BMC चुनावों का ऐलान: 15 जनवरी को मतदान

16 जनवरी को मतगणना, ‘वोट चोरी’ के आरोपों के बीच बढ़ी सियासी सरगर्मी

BMC चुनावों का ऐलान: 15 जनवरी को मतदान

नई दिल्ली, 15 दिसम्बर,(एजेंसियां)। मुंबई में कथित “वोट चोरी” को लेकर चल रहे तीखे राजनीतिक विवाद के बीच राज्य चुनाव आयोग ने बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है। आयोग के अनुसार, बीएमसी समेत महाराष्ट्र के 28 नगर निगमों के लिए 15 जनवरी को मतदान होगा, जबकि 16 जनवरी को मतगणना कराई जाएगी। तारीखों की घोषणा के साथ ही देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में राजनीतिक हलचल और तेज हो गई है।

राज्य चुनाव आयोग की घोषणा ऐसे समय पर आई है, जब विपक्षी दल लगातार आरोप लगा रहे हैं कि नगर निगम चुनावों से पहले मतदाता सूचियों में बड़े पैमाने पर फर्जी और डुप्लिकेट मतदाताओं के नाम जोड़े गए हैं। विपक्ष का कहना है कि यह कथित अनियमितताएं चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकती हैं। वहीं, बीएमसी प्रशासन ने इन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए मतदाता सूची की गहन जांच शुरू कर दी है।

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अपनाते हुए सभी 227 नगर निगम वार्डों में समानांतर जमीनी स्तर पर मतदाता सत्यापन अभियान शुरू किया है। पार्टी नेताओं का दावा है कि उनके कार्यकर्ताओं ने हजारों फर्जी और डुप्लिकेट प्रविष्टियों की पहचान की है। शिवसेना (यूबीटी) का कहना है कि कई जगहों पर पुराने और वास्तविक मतदाताओं—खासतौर पर मराठी भाषी नागरिकों—के नामों को गलत तरीके से डुप्लिकेट बताकर हटाया जा रहा है, जिससे उनके मतदान के अधिकार पर खतरा मंडरा रहा है।

पार्टी का आरोप है कि यदि समय रहते इन अनियमितताओं को नहीं रोका गया, तो चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो सकते हैं। शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं के अनुसार, बीएमसी चुनाव सिर्फ स्थानीय निकाय का चुनाव नहीं है, बल्कि यह मुंबई की प्रशासनिक, राजनीतिक और आर्थिक दिशा तय करने वाला मुकाबला है। ऐसे में मतदाता सूची से जुड़ी किसी भी गड़बड़ी का असर दूरगामी हो सकता है।

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बीएमसी चुनाव इस बार इसलिए भी बेहद अहम माने जा रहे हैं, क्योंकि यह 2022 में शिवसेना के विभाजन के बाद पहला नगर निगम चुनाव होगा। इस चुनाव में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) का सीधा मुकाबला महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन से होगा, जिसमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला शिवसेना का दूसरा गुट भी शामिल है। मुंबई की राजनीति में शिवसेना का पारंपरिक दबदबा रहा है, और बीएमसी को पार्टी की “राजनीतिक रीढ़” माना जाता रहा है।

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भाजपा और महायुति गठबंधन के लिए भी यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल है। पार्टी लंबे समय से बीएमसी में सत्ता हासिल करने की कोशिश करती रही है। ऐसे में इस बार का चुनाव न सिर्फ स्थानीय प्रशासन, बल्कि महाराष्ट्र की समग्र राजनीति की दिशा तय करने वाला माना जा रहा है। सीटों के बंटवारे, उम्मीदवारों के चयन और प्रचार रणनीतियों को लेकर सभी दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं।

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राज्य चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। आयोग के अधिकारियों के मुताबिक, मतदाता सूची में किसी भी तरह की गड़बड़ी की शिकायतों की जांच की जा रही है और जरूरत पड़ने पर सुधार भी किए जाएंगे। साथ ही, राजनीतिक दलों से भी अपील की गई है कि वे चुनाव आयोग के साथ सहयोग करें और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास बनाए रखें।

चुनाव कार्यक्रम के ऐलान के बाद मुंबई में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। जहां विपक्ष मतदाता सूची को लेकर हमलावर है, वहीं सत्तारूढ़ पक्ष इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बता रहा है। आने वाले दिनों में जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आएगी, वैसे-वैसे बीएमसी चुनाव का यह मुकाबला और भी दिलचस्प और तीखा होने की संभावना है।

कुल मिलाकर, 15 जनवरी को होने वाला बीएमसी चुनाव सिर्फ नगर निगम का चुनाव नहीं, बल्कि मुंबई की सत्ता, पहचान और राजनीतिक भविष्य की लड़ाई बन चुका है, जिस पर पूरे देश की नजरें टिकी होंगी।