अपराधियों ने क्रिप्टोकरेंसी में मांगी फिरौती

गोरखपुर में दो बड़ी कंपनियों का डेटा हैक

अपराधियों ने क्रिप्टोकरेंसी में मांगी फिरौती

गोरखपुर, 01 जून (एजेंसियां)। साइबर अपराधियों ने गोरखपुर जिले की दो बड़ी कंपनियों का डेटा हैक कर लिया है। रामरायका मार्केटिंग और गौरी ट्रेडिंग कंपनी के सर्वर को हैक करने वाले साइबर अपराधियों ने क्रिप्टो करंसी में फिरौती मांगी है। हैकर्स ने सर्वर पर संदेश दिया है कि अगर उन्हें फिरौती नहीं मिली तो डेटा को नष्ट कर देंगे। इससे पहले ही साइबर एक्सपर्ट और कंपनी की आईटी टीम ने पुराने डेटा की पूरी फाइल ही डिलीट करवा दी है। अब नई फाइल तैयार की जा रही है।

पुलिस के मुताबिककंपनी के मालिक ने परिवार के सभी आईडी प्रूफवोटर कार्डआधार कार्डपैनजीएसटी सर्टिफिकेट और कार की आरसी का एक फोल्डर बनाया था। इसके अलावा फर्म के खरीदारव्यापार के साझेदारों की भी एक फोल्डर फाइल की बनाकर सिस्टम पर रखी थी। हैकर ने सिस्टम से पूरी फाइल का डेटा ही हैक कर लिया है। इसके दुरुपयोग की आशंका जताते हुए दोनों कंपनियों के मालिक कैंट इलाके के हरिओमनगर निवासी संजय रामरायका मरैका ने साइबर थाने में तहरीर देकर अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कराया है। साइबर विशेषज्ञ हैकर का पता लगाने में जुट गए हैं। विशेषज्ञ के मुताबिकगोरखपुर में इस तरह पहला मामला सामने आया हैजिसमे एफआईआर दर्ज की गई है।

संजय रामरायका ने बताया कि उनकी दोनों कंपनियां ऑयल व शुगर की खरीद-फरोख्त का काम करती है। सर्वर पर रैनसमवेयर अटैक हुआ है। इसके कारण कंपनी का पूरा डेटा करप्ट हो गया। 29 मई की सुबह कंपनी की आईटी टीम ने आंतरिक सर्वर सिस्टम में हैकर्स की इंट्री का पता लगाया। जांच करने पर पाया गया कि पूरे डेटा को मलेशियर सॉफ्टवेयर की ओर से करप्ट किया गया है। साइबर अपराधियों की ओर से एक फिरौती संदेश सर्वर पर छोड़ा गया हैजिसमें क्रिप्टो करेंसी में भुगतान की मांग की गई है। इसके बदले में वह डिक्रिप्शन कमांड (जिससे डाटा खुल जाएगा) देने को कहे हैं। व्यापारी का कहना है कि इस हमले के कारण कंपनी का आर्थिक से लेकर सभी कामकाज प्रभावित हो गए हैं।

रैनसमवेयर को साइबर की दुनिया में टॉप लेवल का स्कैम कहा जाता है। इसमें किसी भी कंप्यूटर के सिस्टम में हैकर सीधे इंट्री करते हैं और फाइल के डेटा को इन्क्रिप्ट (किसी फाइल को एक कोड में लॉक कर देना) कर देते हैं। इसे डिक्रिप्ट (अनलॉक) करने के लिए एक की कोड की जरूरत पड़ती हैजो हैकर खुद इसे बनाता है। बिना इस की कोड के इन्क्रिप्ट डाटा डिक्रिप्ट नहीं हो सकता। हैकर ने ऐसे ही व्यापारी के डाटा को भी कोड में बदलकर हैक करते हुए लॉक कर दिया और कोड जेनरेट करने और देने के उसे देने के लिए व्यापारी से फिरौती की मांग कर रहे थे। इंक्रिप्टेड डाटा हो जाने से सिस्टम का पूरा डाटा हैकर के पास चला जाता और फाइल दिखती हैलेकिन खुलती नहीं है।

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साइबर टीम के मुताबिकव्यापारी पाम ऑयल का व्यापार करते हैं। बाहर से पाम ऑयल मंगवा कर ये दूसरे व्यापारियों( कस्टमरों) को देते थे। इन व्यापारियों का पूरा डाटाजिसमें खरीदक्षमताभुगतानबकायासेंटर और नाम के साथ मोबाइल नंबर और बैंक की डिटेल भी थी। हालांकिसमय समय पर आईटी टीम डाटा को व्यापार के मुताबिक अपडेट करती थीजिस वजह से डाटा बहुत अधिक था नहीं। ये पूरी डिटेल टैली सॉफ्टवेयर पर बनाकर सिस्टम पर रखे थे। इसी पूरे डेटा को रैनसमवेयर,वांट टू क्राई से अटैक कर हैकर ने अपने कंट्रोल में लिया था।

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साइबर एक्सपर्ट उपेन्द्र सिंह ने बताया कि सोशल मीडिया पर किसी संदिग्ध लिंक के संपर्क में आने से ऑनलाइन (डिजिटल) जानकारियां हैकर के पास चली जारी हैं। कुछ ऐसा ही इस केस में भी हुआ होगा। जांच चल रही है। लेकिनये ऐसा पहला मामला आया है। व्यापारी संजय ने बताया कि व्यापारी को लेकर उनकी तरफ से लगातार सतर्कता बरती जाती थी। लेकिनअब ये घटना हो गई तो और सतर्क रखने की जरूरत है। जो बिल से सम्बंधित रिकार्ड थेवो प्रिंटेड थे और रिकार्ड में सुरक्षित भी रखे थे। उन्हें फिर से सिस्टम में चढ़ाया जा रहा है। सभी डाटा सुरक्षित रखते हुए फिर से उसे संरक्षित कर लिया जाएगा। बाकी जो डेटा हैक किया था उसे टीम और साइबर टीम के सहयोग से पूरी तरह डिलीट करवा कर नेटवर्क के।सिस्टम को फिर से अपडेट करवा दिया गया है।

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