भौगोलिक सीमाएं अब आतंकियों को नहीं बचा सकती: सीडीएस
ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीडीएस ने दुश्मनों काे बता दिया भारतीय सेना का नया नियम
नई दिल्ली, 5 अगस्त,(एजेंसी)। सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने हाल में दिए गए अपने बयानों में पाकिस्तान और आतंकवादी संगठनों को संदेश दिया है कि अब भारत की सीमाओं पर कोई गुंजाइश नहीं बचेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि आतंकवाद या परमाणु ब्लैकमेल की नीति से प्रभावित होकर भारत दबाव में नहीं आने वाला है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की रणनीति—जिसका मकसद भारत को “हजार घाव” पहुँचाना है—अपरिपक्व और विफल साबित होगी। पहलगाम आतंकी हमले को उन्होंने सीधे पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व की उकसावे से जोड़कर बताया कि ऐसे चाल में सफल नहीं किया जा सकता, क्योंकि भारत जवाबी कार्रवाई में न केवल सक्षम है, बल्कि प्रभावशाली भी।
सीडीएस ने यह भी कहा कि भारत ने हालिया घटनाक्रम में दिखाया कि नुकसान मायने नहीं रखता—परिणाम मायने रखते हैं। उन्होंने 1965 के युद्ध का उदाहरण देते हुए बताया कि भारत ने तब भी नुकसान को प्राथमिकता नहीं दी, बल्कि युद्ध के परिणामों ने इतिहास का रुख मोड़ा। इसी दृष्टिकोण को वर्तमान संदर्भ में उन्होंने फिर से दोहराया, ताकि यह संदेश साफ हो: भारत अब भयभीत नहीं होगा, बल्कि उसका जवाब निर्णायक और रणनीतिक होगा।
इस दौरान ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख भी हुआ, जिसका असर पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान को झकझोर देने वाला रहा। उन्होंने बताया कि भारतीय ड्रोन प्रणाली की शक्ति ने पाकिस्तानी यथार्थवाद को चुनौती दी और मात्र आठ घंटों के अंदर उस पर इतनी दबाव बनाई कि दुश्मन को सरेंडर जैसा सामना करना पड़ा। इस कवायद से स्पष्ट हुआ कि आधुनिक टैक्टिकल ड्रोन तकनीक युद्ध की दिशा बदलने में सक्षम है Navbharat Times। उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी असीम मुनीर के बयान का असर पहलगाम आतंकी हमले से पहले पड़ा, लेकिन भारत ने समय रहते जवाब देकर स्थिति को नियंत्रित किया।
सीडीएस चौहान ने यह निर्धारित कर दिया कि अब “कल के हथियार” साथ लेकर आज की लड़ाइयों में नहीं जीता जा सकता। उन्होंने आधुनिक युद्ध के लिए ताज़ा, मजबूत और स्वदेशी टेक्नोलॉजी की आवश्यकता पर जोर दिया। विदेशी तकनीक पर अति निर्भरता को उन्होंने देश के रक्षा ढाँचे के लिए कमजोरी बताया। उन्होंने विशेष रूप से ड्रोन और एंटी‑ड्रोन सिस्टम में आत्मनिर्भरता की बात कही और कहा कि भारत को इस दिशा में अनुसंधान एवं निवेश बढ़ाना चाहिए, क्योंकि भविष्य की लड़ाइयां उन्हीं तकनीकों से जीती जाएँगी।
इस संदर्भ में उन्होंने इजरायल और तुर्की को भी सामने रखा, जो टैक्टिकल ड्रोन तकनीक में अग्रणी देशों में गिने जाते हैं। सीडीएस ने कहा कि भारत को इन जापानी तकनीकों से सीख लेनी चाहिए—और तभी वह विश्वस्तर पर प्रभावी रक्षा कर पाएगा। उन्होंने उल्लेख किया कि भारत में निर्मित काउंटर UAS सिस्टम अब बेहद महत्वपूर्ण हो गए हैं, ताकि दुश्मन की निगरानी और ड्रोन हमलों को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी वास्तविक सैन्य क्षमता को गोपनीय रखना चाहिए ताकि विरोधी को उसकी ताकत का अनुमान न हो, लेकिन फिर भी तकनीकी रूप से मजबूत और तैयार रहना चाहिए ।
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की झूठी सूचना अभियान को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पर्दाफाश करना भी एक रणनीतिक सफलता थी। शांगरी-ला डायलॉग में भारत ने 40 देशों की सैन्य नेतृत्व से संवाद स्थापित किया, जिससे वैश्विक सुरक्षा, रक्षा कूटनीति और सामरिक सहयोग मजबूत हुआ। इस मंच के माध्यम से भारत ने न सिर्फ अपनी सैन्य रणनीति को वैश्विक स्तर पर प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया, बल्कि अन्य देशों से अनुभव साझा करने और परस्पर सीखने का अवसर भी पाया।
सीडीएस का यह भी कहना था कि ऑपरेशन सिंदूर अभी तक जारी है—यह एक ऐसी तैयारी है जो फिलहाल सक्रिय रूप में बनी हुई है। इससे यह संकेत मिलता है कि भारत ने न सिर्फ तत्कालीन सीधी कार्रवाई की है, बल्कि भविष्य की संभावनाओं के लिए स्थिति को स्थिर और नियंत्रण में रखने की रणनीति भी अपनाई है khabarfast.com। हाल ही में उन्होंने फिर दोहराया कि भारतीय सेना को पाकिस्तानी हिंसक हरकतों का जवाब देने के लिए हमेशा तत्पर रहना होगा, उसे नई वास्तविकता के अनुरूप तैयार रखना होगा, जिसमें संभावित खतरे हमेशा बने रहते हैं लेकिन जवाब हमेशा निर्णायक रहेगा।
पाकिस्तान को यह संदेश देने में सीडीएस सबसे स्पष्ट रहे कि भारत अब आतंकवाद या परमाणु धमकियों के आगे नहीं झुकेगा। उन्होंने यह स्पष्ट करते हुए कहा रोमांचक रणनीति से परे, भारत अब उन देशों की चाल को समझते हुए जवाब देने की क्षमता रखता है जो उसे “हजार घाव” पहुँचाने की बात करते हैं, लेकिन वास्तव में उन्हें उत्तर मिलना तय है। पहलगाम आतंकी हमला और उस पर हुई कार्रवाई का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि जोखिम हमेशा होता है, लेकिन सही रणनीति से परिणाम हमेशा हमारे पक्ष में आएंगे।
साथ ही चौहान ने यह संदेश भी दिया कि भारत अपनी नीतियों को सार्वजनिक रूप से नहीं दिखाएगा, बल्कि उसे रणनीतिक गुप्तता बनाए रखते हुए तकनीकी हथियारों के माध्यम से सक्षम बनाएगा। विदेशी तकनीकों पर निर्भरता को घटाकर, स्वदेशी हथियार प्रणालियों का विकास और प्रयोग करने की नीति बनाए रखने से भारत की सैन्य तैयारी में आत्मनिर्भरता आएगी। उन्होंने यह भी विशेष रूप से कहा कि भविष्य की लड़ाइयाँ जो कि ड्रोन और काउंटर‑ड्रोन युद्ध से संचालित होंगी, उन्हें आज विकसित तकनीकी उपकरणों से ही जीता जा सकता है ।
इस प्रकार, सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने एक विस्तृत बहुआयामी रणनीतिक संदेश पेश किया है जिसमें न केवल पाकिस्तान को चेतावनी दी गई, बल्कि भारत की सामरिक नीति, भविष्य के युद्ध, आतंकवाद पर नियंत्रण, स्वदेशी तकनीक का उत्थान, और रक्षा कूटनीति के वैश्विक सम्बंधों की पूरी तस्वीर उभरकर देखने को मिलती है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अब कोई सीमा बची नहीं, और भारत हर मोर्चे पर तैयार और सशक्त है।