सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भेजे जा रहे घुसपैठिए
घुसपैठियों को वापस भेजे जाने पर असम के सीएम ने कहा
गुवाहाटी, 31 मई (एजेंसियां)। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने यह पुष्टि की है कि उन लोगों को अंतरराष्ट्रीय सीमा पार बांग्लादेश में धकेला जा रहा है, जिन्हें राज्य के विदेशी न्यायाधिकरणों (एफटी) द्वारा विदेशी घोषित किया गया है। असम के मुख्यमंत्री ने 4 फरवरी के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने मटिया निरोध शिविर में बंद घोषित विदेशियों को निर्वासित करने की प्रक्रिया में विलंब पर राज्य सरकार को फटकार लगाई थी।
सीएम सरमा ने कहा, सब जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है और सुप्रीम कोर्ट ने हमें निर्देश दिया है कि जिन लोगों को विदेशी घोषित किया गया है, उन्हें किसी भी तरह से (उनके मूल देश में) वापस भेजा जाना चाहिए। जिन लोगों को विदेशी घोषित किया गया है, लेकिन उन्होंने कोर्ट में अपील भी नहीं की है, हम उन्हें वापस भेज रहे हैं। अगर उनमें से कुछ लोग हमें बताते हैं कि उनके पास हाईकोर्ट या सुप्रीम अपील में अपील है, तो हम उन्हें परेशान नहीं कर रहे हैं। सीएम सरमा ने 4 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की बेंच द्वारा दिए गए आदेश का हवाला दिया। असम में अवैध घुसपैठियों को रखने के लिए बने मटिया ट्रांजिट कैंप के कैदियों की स्थिति प्रस्तुत करते हुए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसने 63 कैदियों को निर्वासित करने की पहल नहीं की है, जिन्हें इस आधार पर विदेशी घोषित किया गया था कि उनके पते ज्ञात नहीं हैं, जो कि मूल देश के साथ औपचारिक सत्यापन प्रक्रिया के लिए आवश्यक है।
सरमा ने कहा कि सभी जिला पुलिस अधीक्षकों की हाल की बैठक में सरकार ने राज्य में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों का पता लगाने की प्रक्रिया में तेजी लाने का भी फैसला किया है। अगले कुछ दिनों में उनका पता लगा कर उन्हें वापस भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया उन लोगों पर लागू नहीं की जा रही है जिनके पास एफटी मामलों के खिलाफ अपील लंबित हैं, लेकिन कहा कि जिन लोगों ने अभी तक इसे चुनौती नहीं दी है, उन्होंने असम में रहने का अपना अधिकार खो दिया है।