चीन ने अब स्पेशल खाद की भी सप्लाई रोक दी
भारत की विकास यात्रा में अड़ंगा लगा रहा चीन
रेयर अर्थ मिनरल, टीबीएम, स्मार्टफोन पार्ट्स पहले से बंद
नई दिल्ली, 26 जून (एजेंसियां)। भारत की आर्थिक तरक्की को रोकने के लिए चीन कई हथकंडे अपना रहा है। उसने अब विशेष काम में उपयोग होने वाले उर्वरकों की आपूर्ति रोक दी है। चीन के पोर्ट पर भारत जाने के लिए कंटेनर तैयार रखे हैं, लेकिन चीनी अधिकारी उनकी जांच कर हरी झंडी नहीं दे रहे, जिससे यह अधर में लटके हैं।
बीते 20-30 वर्षों में चीन ने अभूतपूर्व आर्थिक विकास हासिल किया। लेकिन चीन की मक्कारी और उसकी विस्तारवादी शैतानियों के कारण चीन ने पूरी दुनिया में अपनी साख खो दी। भारत बहुत तेजी से चीन के विकल्प के रूप में खड़ा होने लगा। भारत ने कई मामलों में चीन को कड़ी टक्कर देना चालू कर दिया। चीन, भारत की तरक्की में अब रोड़े अटका रहा है। उसने बीते कुछ वर्षों में कई बार ऐसी हरकतें की हैं, जिससे भारत की विकास यात्रा को धक्का लगे। इस कड़ी में सबसे ताजा मामला चीन से भारत आने वाले कृषि उत्पादों से जुड़ा हुआ है। चीन ने बिना कोई आधिकारिक प्रतिबंध लगाए विशेष काम में उपयोग होने वाले उर्वरकों की आपूर्ति रोक दी है। चीन के पोर्ट पर भारत जाने के लिए कंटेनर तैयार रखे हैं, लेकिन चीनी अधिकारी उनकी जांच कर हरी झंडी नहीं दे रहे, जिससे यह अधर में लटके हैं। फसल को बढ़ाने, कीट भगाने और उसकी विशेष जरूरतों को पूरा करने वाले यह उर्वरक भारत आना बंद हो चुके हैं। जबकि भारत छोड़ कर बाकी देशों को चीन यह उर्वरक भेज रहा है। भारत इस उत्पाद का हर साल जून से दिसंबर के बीच लगभग 1.5 लाख टन आयात करता है। चीन बीते कुछ वर्षों से इसमें आनाकानी कर रहा था, लेकिन इस बार उसने पूरी तरह से ब्रेक लगा दिया।
भारत इन विशेष तरह के उर्वरकों के लिए 80 प्रतिशत चीन पर ही निर्भर है। जिन उर्वरकों के निर्यात पर चीन ने कैंची चलाई है, वह सामान्यतः नैनो तरह के हैं और पानी में घोले जाते हैं। भारत जहां यूरिया, डीएपी और फॉस्फेट जैसे उत्पादों में काफी हद तक आत्मनिर्भर है, वहीं ऐसे विशेष तरह के उर्वरकों के लिए वह चीन समेत कई अन्य देशों पर निर्भर है। यदि चीन इन उर्वरकों की सही समय पर आपूर्ति नहीं करता, तो भारत में कई फसलें प्रभावित हो सकती हैं। भारत जॉर्डन या किसी अन्य यूरोपियन देश से भी यह उर्वरक खरीद सकता है। लेकिन समस्या यह है कि ये देश इतनी बड़ी मात्रा और इतने कम समय में इसकी आपूर्ति कर नहीं पाएंगे।
भारत में लगातार मजबूत हो रहा इन्फ्रास्ट्रक्चर भी चीन को बर्दाश्त नहीं हो रहा है। वह इसके निर्माण में भी अड़ंगा लगा रहा है। चीन ने अहमदाबाद-मुम्बई बुलेट रेल प्रोजेक्ट में उपयोग होने वाली 3 टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) का भारत में आयात रोक दिया। टनल बोरिंग मशीन, जमीन के नीचे सुरंग बनाने के लिए काम में लाई जाती है। यह जमीन के नीचे एक दिशा में गड्ढा खोदती जाती हैं, यह वर्तमान में जमीन के नीचे सुरंग बनाने के लिए सबसे तेज तरीका है। चीन ने वर्तमान में भारत आने वाली 3 टीबीएम रोक रखी हैं। यह तीनों मशीनें जर्मनी की एक कम्पनी ने बनाई हैं। यह कम्पनी इन्हें चीन के गुआंगझाऊ में बनाती है। इनकी आवश्यकता मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स बनाने में है। यह कॉरिडोर 21 किलोमीटर लम्बा है। इनके चक्कर में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में देरी हो रही है। तीन में से 2 टीबीएम भारत में अक्टूबर 2024 में ही आ जानी चाहिए थीं। लेकिन अभी तक यह चीन के पोर्ट पर फंसी हैं। इस मामले को वाणिज्य मंत्रालय के साथ ही विदेश मंत्रालय भी देख रहा है। टीबीएम को लेकर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयुष गोयल जर्मनी के मंत्री को सावर्जनिक तौर पर लताड़ भी चुके हैं।
चीन के पास पृथ्वी के दुर्लभ चुंबकीय तत्वों (रेयर अर्थ मैग्नेट्स) का भंडार है। अमेरिका के साथ टैरिफ वार के बाद चीन ने इन दुर्लभ तत्वों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसका बड़ा नुकसान भारत को हुआ। भारत में स्थापित ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर और अन्य उपकरण निर्माण से जुड़े उद्योगों को इस प्रतिबंध के चलते आपूर्ति बाधित हो गई थी। अप्रैल 2025 में चीन ने 7 मध्यम से भारी दुर्लभ तत्वों पर सुरक्षा और प्रसार संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद चीन ने निर्यातकों को लाइसेंस लेने की जरूरत बता दी। दुर्लभ मैग्नेट इलेक्ट्रिक और पेट्रोल गाड़ियों, रक्षा उपकरणों और में एक अहम भूमिका निभाते हैं। इनका उपयोग मोटर और स्टीयरिंग सिस्टम, ब्रेक, वाइपर और ऑडियो डिवाइसेज के निर्माण में किया जाता है। कई भारतीय कम्पनियों को निर्माण पर ब्रेक के बारे में भी चीन के इस कदम के चलते सोचना पड़ा था। मारुति सुजुकी की आने वाली गाड़ी ई-विटारा का उत्पादन तक इसके चलते प्रभावित हो गया।
भारत की अर्थव्यवस्था में 7.1 प्रतिशत हिस्सा ऑटोमोबाइल सेक्टर का है। यह देश में रोजगार का एक बड़ा स्रोत है। ऐसे में चीन यह सप्लाई बाधित कर भारत की जीडीपी वृद्धि दर को भी प्रभावित कर रहा है। हालांकि, उसकी यह हरकतें ज्यादा दिन नहीं चलती। लेकिन हर बार बार वह किसी ना किसी तरीके से यह प्रयास करता है कि भारत के आर्थिक इंजन पर ब्रेक लगा दे। यह भी उसी कड़ी में उठाया एक कदम है। भारत बीते कुछ वर्षों में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्माता बन कर उभरा है। इस मामले में उसने सीधे चीन को चुनौती दी है। एप्पल के लिए फोन बनाने वाली फॉक्सकॉन समेत तमाम कम्पनियां लगातार भारत में निवेश कर रही हैं। भारत स्मार्टफोन निर्माण के मामले में चीन के विकल्प के तौर पर उभरा है। 2025 खत्म होते-होते भारत विश्व के 20 प्रतिशत फोन बना रहा होगा। इस मेक इन इंडिया से चीन को करारा झटका लगा है।
अपने हाथ से बिजनेस छिनता देख चीन ने भारत के मेक इन इंडिया में टांग अड़ाने का प्रयास किया है। जनवरी में आई रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीन ने उन विशेषज्ञ इंजीनियरों के भारत आने पर रोक लगाई है, जो यहां स्मार्टफोन निर्माण को लेकर काम करने वाले थे। वह फॉक्सकॉन के चीनी स्टाफ को भारत आने देने में कई बैरियर लगा रही हैं। यहां तक कि इन स्टाफ को टिकट करवा लेने के बाद भी अपनी यात्रा रद्द करने को कहा गया। चीन स्मार्टफोन बनाने के लिए आवश्यक कई पार्ट्स की सप्लाई भी रोक रहा है। वह इससे भारत की मेक इन इंडिया की यात्रा को प्रभावित करना चाहता है। चीन की यह हरकतें इस बात का प्रमाण हैं कि वह भारत के लिए वर्तमान में कितनी भी मीठी बातें बोल रहा हो, वह असल में हमारी आर्थिक वृद्धि नहीं देख पा रहा। वह जानता है कि भारत ही उसके जितनी निर्माण क्षमता बना सकता है। इसलिए चाहे टीबीएम हो या स्मार्टफोन के पुर्जे, वह सबकी सप्लाई में पेंच फंसाता है।
#भारतचीनविवाद, #चीनकीआर्थिकरणनीति, #रेयरअर्थमिनरल, #TBMसप्लाईरोक, #स्पेशलखादबंदी, #भारतकीविकासयात्रा, #चीनकीनापाकचाल, #EconomicWarfare