तय है, भाजपा से ही होगा नया उपराष्ट्रपति
चुनाव आयोग ने शुरू कर दी उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारी
चुनाव की औपचारिकताएं पूरी करने का प्रहसन जारी
नई दिल्ली, 23 जुलाई (एजेंसियां)। उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के फौरन बाद नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की तैयारियां आनन-फानन शुरू कर दी गई हैं। यह तैयारी इतनी तेजी से शुरू हुई कि जैसे सत्ता शीर्ष पर बैठे सियासतदानों को पहले से पता था कि उपराष्ट्रपति का इस्तीफा होने ही वाला है। वैसे सत्ता गलियारे में यही चर्चा भी है कि नया उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के पहले ही चुन लिया गया था, अब केवल चयन का औपचारिक प्रहसन खेलना बाकी है। राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने इस औपचारिक प्रहसन की तैयारी शुरू कर दी है।
चुनाव आयोग ने फौरन एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आधिकारिक पुष्टि की कि निर्वाचन आयोग ने 2025 के उपराष्ट्रपति चुनाव से संबंधित तैयारियां शुरू कर दी हैं। बयान में कहा गया कि तैयारियां पूरी होने के बाद जल्द ही उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी। चुनाव आयोग ने य़ह भी कहा कि गृह मंत्रालय ने 22 जुलाई 2025 को एक अधिसूचना के जरिए भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की सूचना दी। कहा गया कि चुनाव आयोग को अनुच्छेद 324 के तहत भारत के उपराष्ट्रपति पद के चुनाव कराने का अधिकार प्राप्त है। यह चुनाव राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम 1952 और इसके तहत बने नियमों (राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव नियम 1974) द्वारा कराया जाता है।
आयोग ने कहा कि उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 से संबंधित तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। तैयारियां पूरी होने के बाद उपराष्ट्रपति पद के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी। निर्वाचक मंडल तैयार करने की औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं, जिसमें राज्यसभा एवं लोकसभा के निर्वाचित तथा मनोनीत सदस्य शामिल होते हैं। इसके अलावा रिटर्निंग अफसर/सहायक रिटर्निंग अफसर की नियुक्ति को अंतिम रूप दिया जा रहा है। आयोग ने कहा कि पूर्व उपराष्ट्रपति चुनावों से संबंधित जानकारियों और रिकॉर्ड को देखा जा रहा है।
उपराष्ट्रपति चुनाव में राज्यसभा के 233 निर्वाचित सांसद, राज्यसभा में मनोनीत 12 सांसद और लोकसभा के 543 सांसद वोट डाल सकते हैं। इस तरह के कुल 788 लोग वोट डाल सकते हैं। हालांकि, चुनाव आयोग जब उपराष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का एलान करेगा, तब वह लोकसभा और राज्यसभा में सभी मौजूदा सदस्यों की गिनती करेगा।संविधान के अनुच्छेद 66 में उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया का जिक्र है। यह चुनाव अनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति से किया जाता है, जो कि लोकसभा या विधानसभा चुनाव की वोटिंग प्रक्रिया से बिल्कुल अलग है। उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम से होती है। चुनाव में खड़े होने के लिए किसी भी व्यक्ति को कम से कम 20 संसद सदस्यों को प्रस्तावक और कम से कम 20 संसद सदस्यों को समर्थक के रूप में नामित कराना होता है। उपराष्ट्रपति का प्रत्याशी बनने के लिए 15 हजार रुपए की जमानत राशि जमा करनी होती है। नामांकन के बाद फिर निर्वाचन अधिकारी नामांकन पत्रों की जांच करता है और योग्य उम्मीदवारों के नाम बैलट में शामिल किए जाते हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव में संसद के दोनों सदनों के सदस्य वोट डालते हैं। इनमें राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी शामिल होते हैं। राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचित सांसद और सभी राज्यों के विधायक मतदान करते हैं। राष्ट्रपति चुनाव में मनोनीत सांसद वोट नहीं डाल सकते हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में ऐसा नहीं है। उपराष्ट्रपति चुनाव में ऐसे सदस्य भी वोट कर सकते हैं।
धनखड़ के इस्तीफे के बाद भावी रणनीति और नए उपराष्ट्रपति के चयन के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ही पार्टी के वरिष्ठ मंत्रियों के साथ मैराथन बैठक की थी। अपना उपराष्ट्रपति बनाने के लिए भाजपा के सामने सहयोगियों को साधने के अलावा कोई बड़ी चुनौती नहीं है। भाजपा उपराष्ट्रपति का पद किसी सहयोगी दल को देने के मूड में नहीं है। उपराष्ट्रपति के पास राज्यसभा संचालन की अहम जिम्मेदारी होने के कारण पार्टी कोई समझौता नहीं करना चाहती। पार्टी यह पद संविधान की बेहतर समझ और अच्छी छवि रखने वाले किसी व्यक्तित्व को देने की तैयारी में है।
वर्तमान में राज्यसभा में 240, लोकसभा में 543 (कुल 783 सदस्य) हैं। बहुमत का आंकड़ा 392 (प्रथम वरीयता मत) है। भाजपा के पास लोकसभा में 240 और राज्यसभा में 99 सदस्य हैं। उसे 10 मनोनीत सदस्यों का समर्थन है। ऐसे में उसके पास 349 सदस्य हैं। यह आंकड़ा जीत के लिए जरूरी समर्थन से सिर्फ 43 कम है। सहयोगियों को जोड़ दें, तो संख्या 400 से ज्यादा है। पार्टी को उम्मीद है कि उपयुक्त दावेदार पर अगले हफ्ते तक सहमति बन जाएगी।
संविधान के अनुच्छेद 66 (1) में प्रावधान है कि चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से कराया जाएगा और ऐसे चुनाव में गुप्त मतदान होगा। नए उपराष्ट्रपति का चुनाव पूरे कार्यकाल के लिए होगा। इसका मतलब है कि जो भी उपराष्ट्रपति चुना जाएगा, वह 2027 तक नहीं बल्कि पूरे पांच साल पद पर रहेगा। 74 साल के धनखड़ देश के 14वें उपराष्ट्रपति थे और उनका कार्यकाल अभी 10 अगस्त 2027 तक था। अगले उपराष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव में संख्याबल के हिसाब से सत्तारूढ़ राजग मजबूत स्थिति में है। उपराष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य मतदान करते हैं। उच्च सदन के मनोनीत सदस्य भी वोट देने के पात्र होते हैं। 543 सदस्यीय लोकसभा में एक सीट खाली है, जो पश्चिम बंगाल की बशीरहाट सीट है। 245 सदस्यीय राज्यसभा में पांच सीट रिक्त हैं, जिनमें से चार जम्मू-कश्मीर और एक पंजाब से है।
लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों की प्रभावी संख्या 786 है और उपराष्ट्रपति के चुनाव में विजयी उम्मीदवार को 394 वोट जीतने की जरूरत होगी, बशर्ते कि सभी पात्र मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करें। लोकसभा में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के पास 293 सदस्य हैं, वहीं राज्यसभा में भी उसे 129 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, जिसमें मनोनीत सदस्य भी शामिल हैं। इस तरह सत्तारूढ़ गठबंधन को 786 सदस्यों में से 422 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, जो उपराष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए जरूर 394 वोट से बहुत अधिक है।
#VicePresidentElection, #ECI, #VPVacancy, #DhankharResignation, #NewVicePresident, #BJPVP, #ElectionFarce, #ParliamentaryProcess