बकरीद पर 450 करोड़ से चमका कुर्बानी का बाजार
लखनऊ की दो मंडियों में 40 करोड़ के बकरे बिके
लखनऊ, 07 जून (एजेंसियां)। ईद उल अजहा पर मुसलमानों ने 450 करोड़ रुपए कुर्बानी के जानवरों पर खर्च किए हैं। शहर की दुबग्गा और खदरा पुल के नीचे लगी बकरा मंडी में ही बीते छह दिनों में 40 करोड़ रुपए से ज्यादा के बकरों की खरीदारी की गई। इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी बताते हैं कि वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक लखनऊ की कुल आबादी करीब 45 लाख है। इसमें 21 फीसदी मुसलमान हैं। इनकी आबादी करीब 9.50 लाख है। इसमें से 30 फीसदी यानी तीन लाख लोग कुर्बानी के लिए बकरा खरीदते हैं। एक बकरे की औसत कीमत 15 हजार रुपए मान लें तो कारोबार 450 करोड़ तक पहुंच जाता है।
दुबग्गा के बकरा बाजार में तुर्की नस्ल का दुम्बा लाला 1.60 लाख रुपए में बिका। सुल्तानपुर के जय प्रकाश 140 किग्रा के भारी भरकम लाला को लेकर मंडी पहुंचे थे। ईद उल अजहा की मुबारकबाद के साथ शुक्रवार को अमीनाबाद, मौलवीगंज, नक्खास, खद
जैन समाज ने 200 बकरे खरीद कर उनकी जान बचाई
बागपत, 07 जून (एजेंसियां)। बकरीद पर अलग-अलग जगह पर कुर्बानी के लिए लाए गए 200 बकरों को जैन समाज के लोगों ने अधिक दाम पर खरीदकर जीवनदान दिया। उनको कस्बे में जीव दया संस्था की बकराशाला में रखवाया गया। साथ ही जैन समाज के लोगों ने बकरों के लिए भरण पोषण के लिए चंदा भी दिया।
अमीनगर सराय में जैन समाज के लोगों ने जीव दया संस्था बनाकर बकराशाला वर्ष 2016 में शुरू कराई थी। जहां बकरों को लोग छोड़ सकते हैं, जिससे उनकी देखभाल की जा सके। बकरीद पर्व पर कुर्बानी के लिए बागपत व आसपास के जिलों में लाए गए 200 बकरों को जैन समाज के लोगों ने बाजार से अधिक दाम देकर खरीद लिया। जिस पर जैन समाज के लोगों ने 20 लाख रुपए से अधिक खर्च किए।
जीव दया संस्थान के अध्यक्ष मनोज जैन, संरक्षक सत्यभूषण जैन, महामंत्री मनोज जैन ने बताया कि हर साल ईद से पहले देशभर में रहने वाले जैन समाज के लोग अलग-अलग जगहों से बकरे खरीदकर कुर्बानी से बचाते हैं। कुर्बानी से बचाए गए सभी बकरों को बकराशाला में रखवा दिया गया है। उनके अनुसार बकराशाला में अब 800 से अधिक बकरे हो गए हैं। बकराशाला के संचालक सौरव जैन, मयंक जैन, दिनेश जैन ने बताया कि बकराशाला में लाए गए सभी बकरों की गर्दन पर कुर्बानी से पहले बांधा जाने वाला लाल धागा भी था, जिनकी खरीद होने के बाद ईद के दिन कुर्बानी दी जानी थी। कुर्बानी से बचाकर बकरों को बकराशाला लाया गया। बताया कि दिल्ली से भी समाज के लोग 101 बकरों की जान बचाकर कस्बे में लेकर आए हैं। यहां बकरों की देखभाल की जा रही है।