संदेह से भरा हादसा, संदेह से भरी रिपोर्ट
एयर इंडिया विमान हादसे की प्राथमिक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक
दिवंगत पायलटों के सिर ठीकरा फोड़ने की कोशिश
पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने किया विरोध
नई दिल्ली, 12 जुलाई (एजेंसियां)। वही हुआ, जिसका अंदेशा था। गुजरात के अहमदाबाद में मंगलवार 12 जून 2025 को हुए एयर इंडिया विमान हादसे का पूरा ठीकरा हादसे में दिवंगत हुए पायलटों के सिर पर फोड़ देने की पूरी तैयारी है। अभी तो प्रारंभिक जांच रिपोर्ट ही सार्वजनिक हुई है। आखिरकार यही होगा कि बोइंग विमान बनाने वाली अमेरिकी कंपनी और विमान खरीदने और उड़ाने वाली भारतीय कंपनी बेदाग साबित कर दी जाएगी। एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो ने हादसे की प्राथमिक जांच रिपोर्ट में हादसे की वजह इंजन को ईंधन की सप्लाई न मिलना बताया है। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर के डेटा से पता चला है कि टेकऑफ होने के बाद जैसे ही प्लेन ने 180 नॉट की रफ्तार पकड़ी, दोनों इंजन को ईंधन देने वाले स्विच अचानक रनिंग मोड से कटऑफ मोड में चले गए। एक सेकंड के अंतराल पर दोनों स्विच कटऑफ हो गए। इससे इंजनों को ईंधन की सप्लाई बंद हो गई। संदेहास्पद तथ्य यह भी है कि जांच रिपोर्ट में दिखाई गई तस्वीर में विमान के थ्रस्ट लीवर निष्क्रिय यानि पीछे की ओर पाए गए। जबकि विमान के डाटा के मुताबिक टक्कर लगने तक दोनों थ्रस्ट लीवर आगे की ओर थे। मौके पर मिले थ्रस्ट लीवर की स्थिति और डाटा में थ्रस्ट लीवर की हालत अलग-अलग है। थ्रस्ट लीवर का काम विमान की गति को नियंत्रित करना और इंजन को ताकत देना है।
एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा, जांच रिपोर्ट बिना किसी जिम्मेदार अधिकारी के हस्ताक्षर या जानकारी के मीडिया में लीक कर दी गई। पहले तो जांच अत्यंत गोपनीयता से की गई, फिर उसे अत्यंत फूहड़ तरीके से सार्वजनिक कर दिया गया। इससे ही साबित होता है कि जांच रिपोर्ट किस इरादे से लीक की गई। जांच में जब योग्य, अनुभवी विमान विशेषज्ञों और पायलटों को शामिल ही नहीं किया जा रहा है तो जांच किस तरह की गई या की जा रही है?
एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एएलपीए-आई) ने जांच रिपोर्ट कई सवाल उठाते हुए गंभीर आरोप भी लगाए हैं। एसोसिएशन ने कहा, जांच का लहजा और जांच की दिशा पायलट की गलती की ओर झुकाव का साफ-साफ संकेत दे रही है। हम इस धारणा को पूरी तरह से खारिज करते हैं। हम निष्पक्ष और तथ्य-आधारित जांच पर जोर देते हैं। एसोसिएशन ने एएआईबी की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट मीडिया को लीक होने पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। एसोसिएशन को इस बात की चिंता है कि प्रारंभिक एएआईबी रिपोर्ट बिना किसी जिम्मेदार अधिकारी के हस्ताक्षर या जानकारी के मीडिया के साथ साझा की गई। एसोसिएशन ने जांच में पारदर्शिता के अभाव का आरोप लगाया और कहा कि जांच रिपोर्ट से विश्वसनीयता पर असर पड़ा है और जनता इस जांच से आश्वस्त नहीं है।
एसोसिएशन ने कहा कि जांच रिपोर्ट पहले विदेशी मीडिया को लीक की गई। इसके बाद ही वॉल स्ट्रीट जर्नल में 10 जुलाई के लेख में ईंधन नियंत्रण स्विच में गड़बड़ी का जिक्र किया गया। सवाल है कि इतनी संवेदनशील जांच की जानकारी अंतरराष्ट्रीय मीडिया में कैसे लीक हो गई। जांच रिपोर्ट में ईंधन नियंत्रण स्विच गेट्स से संबंधित एक सर्विसेबिलिटी बुलेटिन का जिक्र है, जो संभावित उपकरण खराबी का संकेत देता है। जब तक बुलेटिन मौजूद है, एसोसिएशन इस बात पर स्पष्टता चाहता है कि क्या बुलेटिन की सिफारिशों को उड़ान से पहले लागू किया गया था? एसोसिएशन ने जांच में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए जांच प्रक्रिया में एसोसिएशन के सदस्यों को पर्यवेक्षक के रूप में शामिल किए जाने की मांग की है।
प्राथमिक जांच रिपोर्ट के लीक होने और विदेशी मीडिया में पहले ही खबरें छाप कर पायलटों को दोषी बताने की हरकतें उच्चस्तरीय षडयंत्र का परिणाम है। हादसे की जिम्मेदारी पायलटों पर डालने और विमानन कंपनी और एयरलाइंस प्रबंधन को बचाने के लिए यह हथकंडा इस्तेमाल किया गया है। विदेशी मीडिया ने जांच रिपोर्ट सामने आने से पहले ही एआई 171 फ्लाइट हादसे की वजह पायलटों की गलती बता दिया। जबकि जांच रिपोर्ट में यह बात स्पष्ट रूप से नहीं कही गई है। मीडिया ने विमान निर्माता कंपनी बोइंग को क्लीन चिट देने का प्रयास किया है, जिसका बनाया 787-8 ड्रीमलाइनर 242 लो
अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल ने गुरुवार 10 जुलाई को इसी संबंध में एक खबर प्रकाशित की, जिसमें यह दावा किया गया है कि जांचकर्ता एयर इंडिया हादसे की जांच पायलटों की गलती के एंगल से कर रहे हैं। वॉल स्ट्रीट जनरल ने यह रिपोर्ट अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से लिखी है, जिनका नाम नहीं दिया गया है। पायलटों को कठघरे में खड़े करने वाली यह रिपोर्ट पूरी तरह से सूत्रों के हवाले से लिखी गई है। इसमें न किसी अमेरिकी और न ही एयर इंडिया के अधिकारियों का नाम दिया गया है। वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट कहती है कि एयर इंडिया विमान के दोनों पायलटों कैप्टन सुमीत सभरवाल और फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर ने एक साथ दोनों इंजनों के फ्यूल स्विच एक साथ बंद कर दिए, जिसके चलते हादसा हुआ। फिर वॉल स्ट्रीट जनरल यह भी कहता है कि उड़ान के दौरान ये स्विच सामान्यतः चालू रहते हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि इन्हें कैसे या क्यों बंद किया गया। स्पष्ट है कि अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल ने यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि विमान हादसा असल में पायलट की ही भूल के चलते हुआ। अखबार यह भी लिख रहा है कि बोइंग का 787 ड्रीमलाइनर एकदम सुरक्षित विमान है और उसको लेकर जांच की कोई तलवार नहीं लटक रही है। मतलब साफ है।
एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो की जांच रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि इंजन फ्यूल स्विच बंद हुए थे और कुछ सेकंड के बीच चालू भी हो गए थे। इस बीच पायलटों के बीच बातचीत भी हुई थी। जिसमें दूसरे पायलट ने पहले से इनकार किया था कि उसने इस स्विच के साथ कोई छेड़छाड़ की है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि स्विच वापस ऑन करने के बाद भी एक ही इंजन चालू हुआ था। दूसरा तब भी नहीं चालू हो पाया। संभव है किसी तकनीकी समस्या की वजह से फ्यूल स्विच बंद हुए हों। वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट भारत में विमान हादसे की जांच कर रही एजेंसी एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो की रिपोर्ट के सार्वजनिक होने से पहले ही छप गई। ब्यूरो की रिपोर्ट सार्वजनिक होने की तारीख शनिवार 12 जुलाई है। वॉल स्ट्रीट जनरल के अलावा ब्लूमबर्ग, रॉयटर्स, एबीसी न्यूज और विमानन पर रिपोर्ट करने वाली वेबसाइट एयर करेंट ने भी विमान हादसे का कारण इंजन को ईंधन पहुंचाने वाले फ्यूल स्विच के पायलटों की गलती से बंद होना बताया है। इन सभी मीडिया संस्थानों में यह खबरें 8 जुलाई से 10 जुलाई के बीच प्रकाशित हुई हैं।
एएआईबी की प्राथमिक जांच रिपोर्ट के मुताबिक, टेकऑफ के समय ईंधन सप्लाई बंद होते ही इंजनों की पंखे की गति कम होने लगी थी। 213.4 टन वजन के साथ उड़ा विमान हवाई अड्डे की परिधि की दीवार पार करने से पहले ही नीचे आने लगा। इस समय विमान में 54,200 किलोग्राम फ्यूल था और टेक-ऑफ वजन 2,13,401 किलोग्राम रहा, जो अधिकतम अनुमत वजन 2,18,183 किलोग्राम से कम था। एयरक्राफ्ट ने 180 नॉट्स की अधिकतम रफ्तार हासिल की और उसी दौरान दोनों इंजनों के फ्यूल कटऑफ स्विच रन से कटऑफ में बदल गए। इन दोनों स्विच में सिर्फ 1 सेकंड का अंतर था। एएआईबी ने कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर का भी विश्लेषण किया। इसमें एक पायलट दूसरे से पूछता है, तुमने कटऑफ क्यों किया? जवाब मिलता है, मैंने नहीं किया। इससे अंदेशा है कि ये कटऑफ स्वचालित या तकनीकी गड़बड़ी के चलते हुआ, जिसे अब गहराई से जांचा जा रहा है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि पायलटों ने दोनों इंजनों को फिर से शुरू करने की कोशिश की। इंजन-1 दोबारा शुरू होने लगा और उसकी गति रिकवर होने लगी, लेकिन इंजन-2 बार-बार फ्यूल रीइंट्रोड्यूस करने के बावजूद पर्याप्त गति नहीं पकड़ पाया।
उल्लेखनीय है कि एयर इंडिया का अत्याधुनिक विमान बोइंग ड्रीमलाइनर 787-8 बीते 12 जून को उड़ान भरने के कुछ ही सेकंड बाद अहमदाबाद के मेघाणीनगर में क्रैश हो गया। विमान में सवार 242 लोगों में 12 क्रू के सदस्य थे। यात्रियों में 169 भारतीय नागरिक, 53 ब्रिटिश नागरिक, एक कनाडाई नागरिक और 7 पुर्तगाली नागरिक शामिल थे। एक यात्री को छोड़ कर बाकी सारे यात्री हादसे में मारे गए। मेडिकल कॉलेज परिसर में नीचे जमीन पर भी दर्जनों लोग हादसे की चपेट में आकर मारे गए थे। इस दुर्घटना में कुल 260 लोग मारे गए थे।
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