक 27 नक्सली मारे गए हैं। ऑपरेशन के दौरान एक जवान शहीद हो गया, जबकि एक जवान घायल हुआ है। यह मुठभेड़ सुबह अबूझमाड़ के माड़ डिवीजन इलाके में हुई। नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिलने पर नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोंडागांव जिलों से जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) की टीमें एक साथ नक्सल विरोधी अभियान पर भेजी गई थीं। नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार ने बताया कि जवानों ने बहुत बहादुरी से नक्सलियों का मुकाबला किया और कई नक्सलियों को मार गिराया। राज्य के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा, एक जवान घायल हुआ है, लेकिन अब वह खतरे से बाहर है। जवानों ने बहुत साहस दिखाया है। अभी तक 27 से ज्यादा नक्सली मारे जा चुके हैं और अंतिम तलाशी अभियान जारी है। यह मुठभेड़ सुरक्षाबलों की नक्सल प्रभावित इलाके में अब तक की बड़ी सफलता मानी जा रही है।
मारे गए 27 खूंखार माओवादियों में सीपीआई-माओवादी का महासचिव, शीर्ष नेता और नक्सल आंदोलन की रीढ़ नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू भी शामिल हैं। नक्सलवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के तीन दशकों में यह पहली बार है कि सुरक्षाबलों द्वारा महासचिव स्तर का नेता मारा गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस उपलब्धि पर खुशी जताई और सुरक्षाबलों को उनकी बहादुरी के लिए बधाई दी है। अमित शाह ने कहा, मैं इस बड़ी सफलता के लिए हमारे बहादुर सुरक्षा बलों और एजेंसियों की सराहना करता हूं। यह बताते हुए भी खुशी हो रही है कि ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट के पूरा होने के बाद, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र में 54 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है और 84 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। मोदी सरकार 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को खत्म करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
बसव राजू ने 2018 में गणपति की जगह सीपीआई (माओवादी) के महासचिव का पद संभाला। गणपति या मुप्पला लक्ष्मण राव 2004 में पीपुल्स वार और एमसीसी के विलय के बाद सीपीआई (माओवादी) के पहले महासचिव थे। माना जाता है कि वह फिलीपींस भाग गया। आरईसी वारंगल से बसवा राजू ने बीएससी और बीटेक की डिग्री भी हासिल की। अभी उसकी उम्र लगभग 70 साल है। बसवा राजू को चिंतलनार में सीआरपीएफ के 76 जवानों को मारने वाले माओवादियों का नेतृत्वकर्ता माना जाता है। इतना ही नहीं झीरम घाटी में कांग्रेस के काफिले पर घात लगाकर हमला करने के लिए भी उसे जाना जाता है। इसमें राज्य के पार्टी नेताओं को चाकू घोंप दिया था और गोली मार दी गई थी। वह आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले से है और बचपन से ही सीपीआई (एमएल) पीपुल्स वार ग्रुप की तरफ उसका ज्यादा आकर्षण रहा है। 1980 के दशक की शुरुआत में वह इसमें शामिल हो गया।
माओवादी विचारधारा की तरफ आने से पहले बसवा राजू स्कूल और जूनियर कॉलेज में कबड्डी खिलाड़ी था। उसने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, वारंगल से बीटेक की डिग्री हासिल की थी। बसव राजू सीपीआई (माओवादी) सैन्य आयोग का नेतृत्व कर रहा था। केशव राव ने ऐसे समय में अपनी ग्रेजुएशन पूरी की थी, जब एनआईटी माओवादी विचारधारा का केंद्र बन गया था। इतना ही नहीं इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाले कई छात्र माओवादी आंदोलन में शामिल हो गए थे। उसे लिट्टे जैसे अन्य गुरिल्ला आंदोलनों के साथ मेलजोल रखने और आंध्र प्रदेश, ओड़ीशा और छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर काम करने के लिए जाना जाता है।
बसवा राजू को एक्सप्लोसिव एक्सपर्ट के तौर पर भी जाना जाता है। वह सुरक्षाबलों पर घात लगाने के लिए घातक आईईडी तैयार करता था। एनआईए ने उस पर करीब 1 करोड़ रुपए का इनाम भी रखा था। 23 सितंबर 2018 को माओवादियों ने अराकू तेलुगु देशम पार्टी के विधायक किदारी सर्वेश्वर राव और पूर्व विधायक सिवेरी सोमा की हत्या कर दी थी। यह सब कुछ बसवराज की प्लानिंग का ही नतीजा मान रहे थे।