कश्मीर पहुंचेगी रेल, पर जम्मू-कटड़ा के व्यापारियों का निकल जाएगा तेल !
जम्मू, 04 जून (ब्यूरो)। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला इससे बार-बार इंकार करते हैं पर यह सच है कि विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थान वैष्णो देवी के बेस कैम्प कटड़ा में रेल पहुंचने बाद से ही जम्मू के व्यापारियों का तेल निकल चुका है। और अब कश्मीर तक सीधी रेल पहुंचने से चिंता में सिर्फ जम्मू ही नहीं बल्कि कटड़ा भी है। हालत यह है कि पहले से ही उधमपुर में रेल पहुंचने के बाद परेशानी में डूबे जम्मू के व्यापारियों के लिए कटड़ा तक की रेल लाइन कोई खुशी नहीं आई थी और अब इसके कश्मीर तक पहुंचने पर भी कोई खुशी नहीं ला रही है।
ऐसा इसलिए है कि क्योंकि वैष्णो देवी के तीर्थस्थान पर प्रतिवर्ष आने वाले एक करोड़ के करीब श्रद्धालुओं के लिए कटड़ा में रेल पहुंचने से पहले तक जम्मू ही एक सबसे बड़ा बिजनेस केंद्र था। आंकड़ों के मुताबिक, इन श्रद्धालुओं के कारण जम्मू शहर को 10 से 20 करोड़ की मासिक आय होती थी। इसमें उन फौजियों द्वारा खर्च की जाने वाली राशि शामिल नहीं है जो उधमपुर की नार्दन कमान के तहत आने वाले क्षेत्रों में तैनात हैं और उन्हें अपने अपने घरों में जाने के लिए जम्मू से ही रेल पकड़नी पड़ती थी।
नतीजतन अब तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार, 6 जून से कटड़ा से कश्मीर में रेल पहुंच जाएगी तो जम्मू के साथ साथ कटड़ा का व्यापार भी पूरी तरह से मिट्टी में मिल जाएगा इसके प्रति कोई दो राय नहीं है। जम्मू के एक स्थानीय फैक्टरी के मालिक जो स्थानीय बाजार के लिए खाने पीने की वस्तुओं का निर्माण करते हैं, कहते हैं कि कश्मीर में रेल पहुंचने का अर्थ होगा के व्यापार को पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर देना। ऐसी ही चिंता कटड़ा में होटल के मालिक वेद प्रकाश प्रकट करते हैं। उनका कहना है कि अब वैष्णो देवी के श्रद्धालुओं को कटड़ा में रोक पाना शायद ही संभव हो पाए।
असल में कटड़ा में रेल के पहुंचने से पहले तक वैष्णो देवी आने वाले एक करोड़ के करीब श्रद्धालु जब अपने घरों को लौटते थे तो कश्मीर की यादगार के रूप में शाल, पेपरमाशी की वस्तुएं, अखरोट, बादाम, शहद, रा
एक अनुमान के अनुसार, प्रतिमाह इन्हीं वस्तुओं पर ही आने वाले पर्यटक तथा श्रद्धालु जम्मू में 4 से 6 करोड़ की राशि इसलिए भी खर्च करते थे क्योंकि जम्मू से ही उन्हें रेल पकड़नी होती थी और यहीं से उन्हें आगे के लिए यातायात के अन्य साधनों का इस्तेमाल करना होता था। ऐसे में हमारे व्यापार का क्या होगा। पहले उधमपुर तक रेल के पहुंचने के कारण फौजी सीधे वहीं उतरने लगे थे और फिर कटड़ा में और अब सीधे कश्मीर, रेलवे स्टेशन पर अखरोट और बादाम बेचने वाले जुगल शर्मा का कहना था। इसी प्रकार की स्थिति अन्य व्यापारियों तथा होटलवालों की भी है जो उधमपुर और कटड़ा तक रेल के पहुंच जाने से बुरी तरह से प्रभावित हो चुके हैं। जबकि अब कटड़ा के व्यापारियों को भय इस बात का है कि कश्मीर में पहुंचने वाली रेल उनके व्यापार को भी अपने साथ बहा कर ले जाएगी। ऐसी चिंता से त्रस्त होने वालों में होटलवालों के अतिरिक्त छोटे मोटे रेस्तरां के मालिक तो हैं ही टैक्सी तथा टूर एंड टेªवल एजेंसी चलाने वाले भी हैं।
यूं तो सरकार जम्मू के व्यापार को न मरने देने की बात करती रही थी परंतु हकीकत यह है कि अभी तक धरातल पर कुछ ठोस नहीं किया गया है और रेल पटरी अपनी रफ्तार से अब कश्मीर की ओर बढ़ती जा रही है। कहा यही जा रहा था कि रेल कटड़ा तक पहुंचेगी तो जम्मू में पर्यटक कुछ दिनों के लिए रूक पाएं ऐसा कुछ भी नहीं किया गया आज तक। सिवाय आश्वासन देने के।