स्टॉकहोम वर्ल्ड वाटर वीक में हुई नमामि गंगे की सराहना

नदियों के पुनर्जीवन और जल संरक्षण में यूपी अग्रणी

स्टॉकहोम वर्ल्ड वाटर वीक में हुई नमामि गंगे की सराहना

नई दिल्ली/लखनऊ28 अगस्त (एजेंसियां)। नदियां और जल संसाधन सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण हैंऔर इनका पुनर्जीवन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है। नदी पुनर्जीवन और जल संरक्षण में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की अग्रणी पहलों ने इसे वैश्विक जल संवाद में एक प्रमुख आवाज बना दिया है। इस वर्ष स्टॉकहोम वर्ल्ड वाटर वीक में इसकी भागीदारी भारत की बढ़ती भूमिका को उजागर करती हैजो जल संबंधी वैश्विक चुनौतियों के समाधान में अहम योगदान दे रही है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल वाटर इंस्टीट्यूट (एसआईडब्लूआईद्वारा वर्ष 1991 से आयोजित यह प्रतिष्ठित आयोजन अब वैश्विक नीति निर्धारकोंवैज्ञानिकोंउद्योग विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए सबसे प्रभावशाली मंच बन चुका है।

गंगा के विस्तृत प्रवाह वाले प्रदेश के रूप में उत्तर प्रदेश नमामि गंगे कार्यक्रम का प्रमुख केंद्र रहा है। वाराणसी में रिवरफ्रंट विकासकानपुर में सीवेज शोधन संयंत्रों की स्थापना तथा छोटे एवं मझौले नगरों में सामुदायिक भागीदारी आधारित पहल इस अभियान को सफलतापूर्वक आगे बढ़ा रही है। इस प्रतिष्ठित सम्मेलन का केंद्र बिंदु बना नदी शहरों की पुनर्कल्पना। जलवायु-संवेदी और बेसिन-केंद्रित शहरी विकासजिसमें राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशनराष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान और जर्मन विकास सहयोग ने मिलकर नेतृत्व किया। विशेषज्ञों ने जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण की चुनौतियों के बीचनदी-केंद्रित विकास ही शहरों को टिकाऊ और सुरक्षित बना सकता है।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल ने कहा कि नमामि गंगे मिशन ने भारत में नदियों के पुनरुद्धार के लिए एक ऐतिहासिक नीतिगत बदलाव की नींव रखी है। इस मिशन के तहत अब तक 40 हजार करोड़ रुपए का भारी निवेश किया जा चुका हैजो गंगा और उसकी सहायक नदियों को उनके प्राचीन रूप में पुनः स्थापित करने की दिशा में तेजी से कार्य कर रहा है। नमामि गंगे मिशन एक जीवंत उदाहरण हैजो यह साबित करता है कि जब आधुनिक तकनीक और नवाचार का संगम होता हैतो नदियों को पुनः जीवनदायिनी बनाने में सफलता प्राप्त की जा सकती है। मिशन के अंतर्गत की गई पहलजैसे हाइब्रिड एनीटी मॉडल आधारित एसटीपीसोलर पावर्ड ट्रीटमेंट प्लांट और मृदा जैव प्रौद्योगिकीवैश्विक मानकों को स्थापित करने में योगदान दे रही हैं। मित्तल ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस कार्यक्रम को एक विशाल जन आंदोलन में बदला गया हैजिसके सकारात्मक परिणाम अब सामने आ रहे हैं। वैश्विक सहयोग की अहमियत को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि विश्व बैंकजीआईजेडसी-गंगानीदरलैंड और डेनमार्क का सहयोग नदी विज्ञानजल सुरक्षा और प्रबंधन में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

सम्मेलन में विशेषज्ञों ने यह स्पष्ट किया कि जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण की समस्याओं का हल केवल नदी-बेसिनों के संरक्षण और प्रबंधन में ही छुपा है। इस संदर्भ में भारत की नमामि गंगे पहल को आदर्श उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया गयाजिसे अन्य देशों के लिए अनुकरणीय माना गया। प्रदूषण नियंत्रणजैविक खेतीआर्द्रभूमि संरक्षण और जलवायु-स्मार्ट शहरी विकास जैसे कदमों ने इस मिशन को वैश्विक स्तर पर प्रेरणा का स्रोत बना दिया है। विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि अब समय आ गया है जब शहरों को केवल उपभोक्ता के रूप में नहींबल्कि नदी-बेसिनों के सक्रिय संरक्षक के रूप में कार्य करना होगा। जलवायु परिवर्तन के दौर में नदियों का संरक्षण अनिवार्य बन चुका है और इसके लिए नदी-केंद्रित शहरी विकास को अपनाना होगा।

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