देश के लिए एकजुटता और स्वदेशी ताकत जरूरी

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने दिया राष्ट्रीय सुरक्षा पर जोर

 देश के लिए एकजुटता और स्वदेशी ताकत जरूरी

ऑपरेशन सिंदूर ने हमारी मानसिकता बदली है

नई दिल्ली, 27 मई (एजेंसियां)। राज्यसभा इंटर्नशिप कार्यक्रम-चरण 7 के उद्घाटन सत्र में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने हमारी मानसिकता को बड़े पैमाने पर बदल दिया है। हम पहले से कहीं अधिक राष्ट्रवादी हुए हैं। उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर जोर दिया और कहा कि हमें एकजुट होने की जरूरत है। साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए स्वदेशी ताकत से सम्पन्न होना भी जरूरी है। उन्होंने एक बार फिर ऑपरेशन सिंदूर की तारीफ की।

उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में राज्यसभा इंटर्नशिप कार्यक्रम-चरण 7 के उद्घाटन सत्र में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने हमारी मानसिकता को बड़े पैमाने पर बदल दिया है। हम पहले से कहीं अधिक राष्ट्रवादी हुए हैं। यह हमारे शांति के संदेश और आतंकवाद के प्रति हमारी पूर्ण असहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए विदेश गए प्रतिनिधिमंडलों में सभी राजनीतिक परिदृश्यों की भागीदारी में परिलक्षित होता है।

उन्होंने कहा, हाल की घटनाओं को देखते हुए हमारे पास एकजुट रहने और मजबूत होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हमें स्वदेशी ताकत की आवश्यकता है। युद्ध को ताकत की स्थिति में टाला जाना चाहिए। शांति तब सुरक्षित होती है जब आप युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहते हैं और इसलिए ताकत तकनीकी कौशलपारंपरिक हथियारों के अलावा लोगों से भी आती है।

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को नेत्र रोग विशेषज्ञ एमएल राजा को एक साल के लिए डॉ एस राधाकृष्णन चेयर के लिए नामित किया। डॉ. एस राधाकृष्णन चेयर की स्थापना 2009 में राज्य सभा द्वारा भारत में संसदीय लोकतंत्र के विभिन्न पहलुओं पर अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए हुई थी। इस चेयर की शुरुआत प्रथम उपराष्ट्रपति के नाम पर हुई। जो बाद में राष्ट्रपति बने। धनखड़ के कार्यकाल के दौरान इसे क्रियाशील बनाया गया था। उपराष्ट्रपति ने कहा कि राजा एक नेत्र रोग विशेषज्ञपुरालेख विशेषज्ञपुरातत्वविद् और इतिहासकार के रूप में असाधारण बहु-विषयक विशेषज्ञता लेकर आए हैं। वे वर्तमान में अविनाश (एकेडमी ऑन वाइब्रेंट नेशनल आर्ट्स एंड साइंटिफिक हेरिटेज) और रिच (रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ क्रोनोलॉजी एंड हिस्ट्री) के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। उनके पास चिकित्सापुरातत्वपुरालेखशास्त्र और इतिहास में योग्यताएं हैं।

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उपराष्ट्रपति ने कहा, डॉ. राजा एक बहुआयामी विद्वान हैंजिनकी विशेषज्ञता नेत्र रोगपुरातत्वऔर इतिहास में है। उन्होंने प्राचीन भारतीय खगोलशास्त्र और ऐतिहासिक कालक्रम पर कई किताबें लिखी हैं। यह पुरस्कार उनके भारतीय इतिहास और संस्कृति के क्षेत्र में अमूल्य योगदान को दर्शाता है। यह पुरस्कार उनके भारतीय इतिहास और संस्कृति में योगदान के लिए है। राज्यसभा की तरफ से 2009 में स्थापित इस चेयर का उद्देश्य संसदीय लोकतंत्र पर शोध को बढ़ावा देना है।

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उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, मैं आज विशेष रूप से उनका स्वागत करता हूंजिनकी उपस्थिति मैंने आग्रहपूर्वक चाही थी और वे हैं डॉ. एमएल राजा। यह चेयर भारत माता के एक महान सपूतपहले उपराष्ट्रपति जो बाद में राष्ट्रपति बने. डॉ. एस. राधाकृष्णन की स्मृति में स्थापित की गई थी। उन्होंने कहा कि वे एक दार्शनिकशिक्षक तथा अकादमिक प्रतिबद्धता के प्रतीक थे। यह चेयर 2009 में पहली बार शुरू की गई थी। तकनीकी रूप सेडॉ. एमएल राजा इसके तीसरे प्राप्तकर्ता हैंलेकिन वास्तविक रूप से दूसरेयह चेयर मेरे कार्यकाल के दौरान सक्रिय हुई। जब जम्मू-कश्मीर राज्य के प्रख्यात पत्रकार जवाहर कौल को यह सम्मान प्राप्त हुआ और अब तमिलनाडु से डॉ. एमएल राजा को यह सम्मान मिला है।

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उपराष्ट्रपति ने कहा, 1962 में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस घोषित किया गयाजो डॉ. एस राधाकृष्णन का जन्मदिन है। इससे यह स्पष्ट होता है कि आप किसी भी पद पर हों राष्ट्रपतिउपराष्ट्रपतिदार्शनिक या लेखक लेकिन समाज में मान्यता शिक्षक के रूप में ही मिलती है। इसे सदैव याद रखें। जैसे माता-पिता का सम्मान करते हैंवैसे ही अपने शिक्षकों का भी करें। उपराष्ट्रपति ने कहा कि डॉ. एमएल राजा एक बहुआयामी विशेषज्ञ हैं। नेत्र रोग विशेषज्ञअभिलेखविदपुरातत्ववेत्ता और इतिहासकार हैं। वे वर्तमान में एवीएनएएसएच (राष्ट्रीय कलाओं एवं वैज्ञानिक धरोहर पर केंद्रित अकादमी) तथा आरआईसीएच (कालक्रम और इतिहास पर शोध संस्थान) के निदेशक हैं। चिकित्सा (एमबीबीसडीओ)पुरातत्व और अभिलेख विद्या (डीआईएई)तथा इतिहास (एमए) में योग्यता रखते हैं। उन्होंने प्राचीन भारतीय खगोलशास्त्र से लेकर ऐतिहासिक कालक्रम तक पर 13 पुस्तकें प्रकाशित की हैंजिनमें आर्यभट्ट की तिथि: एक विश्लेषणात्मक अध्ययन और महाभारत युद्ध की तिथि का खगोलशास्त्रीय प्रमाण जैसी प्रमुख कृतियां शामिल हैं। डॉ. राजा को तमिलनाडु के राज्यपाल की तरफ से तमिल साहित्यिक कार्यों और कंब रामायणम् पर शोध के लिए हाल ही में सम्मानित किया गया है। वे एआईसीटीई के भारतीय ज्ञान प्रणाली प्रभाग के साथ संरक्षक और विशेषज्ञ मूल्यांकन के रूप में सक्रिय रहे हैं। उनका वर्तमान शोध भारतीय इतिहास की सटीक कालक्रम निर्धारण पर केंद्रित हैजिसमें आदि शंकराचार्यचंद्रगुप्त मौर्य जैसी ऐतिहासिक विभूतियों की तिथि-निर्धारण और खगोलीय ग्रंथों का विश्लेषण शामिल है। वे तमिलसंस्कृततेलुगु और अंग्रेजी भाषाओं में पारंगत हैंजिससे वे विविध ऐतिहासिक स्रोतों का समग्र अध्ययन कर पाते हैं।

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