अब 18 वर्ष से ऊपर वालों का नहीं बनेगा आधार कार्ड
असम में रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की घुसपैठ पर सख्ती
कुछ समुदायों को कुछ समय के लिए दी गई है छूट
गुवाहाटी, 22 अगस्त (एजेंसियां)। असम में घुसपैठियों से निपटने के लिए सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। असम सरकार ने फैसला किया है कि 18 साल से अधिक उम्र के लोगों का अब आधार कार्ड नहीं बनाया जाएगा। कुछ समुदायों को कुछ समय के लिए इससे छूट दी गई है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बताया कि यह फैसला अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को आधार कार्ड मिलने से रोकने के लिए लिया गया है। यह निर्णय अक्टूबर के पहले सप्ताह से लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर किसी का आधार कार्ड नहीं है तो वह सितंबर के महीने में इसके लिए आवेदन कर सकता है। वहीं, अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और चाय बागान समुदाय से जुड़े लोग अगले एक वर्ष तक आधार कार्ड बनवा सकेंगे।
सीएम हिमंत ने बताया कि राज्य में आधार सैचुरेशन 103 प्रतिशत हो गया है, जिसका मतलब है कि कोई भी 18 वर्ष से ऊपर का व्यक्ति बिना आधार कार्ड के नहीं बचा है। आधार सैचुरेशन 103 प्रतिशत होने का मतलब है कि अगर 100 लोगों की जनसंख्या है तो 103 आधार कार्ड जारी कर दिए गए हैं। इसमें बांग्लादेशी घुसपैठियों को भी आधार कार्ड दिए गए हैं। सीएम ने कहा कि एससी, एसटी और चाय बागान समुदायों को इससे छूट दी गई है क्योंकि उनके बीच आधार का सैचुरेशन 96 प्रतिशत है यानी 4 प्रतिशत लोगों को अभी भी कवर किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा, हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कोई भी अवैध विदेशी असम में प्रवेश करके आधार कार्ड प्राप्त न कर सके और भारतीय नागरिक होने का दावा न कर सके। हमने वह रास्ता पूरी तरह से बंद कर दिया है।
सीएम हिमंत ने स्पष्ट कर दिया कि दुर्लभतम मामलों में जिला आयुक्त (डीसी) को आधार कार्ड जारी करने का अधिकार होगा। उन्होंने कहा, एक महीने के बाद उप जिला आयुक्त या सर्किल ऑफिसर आधार कार्ड जारी नहीं कर पाएंगे। केवल डीसी के पास यह अधिकार होगा। आधार कार्ड जारी करने से पहले डीसी को स्पेशल ब्रांच की रिपोर्ट और विदेशी न्यायाधिकरण की रिपोर्ट की जांच करनी होगी।
असम में बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ एक बड़ी समस्या है। घुसपैठिए स्थानीय लोगों की मदद से आधार कार्ड जैसे दस्तावेज बनवा लेते हैं और फिर उनका इस्तेमाल कर अन्य कागजात भी उन्हें मिल जाते हैं। सीएम हिमंत के इस फैसले के बाद अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के लिए असम में आधार कार्ड हासिल करना बहुत मुश्किल हो जाएगा। सीएम हिमंत ने पिछले महीने बताया था कि राज्य में 2041 तक मुस्लिम जनसंख्या हिंदुओं के बराबर हो जाएगी। 2011 में असम की कुल जनसंख्या 3.12 करोड़ थी, जिसमें मुस्लिम जनसंख्या 1.07 करोड़ (लगभग 34.22 प्रतिशत) और हिंदू जनसंख्या 1.92 करोड़ (लगभग 61.47 प्रतिशत) थी। उन्होंने कहा था कि असम में रहने वाले महज 3 प्रतिशत मुस्लिम ही असमिया मूल के हैं जबकि 31 प्रतिशत मुस्लिम आबादी घुसपैठिए हैं जो मुख्यतः बांग्लादेश से आए हैं। उन्होंने इस बात की भी आशंका जताई कि अगर इसी तरह चलता रहा तो 2021, 2031 और 2041 तक असम की जनसंख्या में 50 फीसदी तबका मुस्लिम होगा और हिंदू समुदाय अल्पसंख्यक बन जाएगा।
हिमंत ने बताया था कि 2001 में असम के 23 जिलों में से 6 मुस्लिम बहुल थे। इनमें धुबरी (74.29), गोलपारा (53.71), बारपेटा (59.37), नगांव (51), करीमगंज (52.3) और हैलाकांडी (57.63) थी। 2011 में जिलों की संख्या 27 हुई और इनमें 9 जिले मुस्लिम बहुल हो गए। सीएम सरमा ने जनसांख्यिकीय बदलाव पर कहा कि ये सिर्फ भूमि जिहाद ही नहीं बल्कि असम को खत्म करने वाला जिहाद है। योजनाबद्ध तरीके से मुस्लिम आबादी सरकारी और जंगलों की जमीन पर भी कब्जा कर रही है। इसके कारण असम की सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक पहचान खतरे में पड़ गई है। अगर यही प्रवृत्ति जारी रही तो अगले 20 वर्षों में असम के मूल निवासी अल्पसंख्यक बन सकते हैं। असम में घुसपैठ से निपटने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। जिनमें बांग्लादेशी घुसपैठियों को पहचानकर वापस उनके देश भेजना और घुसपैठियों द्वारा जबरन कब्जाई गई जमीन को खाली कराना जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। हिमंत ने बीते महीने ही बताया था कि असम में लगभग 29 लाख बीघा जमीन पर बांग्लादेशी घुसपैठिए और संदिग्ध नागरिकों का कब्जा है। उन्होंने कहा था, 2021 में जमीन खाली कराने की योजना शुरू की गई थी जिसके तहत अब तक 77,420 बीघा जमीन को अतिक्रमण से साफ कर दिया गया है। इसमें अधिकतर बंगाल के मुस्लिमों का कब्जा था। दरंग जिले में अभियान की सफलता के बाद बोरसोल्ला, लुमडिंग, बुरहापहाड़
दूसरी तरफ, गुवाहाटी पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पत्रकार और यूट्यूबर अभिसार शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि पत्रकार ने असम और केंद्र सरकार पर सांप्रदायिक राजनीति करने का आरोप लगाया। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएस) की धाराओं 152 (राजद्रोह), 196 और 197 के तहत दर्ज किया है। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि उनका वीडियो सांप्रदायिक भावनाएं भड़काता है। यह शिकायत गुवाहाटी के रहने वाले आलोक बरुआ ने दर्ज कराई है। शिकायत में बताया गया कि अभिसार शर्मा ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा पर सांप्रदायिक राजनीति करने का आरोप लगाया और उन्होंने राम राज्य के सिद्धांत का मजाक भी उड़ाया। शिकायतकर्ता के अनुसार, अभिसार शर्मा की टिप्पणियां समाज में शांति और सद्भाव को बिगाड़ने का काम सकती हैं।
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