प्रदेश में हर साल होती है 4500 करोड़ की बिजली चोरी

महंगी बिजली खरीदने में खर्च होते हैं तीन हजार करोड़

प्रदेश में हर साल होती है 4500 करोड़ की बिजली चोरी

लखनऊ, 03 सितंबर (एजेंसियां)। उत्तर प्रदेश बिजली राज्य उपभोक्ता परिषद के अनुसार यूपी में हर साल करीब 4500 करोड़ की बिजली चोरी हो जाती है। इस पर अंकुश लगाकर निजीकरण से बचा जा सकता है। पावर कॉरपोरेशन और विद्युत वितरण विभागों द्वारा हर साल महंगी बिजली खरीद पर तीन हजार करोड़ खर्च किया जा रहा हैजबकि साढ़े चार हजार करोड़ की बिजली चोरी हो रही है। इन दोनों पर अंकुश लगाकर करीब साढ़े सात हजार करोड़ बचाया जा सकता है।

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि वर्ष 2025 26 में बिजली कंपनियां 1 लाख 64 हजार 592 मिलियन यूनिट बिजली खरीदेंगीजिसकी कुल लागत 86992 करोड़ होगी। इसमें निजी घराने से 35121 करोड़ की बिजली खरीदी जाती है और राज्य उत्पादन से 20670 करोड़ की खरीद होती है। प्रदेश सरकार द्वारा जो राजस्व सब्सिडी दी जाती हैवह वर्ष 2025-26 के लिए 17512 करोड़ है। कुल बिजली खरीद की औसत लागत 5.28 रुपये प्रति यूनिट आ रही। उत्तर प्रदेश में बिजली खरीद में पारदर्शी नीति अपनाकर सस्ती बिजली के उपाय पर बिजली कंपनियों को कम करने की जरूरत है। प्रदेश में वितरण हानियों को यदि 13 फीसदी मान लिया जाए तो उसमें लगभग 5 फीसदी बिजली चोरी है।

ऐसे में साल भर में लगभग 4500 करोड़ की बिजली चोरी होती है ऐसे में बिजली चोरी पर अंकुश लगाकर भी काफी हद तक हम अपने घाटे को कम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि महंगी बिजली खरीद और बिजली चोरी पर प्रभावी नीति बनाकर उत्तर प्रदेश में निजीकरण को डाला जा सकता है। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि शत-प्रतिशत राजस्व की वसूली करके करोड़ों रुपए जुटाया जा सकता है।

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